वसुधैव कुटुंबकम का इतिहास history of vasudhaiva family


वसुधैव कुटुंबकम का इतिहास history of vasudhaiva family


वसुधैव कुटुंबकम का अर्थ-दुनिया एक परिवार है। यह वाक्यांश सनातन धर्म का मूल संस्कार और विचारधारा है इसका अर्थ है की धरती ही परिवार है यह वाक्यांश भारतीय संसद के प्रवेश कक्षा में भी लिखा है। वसुधैव कुटुंबकम का महत्वपूर्ण अर्थ यही है कि हमें समस्त प्राणियों के दुख को अपना दुख समझने और अपनी खुशी को हर किसी से साझा करने का संदेश देना है। वसुधैव कुटुंबकम प्राचीन भारतीय शास्त्रों में लिया गया है जिसका अर्थ है पूरा विश्व एक मेरा परिवार है। जहां एक और हमारी पृथ्वी को एक परिवार के रूप में बांध देता है वही यह भावनात्मक रुप से मनुष्य को अपने विचारों और कार्यों के प्रभाव को विस्तृत करने की बात कहता है। वसुधैव कुटुंबकम सनातन धर्म का मूल मंत्र है। महोपनिषद अध्याय 4 श्लोक 71 में भी लिखा गया है।

वसुधैव कुटुंबकम की भावना को सुभाषित करने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को स्वयं की आत्मा में वसुधैव कुटुंबकम का पुष्प विकसित करना होगा। देश से देश ही तो मिलकर विश्व बनाते हैं। एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति से मिलकर परिवार बनाता है परिवार से समाज और समाज से देश बनता है। history of vasudhaiva family
अगर अपनी मित्रता से ऊपर उठे और उदार चरित्र बने सारे धर्म से बढ़कर मानवता को एक धर्म मानें और आदि भेदभाव को भूल जायें तो वसुधैव कुटुंबकम का सपना साकार हो सकता है। आज भी वसुधैव कुटुंबकम भारत की विदेश नीति की नींव है।
हमारी इस धरती ने अपने ऊपर जो अंबर का चादर ओढ़ रखा है वह तो हर ओर से एक समान ही दिखता है धरती पर से चांद और सूरज भी एक से दिखते हैं। इसके अनेकों उदाहरण है जैसे सबसे सही और सटीक उदाहरण हम अभी हाल ही की घटना को देखें यमन में भारी हिंसा और बमबारी हो रही थी उस तबाही के बीच यमन के उपग्रह ग्रस्त इलाके में फंसे लोगों को निकालने के लिए भारत के लोगों द्वारा उस देश में हाल के वर्षों में अब तक का सम्भवत: सबसे बड़ा बचाव अभियान ऑपरेशन राहत किया गया।
यदि हम वसुधैव कुटुंबकम का आध्यात्मिक दृष्टिकोण समझने का प्रयास करें तो यह बताता है कि अधिक से अधिक लोगों का आत्मीयता के बंधनों में बंधना। यह हर मानव को सुख-दुख को मिलजुल कर बांटना सीखना है यह ज्ञान देता है कि व्यक्ति को अपने अधिकार को गौण रखते हुए कर्तव्य का पालन करने पर अधिक आनंद मिलना चाहिए। history of vasudhaiva family
यह विश्व शांति के लिए भी आवश्यक है कि मनुष्य अपने भिन्नता के कारण हमेशा ही एक दूसरे से युद्ध करता आया है। सभी मानव एक जैसे दो हाथों दो पैरों वाले जीव होकर भी एक परिवार की तरह नहीं रह पाते आखिर हमारे विचारों को ऋषि मुनियों ने आदिकाल से क्यों इस वसुधैव कुटुंबकम की धारणा को जनमानस के संस्कार में डालने का प्रयास किया है। अलग-अलग भूखंडों पर अलग-अलग परिस्थितियों से मानव रंग रूप खानपान अलग-अलग वेशभूषा और प्राकृतिक भिन्नता के कारण अलग-अलग से हो जाते हैं हमारे ऋषि मुनियों ने मनुष्य के उत्थान के लिए भिन्नता में समानता स्थापित करने के लिए वसुधैव कुटुंबकम का प्रयास किया।
इतिहास गवाह है कि भारत के महान विचार को व सम्राटों ने पूरे विश्व के कल्याण के लिए हमेशा प्रयास किया है।उदाहरण के लिए चक्रवर्ती सम्राट अशोक महान को युद्ध की बुराइयों से जब ज्ञान प्राप्त हुआ तब उन्होंने आत्म शांति के लिए युद्ध से घबराकर बौद्ध धर्म अपनाया।

यह उन महान सम्राट किसी नहीं अपितु उन महान भारतीय संस्कार के स्तंभ का उदारवादी विस्तृत चरित्र है कि जिसने वासुदेव कुटुंबकम की भावना को अपने अंदर समाहित किया है और बौद्ध धर्म जैसे संदेश भारत में ही नहीं भारत के बाहर भी स्वयं के बच्चों को दूत के रूप में समर्पित कर के प्रचार प्रसार किया है।
जबकि वही जितने भी विदेशी हमारे देश की ओर आए सब ने भारत को केवल लूटने का प्रयास किया उन लोगों ने भारत को बस अपना बाजार ही माना।इतना होते हुए भी हमारा इतिहास बताता है कि भारतीयों ने सदैव सभी देशों की संस्कृतियों का,भाषा का,धर्म का आदर किया और उसे अपना हिस्सा सहज ही बना लिया। history of vasudhaiva family

अयं बंधुरयं नेति गणना लघुचेतसाम।
उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुंबकम।।

अर्थात यह मेरा बंधु है यह मेरा बंधु नहीं है ऐसा विचार या भेदभाव छोटी चेतना वाले व्यक्ति करते हैं उदार चरित्र के व्यक्ति संपूर्ण विश्व को ही परिवार मानते हैं।

वसुधैव कुटुंबकम के रास्ते पर जो चलते हैं वह फिर अपने पराये में भेदभाव नहीं करते। history of vasudhaiva family

यह एक सामाजिक दर्शन है जो एक आध्यात्मिक सोच से निकला है वसुधैव कुटुंबकम सोचने का एक तरीका है। जो यह बताता है की पूरी दुनिया एक परिवार है जो इस सोच को प्रोत्साहित करने का प्रयास करता है।
समुद्र एक है तो उसकी बंदे अलग-अलग कैसे हो सकती हैं हम सबको बनाने वाला परमात्मा ही है और वह एक है इस तरह हम सब भी एक ही परिवार के सदस्य हैं फिर चाहे हम भारतीय हो यह अफगानी चाहे एशिया से हो या यूरोप से।
संपूर्ण मानव जाति एक परिवार है जिसमें कहा गया है की पूरी मानव जाति एक जीवन ऊर्जा से बनी है परमात्मा एक है तो हम कैसे अलग-अलग हो सकते हैं। पूरी पृथ्वी केवल एक परिवार है वसुधैव कुटुंबकम का विचार हितोउपदेश से शुरू होता है। वसुधैव कुटुंबकम एक संस्कृत अभिव्यक्ति है जिसका अर्थ है की पूरी पृथ्वी एक परिवार है प्राथमिक शब्द संस्कृत के तीन शब्दों वसुधा,युवा और कुटुंबकम से मिलकर बना है।वसुधा का अर्थ है पृथ्वी, युवा का अर्थ है जुड़े हुए और कुटुंबकम का अर्थ है एक परिवार इसका तात्पर्य हम सब एक परिवार हैं। जो व्यावहारिक रूप से पंचतंत्र की तरह है वसुधैव कुटुंबकम का संपूर्ण चिंतन हिंदू दर्शन का एक अभिन्न अंग है। history of vasudhaiva family

सिद्धांत

प्रेम का सिद्धांत
वसुधैव कुटुंबकम कहता है दुनिया एक परिवार है जिसका सार यह निकल कर आता है कि मैं कौन हूं इसके अलावा शांति से जीवन जीने के लिए आवश्यक है कि विभिन्न धर्म और विभिन्न समाजों के बारे में हम अपनी समझ विकसित करें सभी परिस्थितियों में सभी जीवित चीजों के लिए सहानुभूति होना चाहिए सहानुभूति एकता और विश्व सद्भाव की स्थापना है। history of vasudhaiva family

एकता का सिद्धांत
सभी व्यक्ति एक विशिष्ट तरह से एक दूसरे पर निर्भर हैं संपूर्णता में पृथ्वी से जुड़े हुए हैं सभी का अस्तित्व दूसरे के बिना संभव नहीं है इसलिए हमें एक दूसरे का सम्मान करना चाहिए।

एक नई विश्व व्यवस्था का निर्माण
वसुधैव कुटुंबकम की भावना के साथ विश्व को एक परिवार के रूप में बने और एक नई विश्व व्यवस्था बनाने के लिए हमें इन 7 सिद्धांतों का पालन करना चाहिए।

स्वीकृति और सहिष्णुता का सिद्धांत
सहिष्णुता व्यक्तियों के बीच और सामाजिक व्यवस्थाओं और देश के बीच अंतर धार्मिक सहमति और संबंध पर काम करती है।

हिंसा का सिद्धांत
शांतिपूर्ण व्यक्ति के लिए संपूर्ण विश्व एक परिवार है वह ना किसी से डरेगा ना दूसरे उससे डरेंगें। history of vasudhaiva family

सहयोग और सम्मान का सिद्धांत
मानवीय एकजुट एक दूसरे की भागीदारी और सम्मान की है सभी धर्म को स्वीकार करें और उनका सम्मान करें जैसा कि हम अपने धर्म को मानते हैं। history of vasudhaiva family

विनिमय का सिद्धांत
दिशा निर्देश का सिद्धांत है संवाद के माध्यम से सद्भाव हासिल किया जा सकता है धर्म के बीच संवाद सामान्य संबंध और विश्वासों की अधिक गहन समझ पैदा करता है आस्थाओं और धर्म की समाज सद्भाव और सौहार्द की संस्कृति को आगे बढ़ाती है और ईश्वर के अधीन एक परिवार के रूप में रहने में हमारी सहायता करती है। history of vasudhaiva family

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