11.बौद्ध धर्म का इतिहास -History Of Boudh Dharm

बौद्ध धर्म

बौद्ध धर्म का इतिहास -history of boudh dharm

बौद्ध धर्म का इतिहास निम्नलिखित पॉइंट्स में प्रस्तुत किया जा सकता है-
1. स्थापना- बौद्ध धर्म की स्थापना 6ठी सदी ईसा पूर्व में सिद्धार्थ गौतम (बुद्ध) द्वारा हुई।
2. प्रकाश- सिद्धार्थ ने 29 वर्ष की आयु में राजसी जीवन त्याग कर तपस्या की और 35 वर्ष की आयु में बोधगया में बोधि वृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्त किया।
3. सिद्धांत- बुद्ध ने चार आर्य सत्य (दुख का अस्तित्व, दुख का कारण, दुख का निरोध, और मार्ग) और अष्टांगिक मार्ग का उपदेश दिया।
4. प्रचार- बुद्ध ने अपने जीवनकाल में उत्तर भारत में धर्म का प्रचार किया, विशेषकर बनारस और सारनाथ क्षेत्र में।
5. समुदाय का गठन- बुद्ध ने भिक्षुओं का समुदाय (संघ) स्थापित किया, जिसमें स्त्री-पुरुष दोनों शामिल थे।
6. महायान और हीनयान- 1st सदी ईसा पूर्व से बौद्ध धर्म में दो मुख्य शाखाएं विकसित हुईं: महायान (महान वाहन) और हीनयान (छोटा वाहन)।
7. कला और साहित्य- बौद्ध धर्म ने कला, वास्तुकला (स्तूप, विहार) और साहित्य में महत्वपूर्ण योगदान दिया, जैसे त्रिपिटक ग्रंथ।
8. अंतरराष्ट्रीय विस्तार- बौद्ध धर्म ने भारत से अन्य देशों में, जैसे चीन, जापान, थाईलैंड, श्रीलंका और तिब्बत, में फैलाव किया।
9. मध्यकालीन परिवर्तन- 12वीं सदी से बौद्ध धर्म भारत में सिकुड़ने लगा, लेकिन अन्य देशों में विकसित होता रहा।
10. आधुनिक युग- 19वीं और 20वीं सदी में बौद्ध धर्म ने पुनर्जीवित हुआ और पश्चिम में भी इसकी लोकप्रियता बढ़ी। History Of Boudh Dharm

इंपोटेंट पॉइंट्स-

•बौद्ध धर्म की स्थापना 2600 वर्ष पहले गौतम बुद्ध ने की थी ।
•बौद्ध धर्म 563 ईशा पूर्व शुरू हुआ,जो सिद्धार्थ गौतम की शिक्षाओं, जीवन के अनुभवों पर आधारित हैं।
•सिद्धार्थ गौतम ने बोधि वृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्त करने और चार आर्य सत्यों का बोध प्राप्त करने के बाद बौद्ध धर्म की स्थापना की।
•बौद्ध धर्म के तीन देवता-वज्रपाणि,मंजुश्री और अवलोकीतेश्वर।
•बुद्ध के प्रथम गुरु आलार कलाम थे,इन्ही से बुद्ध ने सन्यास काम में शिक्षा प्राप्त की फिर 34 वर्ष की आयु में वैशाखी पूर्णिमा के दिन वे पीपल के पेड़ के नीचे ध्यानरस्थ थे।
•बुद्ध देवी तारा की पूजा करते थे।
•हूणों के आक्रमण के बाद बौद्ध धर्म कमजोर हो गया।
•बौद्ध धर्म के अष्टांगिक मार्ग,जीवन की सही दिशा-
•चार सत्य सत्यों को मानना,जीव हिंसा नहीं करना,चोरी नहीं करना,हमेशा सत्य का साथ देना,लोगों की मदद करना
•सम्यक दृष्टि, सम्यक संकल्प, सम्यक वाणी, सम्यक कर्मात्, सम्यक आजीविका, सम्यक व्यायाम, सम्यक स्मृति, सम्यक समाधि।
•बौद्ध धर्म के तीन पिटक-विनय पिटक,सुत पिटक,अभिधम पिटक।
•चार आर्य सत्य-दुख, दुख समुदाय, दुख निरोध और दुख निरोध मार्ग।दुख का कारण अज्ञान,राग एवं दोष है। History Of Boudh Dharm

गौतम बुद्ध की जीवनी-

गौतम बुद्ध, जिनका जन्म सिद्धार्थ गौतम के नाम से हुआ, का जीवन कई महत्वपूर्ण घटनाओं और अवधारणाओं से भरा हुआ है। उनकी जीवनी का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है-

इंपोटेंट पॉइंट्स-

गौतम बुद्ध के बचपन का नाम सिद्धार्थ था, उनका जन्म लुम्बिनी के कापिलवस्तु में हुआ था जो कि अब नेपाल में है । उनका जीवनकाल 563 ईशा पूर्व से 483 ईशा पूर्व तक रहा। लेकिन उनके जन्म की निश्चित तिथि को लेकर इतिहासकारों में मतभेद है। सिद्धार्थ के पिता का नाम सुधदोधन था,और उनकी माता का नाम माया था। 16 वर्ष की आयु में सिद्धार्थ का विवाह यशोधरा से हुआ और उन्हें राहुल नाम के पुत्र की प्राप्ति हुई। सिद्धार्थ के पिता चाहते थे वे बड़े होकर महान राजा बने। पर पारिवारिक जीवन में प्रवेश करने के बाद भी गौतम बुध संसार के लोगो के दुखों से परेशान थे । उन्होंने कुछ ऐसी घटनाओं को घटित होते देखा,जिससे वे सांसारिक दुखों का कारण खोजने की ओर प्रयुक्त हुए। और 29 वर्ष की आयू में एक दिन रात को अचानक सांसारिक बंधनों को छोड़कर महल से निकल पड़े और जंगल की और चल पड़े। इस दौरान ज्ञान की खोज में वे अनेक स्थानों का भ्रमण किया,और एक दिन गया नामक स्थान पर बोधिवृक्ष के नीचे ध्यान मुद्रा में उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई । फिर उनका नाम गोतम बुध पड़ा।

गौतम बुद्ध ने बौद्ध धर्म और दर्शन की स्थापना की, इसके बाद उन्होंने लोगो को सच्चे ज्ञान और सांसारिक दुखों से मुक्ति पाने की ओर अग्रसर किया। बुध के प्रवचनों को उनके शिषयों ने कई ग्रंथों में लिखा। बुध ने चार आर्य सत्य का ज्ञान दिया,जिसने उन्होंने दुख और उसके करणों के बारे में बताया है साथ ही उन्होंने अष्टांग पथ का सिद्धांत भी स्थापित किया है। उन्होंने अहिंशा का सिद्धांत देते हुए सभी तरह की जीव हिंसा को ग़लत बताया है बुध के जाने के बाद उनके शिष्यों ने उनकी शिक्षा और विचारों का प्रसार किया। उनके द्वारा स्थापित किया गया मार्ग आगे चलकर बौद्ध धर्म कहलाया। महान सम्राट अशोक ने भी इस धर्म की दीक्षा ली थी,यह धर्म तेज़ी से दुनिया में फैला।

महान सम्राट अशोक ने खून ख़राब चारों तरफ़ दुख ही दुख को देखकर तंग आकर महल और सत्ता छोड़ कर एक संत और जीवन के सरल बनाने वाले मार्ग दर्शक बने और बुध धर्म को अपनाया।
बुध के बाद भी बौद्ध धर्म दर्शन परंपरा में कई महान दार्शनिक हुए है जैसे-आनंद मैत्री,चन्द्रकीर्ति,पदम्संभव,जंगमी,कुमारजीवा,नागार्जुन History Of Boudh Dharm

जन्म और परिवार

जन्म- लगभग 563 ईसा पूर्व, लुंबिनी (वर्तमान नेपाल) में।
परिवार- राजा शुद्धोदन और रानी मायादेवी के पुत्र। वे शाक्य जनजाति के सदस्य थे।

राजसी जीवन

सिद्धार्थ का पालन-पोषण विलासिता में हुआ। उनके पिता ने उन्हें सुखद जीवन देने के लिए सभी दुखदाई चीजों से दूर रखा।

सत्य की खोज

प्रयास- 29 वर्ष की आयु में, उन्होंने गृहस्थ जीवन को त्यागने का निर्णय लिया। वे सत्य की खोज में निकल पड़े।
तपस्या- सिद्धार्थ ने कई तपस्वियों के साथ कठोर तपस्या की, लेकिन उन्हें कोई संतोषजनक उत्तर नहीं मिला।

ज्ञान की प्राप्ति

बोधि वृक्ष- 35 वर्ष की आयु में, उन्होंने बोधगया में बोधि वृक्ष के नीचे ध्यान किया और ज्ञान प्राप्त किया।
बुद्ध- इस अनुभव के बाद, सिद्धार्थ “बुद्ध” (ज्ञान प्राप्त व्यक्ति) के रूप में जाने गए। History Of Boudh Dharm

शिक्षाएं

चार आर्य सत्य-
1. जीवन दुख है।
2. दुख का कारण तृष्णा है।
3. दुख का निरोध संभव है।
4. अष्टांगिक मार्ग (आचरण, ध्यान, साधना) के माध्यम से दुख का अंत किया जा सकता है।
•अष्टांगिक मार्ग: सही दृष्टि, सही संकल्प, सही वचन, सही क्रिया, सही आजीविका, सही प्रयास, सही स्मृति, और सही ध्यान।

संघ की स्थापना

बुद्ध ने भिक्षु संघ (संघ) की स्थापना की, जिसमें स्त्री-पुरुष दोनों शामिल थे। उन्होंने अपने अनुयायियों को अपने ज्ञान का प्रचार करने का निर्देश दिया।
अंतिम दिन
बुद्ध ने 80 वर्ष की आयु में कुशीनगर में महापरिनिर्वाण (निधन) प्राप्त किया। उनके अंतिम शब्द थे, “सभी चीजें नाशवान हैं।”
विरासत
बुद्ध की शिक्षाएं आज भी विश्वभर में प्रचलित हैं। बौद्ध धर्म ने विभिन्न संस्कृतियों और देशों में गहरी छाप छोड़ी है। History Of Boudh Dharm

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