भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव का इतिहास History of Bhagat Singh, Rajguru and Sukhdev

भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव का इतिहास History of Bhagat Singh, Rajguru and Sukhdev

 


भगत सिंह-

(28 सितंबर 1907 – 23 मार्च 1931) एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और क्रांतिकारी थे, जिन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए अपना जीवन समर्पित किया। उनका जीवन और कार्य भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय है।

जन्म और परिवार-
भगत सिंह का जन्म लाहौर (वर्तमान पाकिस्तान) में एक सिख परिवार में हुआ था। उनके पिता किशन सिंह एक क्रांतिकारी थे, और उनके चाचा अजीत सिंह और स्वर्ण सिंह भी स्वतंत्रता सेनानी थे।

शिक्षा और राजनीतिक जीवन-
भगत सिंह ने लाहौर में शिक्षा प्राप्त की और जल्द ही राजनीतिक गतिविधियों में शामिल हो गए। वे 1926 में भारतीय युवा क्रांतिकारी संगठन “स्टडी सर्कल” में शामिल हुए और जल्द ही इसके नेता बन गए।

क्रांतिकारी गतिविधियाँ-
भगत सिंह ने कई क्रांतिकारी गतिविधियों में भाग लिया, जिनमें शामिल हैं:

1. लाला लाजपत राय की हत्या का बदला लेने के लिए सहायक पुलिस अधीक्षक जॉन पी. सैंडर्स की हत्या।
2. दिल्ली केंद्रीय विधानसभा में बम विस्फोट।
3. ब्रिटिश सरकार के खिलाफ प्रदर्शन और सत्याग्रह।

गिरफ्तारी और मृत्यु-
भगत सिंह को 1929 में गिरफ्तार किया गया और उन पर मुकदमा चलाया गया। उन्हें मृत्युदंड दिया गया और 23 मार्च 1931 को लाहौर जेल में फांसी दी गई।

शिवराम राजगुरु-

(24 अगस्त 1908 – 23 मार्च 1931) एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और क्रांतिकारी थे, जिन्होंने भगत सिंह और सुखदेव थापर के साथ मिलकर ब्रिटिश सरकार के खिलाफ संघर्ष किया।

जन्म और परिवार-
शिवराम राजगुरु का जन्म महाराष्ट्र के खेड़ जिले में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता हरि राजगुरु एक शिक्षक थे।

शिक्षा और राजनीतिक जीवन-
राजगुरु ने पुणे में शिक्षा प्राप्त की और जल्द ही राजनीतिक गतिविधियों में शामिल हो गए। वे 1926 में भगत सिंह के साथ मिलकर हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन में शामिल हुए।

क्रांतिकारी गतिविधियाँ-
राजगुरु ने कई क्रांतिकारी गतिविधियों में भाग लिया, जिनमें शामिल हैं:
1. लाला लाजपत राय की हत्या का बदला लेने के लिए सहायक पुलिस अधीक्षक जॉन पी. सैंडर्स की हत्या।
2. दिल्ली केंद्रीय विधानसभा में बम विस्फोट।
3. ब्रिटिश सरकार के खिलाफ प्रदर्शन और सत्याग्रह।

गिरफ्तारी और मृत्यु-
राजगुरु को 1929 में गिरफ्तार किया गया और उन पर मुकदमा चलाया गया। उन्हें मृत्युदंड दिया गया और 23 मार्च 1931 को लाहौर जेल में भगत सिंह और सुखदेव थापर के साथ फांसी दी गई।

सुखदेव थापर-

(15 मई 1907 – 23 मार्च 1931) एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और क्रांतिकारी थे, जिन्होंने भगत सिंह और शिवराम राजगुरु के साथ मिलकर ब्रिटिश सरकार के खिलाफ संघर्ष किया।

जन्म और परिवार-
सुखदेव थापर का जन्म लाहौर (वर्तमान पाकिस्तान) में एक पंजाबी हिंदू परिवार में हुआ था। उनके पिता राम लाल थापर एक वकील थे।

शिक्षा और राजनीतिक जीवन-
थापर ने लाहौर में शिक्षा प्राप्त की और जल्द ही राजनीतिक गतिविधियों में शामिल हो गए। वे 1926 में भगत सिंह के साथ मिलकर हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन में शामिल हुए।

क्रांतिकारी गतिविधियाँ-
थापर ने कई क्रांतिकारी गतिविधियों में भाग लिया, जिनमें शामिल हैं:
1. लाला लाजपत राय की हत्या का बदला लेने के लिए सहायक पुलिस अधीक्षक जॉन पी. सैंडर्स की हत्या।
2. दिल्ली केंद्रीय विधानसभा में बम विस्फोट।
3. ब्रिटिश सरकार के खिलाफ प्रदर्शन और सत्याग्रह। Bhagat Singh, Rajguru, and Sukhdev: A Brief History

गिरफ्तारी और मृत्यु-
थापर को 1929 में गिरफ्तार किया गया और उन पर मुकदमा चलाया गया। उन्हें मृत्युदंड दिया गया और 23 मार्च 1931 को लाहौर जेल में भगत सिंह और शिवराम राजगुरु के साथ फांसी दी गई।

कुछ महत्वपूर्ण तथ्य-
– सुखदेव थापर को “मेरे देश की धरती मेरी जन्मभूमि है” जैसे प्रसिद्ध कविताओं का लेखक माना जाता है।
– उन्होंने भगत सिंह और राजगुरु के साथ मिलकर “इन्कलाब जिंदाबाद” का नारा दिया।
– उनकी शहादत के दिन, 23 मार्च को भारत में शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है।
भगत सिंह ,शिवराम राजगुरु,सुखदेव थापर इन तीनों महान क्रान्तिकारियों का मक़सद एक ही था आज़ादी। उनका कहना था की अपने देश की मिट्टी पर हम किसी को हक़ नहीं जमाने देंगे।यह हमारी मातृभूमि है। देश की आज़ादी के लिए उन्होंने अनेकों प्रयास किए और अंत में वे शहीद होकर देश की जानता में उस क्रांति को जाग्रत किया जिससे यह देश आज़ाद हुआ। Bhagat Singh, Rajguru, and Sukhdev: A Brief History

स्टोरी ऑफ़ आज़ादी

ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के खिलाफ भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में प्रमुख व्यक्ति थे। उनकी सक्रियता और शहादत ने अनगिनत भारतीयों को आज़ादी की लड़ाई के लिए प्रेरित किया। भगत सिंह: पंजाब में जन्मे सिंह छोटी उम्र से ही क्रांतिकारी विचारधारा से प्रभावित थे। वह हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (HSRA) के सदस्य बने और ब्रिटिश शासन के खिलाफ सशस्त्र प्रतिरोध की वकालत की। समाजवाद के प्रति उनकी प्रतिबद्धता और समतावादी समाज के लिए उनका दृष्टिकोण उन्हें अन्य राष्ट्रवादियों से अलग करता था। राजगुरु: राजगुरु भी पंजाब से थे और HSRA में शामिल हुए थे। वह राष्ट्रवादी भावनाओं से गहराई से प्रभावित थे और ब्रिटिश सत्ता को बाधित करने के उद्देश्य से क्रांतिकारी गतिविधियों में शामिल थे। सुखदेव: सिंह और राजगुरु के करीबी सहयोगी सुखदेव ने क्रांतिकारी गतिविधियों की योजना बनाने और उन्हें क्रियान्वित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने विरोध प्रदर्शन आयोजित करने और स्वतंत्रता आंदोलन के बारे में जागरूकता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। Bhagat Singh, Rajguru, and Sukhdev: A Brief History

प्रमुख घटनाएँ

1. जे.पी. सॉन्डर्स की हत्या (1928)- पुलिस लाठीचार्ज के दौरान घायल हुए लाला लाजपत राय की मौत के जवाब में, सिंह, राजगुरु और अन्य ने जिम्मेदार पुलिस अधीक्षक जेम्स ए. स्कॉट को मारने की साजिश रची। गलती से, उन्होंने एक कनिष्ठ अधिकारी सॉन्डर्स की हत्या कर दी, जिससे देश भर में हंगामा मच गया।
2. गिरफ्तारी और मुकदमा- हत्या के बाद, सिंह को राजनीतिक बयान देने के लिए केंद्रीय विधान सभा में गैर-घातक बम फेंकने के लिए 1929 में गिरफ्तार किया गया था। अपने कारावास के दौरान, उन्होंने क्रांतिकारी आदर्शों को बढ़ावा देने के लिए मुकदमे को एक मंच के रूप में इस्तेमाल किया।
3. शहादत- 23 मार्च 1931 को सिंह, राजगुरु और सुखदेव को मौत की सजा सुनाई गई। उनकी फाँसी का पूरे भारत में व्यापक विरोध और आक्रोश हुआ, जिससे शहीदों के रूप में उनकी स्थिति मजबूत हो गई।

परंपरा

भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को साहस और बलिदान के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। उनके लेखन और दर्शन कार्यकर्ताओं और स्वतंत्रता सेनानियों की पीढ़ियों को प्रेरित करते रहते हैं। उनकी शहादत को भारत में प्रतिवर्ष शहीद दिवस पर याद किया जाता है।
भारतीयों के दिलों में भगत सिंह,राजगुरु,सुखदेव ने अपना अलग अस्तित्व बनाया है। Bhagat Singh, Rajguru, and Sukhdev: A Brief History

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