हड़प्पा सभ्यता महान नगर-निर्माण Harappan civilization great city-building
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हड़प्पा सभ्यता के नगर-निर्माण की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन करें।
हड़प्पा सभ्यता (या सिंधु घाटी सभ्यता) प्राचीन भारत की सबसे प्राचीन और प्रमुख सभ्यताओं में से एक थी, जो लगभग 3300 ईसा पूर्व से 1300 ईसा पूर्व तक विकसित हुई थी। हड़प्पा सभ्यता के नगर-निर्माण की विशेषताएँ इस सभ्यता की उन्नत और संगठित सामाजिक-आर्थिक संरचना को दर्शाती हैं। हड़प्पा के नगरों का निर्माण अत्यधिक योजनाबद्ध और समर्पित था, जिनमें निम्नलिखित प्रमुख विशेषताएँ पाई जाती हैं-
1.योजना-बद्ध नगर-निर्माण (Planned Townships)
– हड़प्पा सभ्यता के नगर अत्यंत योजनाबद्ध थे, जिसमें सड़कों और गली-नालियों का सुव्यवस्थित नेटवर्क था। नगरों की प्रमुख सड़कें मुख्य मार्गों के रूप में चौड़ी और सीधी होती थीं, जो नगर के विभिन्न भागों को जोड़ती थीं।
– नगरों में बड़े पैमाने पर दो मुख्य भाग होते थे: एक किला क्षेत्र (Citadel) और दूसरा लोअर टाउन (Lower Town)। किला क्षेत्र में प्रमुख सरकारी, धार्मिक और सांस्कृतिक इमारतें होती थीं, जबकि लोअर टाउन में सामान्य आवासीय क्षेत्र होते थे।
2.सड़कों और गलियों की व्यवस्था (Streets and Lanes)
– हड़प्पा नगरों की सड़कों की दिशा सामान्यतः उत्तर-दक्षिण और पूर्व-पश्चिम में होती थी, जो एक दूसरे को 90 डिग्री के कोण पर काटती थीं, जिससे यातायात में सुगमता थी। सड़कों की चौड़ाई 30 फीट तक हो सकती थी, और गलियाँ संकरी थीं।
– सड़कों के किनारे गहरी नालियाँ होती थीं, जो नगर की सफाई और जल निकासी की व्यवस्था को सुचारु बनाए रखती थीं। नालियाँ ईंटों से बनी होती थीं और कभी-कभी ढक्कन भी लगाए जाते थे।
3.ईंटों का प्रयोग (Use of Bricks)
– हड़प्पा सभ्यता में ईंटों का बहुत व्यापक उपयोग हुआ था। यहाँ तक कि हड़प्पा के अधिकांश भवन और संरचनाएँ ईंटों से बनी थीं, और ईंटों की गुणवत्ता और आकार मानकीकृत था। एक ही आकार की ईंटों के उपयोग से निर्माण में समानता और स्थिरता आती थी।
– स्नानघर और सार्वजनिक जलाशय (जैसे महान स्नानागार) ईंटों से बनाए गए थे, जो साफ-सफाई और जल प्रबंधन की उत्कृष्टता को दर्शाते हैं।
4.जल निकासी और जल प्रबंधन (Drainage and Water Supply)
– हड़प्पा नगरों में जल निकासी और जल आपूर्ति की अत्यंत प्रभावी व्यवस्था थी। प्रत्येक घर में जल निकासी के लिए व्यक्तिगत नालियाँ होती थीं, जो मुख्य नालियों से जुड़ी होती थीं। ये नालियाँ ईंटों से बनी होती थीं और ढक्कन होते थे ताकि गंदगी और कचरा बाहर न फैले।
– साथ ही, जल संग्रहण के लिए सार्वजनिक स्नानागार और सुरक्षित कुएं (बड़े जलाशय और कुंड) भी बनाए गए थे, जो जल की नियमित आपूर्ति सुनिश्चित करते थे।
5.आवासीय और सार्वजनिक भवनों की संरचना (Residential and Public Buildings)
– हड़प्पा नगरों के आवासीय भवन आम तौर पर एक से दो मंजिलों वाले होते थे और इनकी छतें कच्ची होती थीं। घरों में आंगन होते थे और आसपास के क्षेत्रों में जलाशय या स्नानगृह होते थे। घरों के अंदर कोई अलग कमरे, खुले आंगन, और किचन की व्यवस्था होती थी।
– इसके अलावा, नगरों में भव्य सार्वजनिक इमारतें जैसे स्नानागार, गोदाम, और प्रशासनिक भवन भी पाए गए। इन इमारतों का आकार और निर्माण शैली यह दर्शाता है कि इनका उपयोग सार्वजनिक उद्देश्यों के लिए किया जाता था।
6.सामाजिक और सांस्कृतिक केन्द्र (Social and Cultural Centers)
– हड़प्पा नगरों में धार्मिक और सांस्कृतिक केन्द्रों के रूप में बड़ी इमारतें और स्थल पाए गए। इन स्थलों में स्थानीय देवताओं की पूजा और अन्य धार्मिक अनुष्ठान किए जाते थे। उदाहरण के तौर पर, मोहनजोदाड़ो में एक विशाल स्नानागार था, जिसे धार्मिक और सांस्कृतिक क्रियाओं के लिए उपयोग किया जाता था।
7.व्यापार और वस्त्र उद्योग (Trade and Craftsmanship)
हड़प्पा सभ्यता के नगर व्यापार और कारीगरी के लिए प्रसिद्ध थे। व्यापारिक गतिविधियों के लिए गोदामों और भंडारण स्थलों का निर्माण किया गया था, जो व्यापार और वाणिज्य को सुचारु रूप से संचालित करने में सहायक थे।
नगरों में मृद्भांड (पॉटरी), कांच के मोती, धातु के उपकरण, और सूत के उद्योगों के प्रमाण मिलते हैं, जो स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय व्यापार का संकेत देते हैं।
8.नदी के निकट स्थान (Proximity to Rivers)
हड़प्पा और मोहनजोदाड़ो जैसे प्रमुख नगर प्रमुख नदियों के निकट बसे थे, जैसे सिंधु नदी और रावी नदी, जो जल आपूर्ति, परिवहन और कृषि के लिए अनुकूल स्थान प्रदान करते थे।
इन सभी विशेषताओं से यह स्पष्ट होता है कि हड़प्पा सभ्यता के नगर अत्यधिक योजनाबद्ध और संगठित थे, और उनके निर्माण में उन्नत तकनीकी ज्ञान और जीवन के प्रति गंभीर दृष्टिकोण की झलक मिलती है। यह सभ्यता न केवल नगर निर्माण में उन्नत थी, बल्कि इसके सामाजिक और प्रशासनिक ढांचे भी अत्यधिक विकसित थे।