सोलह महाजनपद sixteen Mahajanapadas
शुरुआत से अंत तक जरूर पढ़े।
परिचय
इस अध्याय में सोलह महाजनपदों का निर्माण कैसे हुआ, जनपद महाजनपद में कैसे परावर्तित हुए तत्पश्चात महाजनपदों से मगध के साम्राज्य का निर्माण जिसमें राजसत्ता में आए वंशों का इतिहास दिया गया है। इ.स. पूर्व छठी सदी में हुए धार्मिक आंदोलन की भी चर्चा की गई है। जिसमें जैन धर्म, बौद्ध धर्म प्रमुख हैं। उसके बाद भारत पर हुए सिकंदर के आक्रमण तथा मौर्य साम्राज्य की स्थापना, चंद्रगुप्त का कार्य, अशोका का धम्म विजय, एवं मौर्य साम्राज्य का पतन, मौर्योत्तर युग तथा सांस्कृतिक विकास की चर्चा इस अध्याय में की गई है। sixteen Mahajanapadas
उद्देश्य
इतिहास की महत्वपूर्ण घटनाओं तथा उस समय के सामाजिक, प्रशासकीय व्यवस्था, धार्मिक व्यवस्था एवं अन्य कई मुद्दों पर प्रकाश डालने का प्रयास इस इकाई के माध्यम से निम्नानुसार किया गया है-
सोलह महाजनपदों का निर्माण कैसे हुआ यह जानकारी प्राप्त करना।
1.मगध भारत का राजनीतिक केंद्र कैसे बना इसकी जानकारी प्राप्त करना।
2.धार्मिक आंदोलनों का भारत के राजनीति पर क्या प्रभाव हुआ यह समझना।
3.सिकंदर आक्रमणों के भारत पर पड़े प्रभावों की जानकारी लेना
4.मौर्य साम्राज्य की प्रशासनिक व्यवस्था का अध्ययन करना।
5.मौर्य सत्ता के पतन के बाद भारत मे हुए राजनीतिक बदलाव की जानकारी प्राप्त करना। sixteen Mahajanapadas
सोलह महाजनपद प्राचीन भारत में 600 ईसा पूर्व से 300 ईसा पूर्व तक के समय में अस्तित्व में आए थे। ये महाजनपद विभिन्न क्षेत्रों में स्थित राज्य या जनपद थे, जिन्होंने भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यहाँ सोलह महाजनपदों का विवरण दिया गया है-
1. अंग- वर्तमान बिहार और बंगाल के कुछ भागों में स्थित।अंग प्राचीन भारत के सोलह महाजनपदों में से एक था।इसका उल्लेख सबसे पहले अथर्ववेद में मिलता है
2. मगध- वर्तमान बिहार में स्थित, यह महाजनपद बाद में मौर्य साम्राज्य का केंद्र बना। शासक बिम्बिसार ने इससे मैत्री संबंध स्थापित किया था लेकिन उसके उत्तराधिकारी अजातशत्रु ने पराजित कर इसे अपने राज्य में मिला गिलिया था। बिहार और उत्तर प्रदेश के सीमांत पर महल जनपद का साक्ष्य पाते हैं। इनकी दो राजधानियों की चर्चा है पावा और कुशीनगर। कुशीनगर बौद्ध धर्म का प्रसिद्ध स्थल है। कहा जाता है कि इन्होंने लिच्छवियों के साथ मिलकर अजातशत्रु का सामना किया था।
3. कोशल- वर्तमान उत्तर प्रदेश के पूर्वी भाग में स्थित। इसी से सटे उत्तर प्रदेश में कौशल जनपद का साक्ष्य है जिसका विकास महाकौशल और उनके पुत्र प्रसेनजित ने कराया था। प्रसेनजित बुद्ध का समकालिन व मित्र था। शुद्धोदन व विदुधान राजाओं ने भी कौशल पर शासन किया। बाद में कौशल उदीयमान मगध राज्य का सबसे कट्टर शत्रु बन गया। उत्तरी भाग की राजधानी साकेत तथा दक्षिणी भाग की श्रावस्ती थी। बुद्ध काल में कौशल वर्तमान अवध क्षेत्र फैजाबाद मण्डल में पड़ता हैं।
4. वज्जि- वर्तमान बिहार के पूर्वी भाग में स्थित। इन दो जनपदों के बाद गंगा नदी के उत्तर में वज्जियों का प्रसिद्ध जनपद था जिसकी राजधानी वैशाली थी। यहाँ गणतांत्रिक प्रणाली के आधार पर राज्यों को शासित किया गया था। गणतांत्रिक प्रणाली के द्वारा प्रशासन को संगठित किया गया था और इस जनपद में आठ सदस्य थे जिसमें सबसे महत्वपूर्ण वैशाली के लिच्छवी थे।
5. मल्ल- वर्तमान उत्तर प्रदेश और नेपाल की सीमा पर स्थित।मल्ल नाम मल्ल राजवंश के नाम पर है।जो इस महाजनपद के उस समय शासक थे।महावीर स्वामी और गौतम बुद्ध दोनों ही महापुरुषों ने अपने निवाड के लिए मल्ल को चुना था।मल्ली की दो शाखाऐ है एक की राजधानी कुशीनारा दूसरी पावा थी जिसका नाम अभी फ़ाज़िलनगर है।
6. चेदि- वर्तमान मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के कुछ भागों में स्थित। आधुनिक बुन्देलखण्ड के पूर्वी तथा उसके आस पास के क्षेत्र की पहचान प्राचीन चेदी चेती महाजनपद के रूप में की जाती है। इसकी राजधानी सोत्थविती थी जिसकी तुलना महाभारत काल की शुक्तिमति से की जाती है। इसका राजा शिशुपाल था जिसका वध कृष्ण द्वारा किया गया था। एक अन्य राजा उपचर का नाम भी मिलता है।
7. वत्स- वर्तमान उत्तर प्रदेश के पूर्वी भाग में स्थित। वत्स की पहचान आज के इलाहाबाद ओर बाँदा जिले के क्षेत्रों से की जाती है। वत्स की राजधानी कौशाम्बी थी जो यमुना नदी के किनारे स्थित थी। बुद्धकाल में यहाँ पौरववंश के राजा उदयन का शासन था। sixteen Mahajanapadas
मेरठ, दिल्ली तथा थानेश्वर के भू-भागों में कुरू जनपद स्थित था। इसकी राजधानी इन्द्रप्रस्थ थी। बुद्ध के समय में यहाँ का राजा कोरव्य था। यह राजतन्त्र के बाद गणतन्त्र की स्थापना हुयी।
8. कुरु- वर्तमान हरियाणा और दिल्ली में स्थित।कुरु पौराणिक सोलह महाजनपदो में से एक था।इसकी राजधानी दिल्ली थी।पूराणों में वर्णित प्रसिद्ध राजा कुरु के नाम पर ही इसका नाम यह पड़ा था।
9. पांचाल- वर्तमान उत्तर प्रदेश के पूर्वी भाग में स्थित। आधुनिक रुहेलखण्ड के बरेली, बदायूँ तथा फर्रुखाबाद के जिलों को मिलाकर प्राचीन महाजनपद पांचाल बनता था। उ.पांचाल की राजधानी अहिच्छत्र तथा द.पांचाल की राजधानी काम्पिल्य थी। कान्यकुब्ज नामक नगर भी इसी में स्थित था। छठी शताब्दी ईसा पूर्व कुरु तथा पांचाल का एक संघ राज्य था।
10. मिथिला- वर्तमान बिहार के पूर्वी भाग में स्थित।महाभारत में मगध के बाद मिथिला की स्थिति मानी गई है।मिथिला नाम पौराणिक राजा के नाम पर रखा गया। sixteen Mahajanapadas
11. अस्साक- वर्तमान उत्तर प्रदेश के पूर्वी भाग में स्थित। गोदावरी नदी आन्ध्र प्रदेश तट पर अश्यक, अस्सक या अश्वक महाजनपद स्थित था। इसकी राजधानी पोतन, पोटिल या पैठण थी। यही मात्र दक्षिण भारत में स्थित था। अस्सक के राजा अरुण ने कलिंग को जीता था।
12. अवंति- वर्तमान मध्य प्रदेश के पूर्वी भाग में स्थित। पश्चिम तथा मध्य मालवा क्षेत्र में अवन्ति महाजनपद स्थित था। इसके दो भाग थे- उत्तरी क्षेत्र की राजधानी उज्जयिनी एवं दक्षिणी क्षेत्र की महिष्मति थी। दोनों के बीच वेत्रवती नदी बहती थी। पाली धर्मग्रंथों के अनुसार बुद्ध के समय में यहाँ की राजधानी उज्जयिनी थी जहाँ का शासक प्रद्योत था। आधुनिक उज्जैन नगर मध्य प्रदेश से उज्जयिनी की पहचान की जाती है। यहाँ लोहे की खानें थी और यह सैनिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण था। यह बौद्ध धर्म का प्रमुख केंद्र था।
13. गांधार- वर्तमान पाकिस्तान के पंजाब और कश्मीर में स्थित। वर्तमान पाकिस्तान के कश्मीर तथा रावलपिण्डी में गान्धार महाजनपद सिथत था। इसकी राजधानी तक्षशिला शैक्षिक केंद्र थी। इसका प्रमुख नगर पुष्कलावती था। यहाँ पुक्कुसाति अथवा पुष्करसरिन् नामक राजा राज्य करता था। इसने अवन्ति के राजा प्रद्योत को पराजित किया था।
14. काम्बोज- वर्तमान पाकिस्तान के पंजाब में स्थित। दक्षिणी पश्चिमी कश्मीर व काबुल के क्षेत्र में कम्बोज स्थित था। इसकी राजधानी राजपुर या हाटक थी। यहाँ के घोड़े प्रसिद्ध थे। कौटिल्य ने कम्बोजों को ‘वार्ताशस्त्रोपजीवी’ संघ कहा। अर्थात कृषि पशुपालन, वाणिज्य व शस्त्र द्वारा पुत्र विरुद्धक ने कौशल में मिलाया। इसके अलावा अंग, अवंती, शूरसेन एवं मल्ल ये चार महाजनपद भी 16 महाजनपदों का हिस्सा थे, जो बाद में मगध साम्राज्य में विलीन हुए। sixteen Mahajanapadas
15.मत्स्य- मत्स्य महाजनपद राजस्थान के जयपुर क्षेत्र में स्थित था। इसमें वर्तमान अलवर तथा भरतपुर का एक भाग पड़ता था। इसकी राजधानी विराटनगर थी जिसकी स्थापना विराट राजा ने की थी। आधुनिक ब्रम्हमण्डल क्षेत्र में शूरसेन जनपद था। इसकी राजधानी मथुरा थी। यहाँ यादव वंश के कृष्ण राजा थे। बुद्धकाल में यहाँ राजा अवन्तिपुत्र था जो बुद्ध का शिष्य था। अवन्ति पुत्र का विवाह अवन्ति नरेश प्रद्योत की कन्या से हुआ था। यूनानी लेखकों ने राज्य को शूरसेनोई तथा राजधानी को मेथोरा कहा है।
16.शूरसेन- वर्तमान उत्तर प्रदेश के पूर्वी भाग में स्थित।उत्तरी भारत का प्रसिद्ध जनपद था जिसकी राजधानी मथुरा में थी।इस प्रदेश का नाम संभवतः मधुरापुरी के शासक, शत्रुध्न ने अपने पुत्र शूरसेन के नाम पर रखा था।
इन महाजनपदों ने भारतीय संस्कृति, राजनीति, आर्थिक और सामाजिक जीवन को आकार देने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। sixteen Mahajanapadas