कक्षा 12वीं परीक्षा 2024 class 12th exam 2024


कक्षा 12वीं परीक्षा 2024 class 12th exam 2024

शुरुआत से अंत तक जरूर पढ़े। class 12th exam 2024

प्रश्न 1.सही विकल्प चुनकर लिखिए-class 12th exam 2024

(1).बंगाल में भू-राजस्व संबंधी स्थायी बंदोबस्त(इस्तमरारी बंदोबस्त) कब लागू किया गया था?
(अ)1757 ई.          (ब)1777 ई.
(स)1793ई.✅        (द)1857ई.

(2).1857 के विद्रोह का तात्कालिक कारण क्या था?
(अ).अंग्रेज़ों की धार्मिक नीति         (ब).डलहौज़ी की राज्य हड़प नीति
(स).चर्बी वाले कारतूस✅            (द).जबरन इशाई बनाना

(3).गाँधी जी द्वारा सविनय अवज्ञा आंदोलन कब शुरू किया गया?
(अ).1920 ई.                 (ब).1928 ई.
(स).1930 ई.✅            (द). 1942 ई.

(4).महात्मा गांधी ने करो या मरो का नारा किस आंदोलन में दिया?
(अ) व्यक्तिगत सत्याग्रह           (ब) असहयोग आंदोलन
(स) भारत छोड़ो आंदोलन✅   (द) सविनय अवज्ञा आंदोलन

(5) संविधान सभा के स्थाई अध्यक्ष कौन थे?
(अ) डॉ भीमराव अंबेडकर        (ब) सरदार वल्लभभाई पटेल
(स) डॉ सच्चिदानंद सिन्हा         (द) डॉ राजेंद्र प्रसाद✅

(6) भारतीय संविधान कब लागू किया गया?
(अ) 26 जनवरी 1947 ई.       (ब) 26 जनवरी 1949 ई.
(स) 26 जनवरी 1948 ई.       (द) 26 जनवरी 1950 ई.✅

प्रश्न 2. रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए-class 12th exam 2024

(1) सुल्तान जहां बेगम …… की शासिका थी। (भोपाल)
(2) अल बिरूनी गजनी के सुल्तान ….. के साथ भारत आया था। (राजेंद्र प्रथम)
(3) कबीर के गुरु का नाम……है। (रामानन्द)
(4) विजयनगर राज्य के संरक्षक देवता……माने जाते हैं। (रायों)
(5) राजमहल की पहाड़ियों के आसपास 4 रहने वाले लोगों को….. कहा जाता है। (सौरीया पहाड़िया जनजाति)
(6) मुंबई दक्कन में भू राजस्व की…..व्यवस्था को लागू किया गया था। (रैयतवाड़ी बंदोबस्त)
(7)गोद निषेध नीति का प्रतिपादक….. था। (डलहौज़ी)

प्रश्न 3. सही जोड़ी मिलाइए-class 12th exam 2024


1. पंच महाव्रत
2. विनय पिटक ‌
3. भगवत गीता
4. सिद्धार्थ
5. इब्न बतूता
6. बर्नियर

7. ट्रैवल्स इन द मुग़ल एंपायर
8. जैन धर्म
9. बुद्ध की शिक्षाएं नियमावली
10. वैष्णो धर्म
11. महावीर स्वामी के पिता
12. रिहला 

प्रश्न 4. एक शब्द वाक्य में उत्तर दीजिए-class 12th exam 2024

1. हड़प्पा सभ्यता की खोज कब हुई थी?
उत्तर-1921 में
2. हड़प्पा सभ्यता का पूरा स्थल कालीबंगा किस नदी के किनारे स्थित था?
उत्तर-सरस्वती
3. चंद्रगुप्त मौर्य के प्रधानमंत्री का नाम क्या था?
उत्तर-चाणक्य
4. जैन धर्म में कितने तीर्थंकर हुए?
उत्तर-24
5. महात्मा बुद्ध के सच्चे ज्ञान प्राप्ति की घटना को क्या कहा गया?
उत्तर- महाभिष्क्रमण
6. अलबरूनी का वास्तविक नाम क्या था?
उत्तर-अबू रेहान मुहम्मद इब्न अहमद अल-बिरूनी

प्रश्न 5. सत्य असत्य की पहचान कीजिए-class 12th exam 2024

1. अल बिरूनी यूनानी भाषा का एक महान विद्वान था।✅
2. मुगल सम्राट बाबर पितृ पक्ष से चंगेज खान का वंशज था।✅
3. मुगल काल में पाही कास्टकार किसान जिस गांव में रहते थे उसी गांव में खेती करते थे।✅
4. प्रथम गोलमेज सम्मेलन 1930 ईस्वी में पेरिस में आयोजित किया गया था।❌
5. संविधान सभा की पहली बैठक पंडित जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में हुई थी।❌
6. भारतीय संविधान दिसंबर 1946 ई से नवंबर 1949 ई के मध्य सूत्रबद्ध किया गया था।✅


प्रश्न 6. हड़प्पा सभ्यता के उन केंद्रों के नाम लिखिए।जो शिल्प उत्पादन केंद्र के रूप में जाने जाते हैं।
अथवा
हड़प्पा लोगों के आहार में प्रयुक्त होने वाली खाद्य वस्तुओं के नाम लिखिए।
उत्तर-हड़प्पा सभ्यता के प्रमुख शिल्प उत्पादन केंद्रों में निम्नलिखित शामिल हैं-

1.मोहनजोदड़ो
2.हड़प्पा
3.चन्हुदड़ो
4.लोटल
5.कालीबंगन

ये केंद्र अपने उत्कृष्ट शिल्प कौशल और उद्योग के लिए प्रसिद्ध थे।
अथवा

हड़प्पा लोगों के आहार में प्रयुक्त होने वाली खाद्य वस्तुओं में शामिल हैं-

1.गेहूं
2.जौ
3.चना
4.मटर
5.तिल
6.बाजरा
7.चावल (कुछ स्थानों पर)
8.फलों (जैसे खजूर, अमरूद)
9.दूध और डेयरी उत्पाद (जैसे घी)

ये खाद्य वस्तुएं उनकी कृषि आधारित अर्थव्यवस्था का हिस्सा थीं। class 12th exam 2024


प्रश्न 7. इब्न बतूता किस चीज को ज्ञान का अधिक महत्वपूर्ण स्रोत मानता था?
अथवा
दुआते बारबोसा कौन था?

इब्न बतूता यात्रा और यात्रा वृतांत को ज्ञान का महत्वपूर्ण स्रोत मानता था। उन्होंने अपने अनुभवों और यात्रा के दौरान मिले विभिन्न संस्कृतियों, लोगों और स्थलों के बारे में विस्तृत जानकारी प्रस्तुत की, जिसे उन्होंने अपने प्रसिद्ध काम “रिह्ला” में दर्ज किया। उनका मानना था कि यात्रा से ही व्यक्ति की समझ और ज्ञान में वृद्धि होती है। class 12th exam 2024
अथवा

दुआते बारबोसा, जिनका असली नाम हेज़ार रेज़ा था, एक प्रमुख ओटोमन एडमिरल और समुद्री कमांडर थे। वे 16वीं सदी में सक्रिय रहे और विशेष रूप से भूमध्य सागर में अपने नौसैनिक अभियानों के लिए जाने जाते हैं। बारबोसा ने ओटोमन साम्राज्य के लिए कई महत्वपूर्ण जीत दिलाईं और उनकी रणनीतियों ने समुद्री शक्तियों में ओटोमन प्रभाव को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्हें एक कुशल नाविक और युद्ध नेता माना जाता है।


प्रश्न 8. करइकाल अम्मइय्यार कौन थी?
अथवा
खानकाह के अर्थ को स्पष्ट कीजिए?

करइकाल अम्मइय्यार एक प्रमुख सती और संत थीं, जो तमिल संत परंपरा में महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं। वे 7वीं शताब्दी के आसपास जीवित रहीं और उन्हें “सिद्ध आत्मा” माना जाता है। करइकाल अम्मइय्यर ने शिव भक्ति में अपनी गहरी निष्ठा के लिए प्रसिद्धि प्राप्त की।
उनकी कविताएँ और भजन, जिन्हें “तिरुप्पैवल” के रूप में जाना जाता है, शिव के प्रति उनके प्रेम और devotion को व्यक्त करते हैं। वे एक सशक्त महिला थीं, जिन्होंने समाज में स्त्री की स्थिति को एक नई पहचान दी।

अथवा

“खानकाह” एक इस्लामी संस्थान है, जो सूफी परंपरा से संबंधित है। इसे आमतौर पर एक साधना केंद्र या आश्रम के रूप में परिभाषित किया जाता है, जहां सूफी संत और अनुयायी ध्यान, प्रार्थना, और धार्मिक शिक्षा के लिए इकट्ठा होते हैं।
खानकाह का उद्देश्य आध्यात्मिक विकास, समुदाय निर्माण, और धार्मिक विचारों का प्रचार करना है। यहाँ पर भक्तों को सूफी साधनाओं, परंपराओं और नैतिकता के बारे में सिखाया जाता है। यह स्थान धार्मिक एकता और शांति का प्रतीक होता है। class 12th exam 2024


प्रश्न 9. 16वीं शताब्दी में विजयनगर की यात्रा करने वाली किन्हीं तीन विदेशी यात्रियों के नाम लिखिए?
अथवा
अमुक्तमाल्यद नामक ग्रंथ की रचना किसने की थी? इस ग्रंथ की विषय वस्तु क्या थी?

16वीं शताब्दी में विजयनगर की यात्रा करने वाले तीन विदेशी यात्रियों के नाम है-
1.फ्रांसिस्को ज़ेवियर
2.डॉ. निकोलस पाउलोट
3.एंटोनियो गूयजोट
इन यात्रियों ने विजयनगर साम्राज्य की समृद्धि और संस्कृति का विस्तृत विवरण दिया है।

अमुक्तमाल्यदा नामक ग्रंथ की रचना कृष्णदेव राय ने की थी, जो विजयनगर साम्राज्य के एक प्रसिद्ध राजा थे।
यह ग्रंथ मुख्यतः संस्कृत में लिखा गया है और इसका विषय वस्तु काव्य और साहित्य है। इसमें राजनैतिक, धार्मिक और सामाजिक मुद्दों के साथ-साथ प्रेम, भक्ति और नैतिकता के तत्व भी शामिल हैं। यह ग्रंथ साहित्यिक उत्कृष्टता के लिए जाना जाता है और भारतीय काव्य परंपरा में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। class 12th exam 2024


प्रश्न 10.अकबरनामा नामक ग्रंथ के रचनाकार कौन है? यह ग्रंथ कितने भागों में विभक्त है?
अथवा
जींस ए कामिल के अंतर्गत आने वाली किन्हीं पांच फसलों के नाम लिखिए?

अकबरनामा नामक ग्रंथ के रचनाकार बादशाह अकबर के दरबारी लेखक अबुल फजल हैं।

यह ग्रंथ तीन भागों में विभक्त है-
1.पहला भाग – “जुगफर” (अकबर के पूर्वजों और जन्म)
2.दूसरा भाग – “जंग” (अकबर के शासनकाल के घटनाक्रम)
3.तीसरा भाग – “दीवान” (अकबर के प्रशासन, शासन नीतियों और समकालीन समाज के बारे में)
अकबरनामा भारतीय इतिहास और अकबर के जीवन का एक महत्वपूर्ण स्रोत है।

जींस ए कामिल के अंतर्गत आने वाली पांच फसलों के नाम हैं-
1.गेहूं
2.जौ
3.चना
4.मटर
5.बाजरा
ये फसलें कृषि में महत्वपूर्ण हैं और विभिन्न क्षेत्रों में उगाई जाती हैं। class 12th exam 2024


प्रश्न 11. लॉर्ड कॉर्नवालिस ने बंगाल में भू राजस्व की किस पद्धति को प्रचलित किया था?
अथवा
मुंबई दक्कन में अंग्रेजों द्वारा लागू की गई राजस्व प्रणाली का नाम बताइए?

लॉर्ड कॉर्नवालिस ने बंगाल में जमींदारी पद्धति को प्रचलित किया था। इस पद्धति के तहत जमींदारों को भूमि के स्वामित्व और राजस्व संग्रह का अधिकार दिया गया, जिससे वे सरकार को भू-राजस्व प्रदान करते थे। यह व्यवस्था भारतीय कृषि और सामाजिक संरचना पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालने वाली थी।

मुंबई दक्कन में अंग्रेजों द्वारा लागू की गई राजस्व प्रणाली का नाम पट्टी प्रणाली है। इस प्रणाली के तहत किसानों से प्रतिवर्ष निश्चित राशि के रूप में राजस्व वसूला जाता था। class 12th exam 2024


प्रश्न 12. 1857 ई के विद्रोह के चार महत्वपूर्ण केंद्रों के नाम लिखिए।
अथवा
1857 के विद्रोह का सबसे महत्वपूर्ण परिणाम क्या हुआ?

1857 ई. के विद्रोह के चार महत्वपूर्ण केंद्रों के नाम हैं-
1.दिल्ली
2.लखनऊ
3.कानपूर
4.झाँसी
ये केंद्र विद्रोह के दौरान महत्वपूर्ण घटनाओं और संघर्षों के लिए प्रसिद्ध रहे।

1857 के विद्रोह का सबसे महत्वपूर्ण परिणाम था ब्रिटिश राज का पुनर्गठन और सीधे ब्रिटिश शासन की स्थापना । इसके बाद, भारतीय उपमहाद्वीप में प्रशासन और शासन की व्यवस्था में बदलाव किया गया, जिससे भारत पर ब्रिटिश राज की पकड़ मजबूत हुई। इस विद्रोह ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की नींव रखी और आगे चलकर भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को प्रेरित किया। class 12th exam 2024


प्रश्न 13. गांधी जी ने नमक पर कानून कब और कहां तोड़ा?
अथवा
कैबिनेट मिशन के बारे में आप क्या जानते हैं?

गांधी जी ने नमक पर कानून 6 अप्रैल 1930 को दांडी (गुजरात) में तोड़ा। यह घटना “दांडी मार्च” के रूप में प्रसिद्ध है, जिसमें उन्होंने समुद्र के किनारे जाकर नमक बनाने का कार्य किया, जिससे ब्रिटिश नमक कानून का उल्लंघन हुआ। यह सत्याग्रह स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण चरण था।

कैबिनेट मिशन, जिसे 1946 में भारत के राजनीतिक मुद्दों को हल करने के लिए ब्रिटिश सरकार द्वारा भेजा गया, महत्वपूर्ण था। इसके प्रमुख उद्देश्य थे-

1.संविधान निर्माण- भारतीय राजनीतिक दलों के साथ मिलकर एक नए संविधान का मसौदा तैयार करना।
2.स्वायत्तता- भारतीय प्रांतों को अधिक स्वायत्तता देने की प्रक्रिया को निर्धारित करना।
3.आगामी चुनाव- भारतीय संघ के लिए चुनाव कराने की प्रक्रिया की योजना बनाना।

कैबिनेट मिशन ने तीन सदस्यीय आयोग के रूप में कार्य किया, जिसमें लॉर्ड पैट्रिक लॉन्ट, सर स्टाफोर्ड क्रिप्स, और एच.सी. गिल्बर्ट शामिल थे। हालांकि, इसका प्रस्ताव भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और मुस्लिम लीग के बीच मतभेदों के कारण सफल नहीं हो सका, जिसके परिणामस्वरूप भारत का विभाजन और स्वतंत्रता की दिशा में आगे बढ़ना हुआ। class 12th exam 2024


प्रश्न 14. संविधान सभा में ऐतिहासिक उद्देश्य प्रस्ताव कब और किसके द्वारा प्रस्तुत किया गया?
अथवा
संविधान सभा के 6 प्रमुख सदस्यों के नाम बताइए।

संविधान सभा में ऐतिहासिक उद्देश्य प्रस्ताव 13 दिसंबर 1946 को जवाहरलाल नेहरू द्वारा प्रस्तुत किया गया। इस प्रस्ताव ने भारतीय संविधान के मूल सिद्धांतों और लक्ष्यों को निर्धारित किया।

संविधान सभा के छह प्रमुख सदस्यों के नाम हैं-

1.डॉ. राजेंद्र प्रसाद (अध्यक्ष)
2.जवाहरलाल नेहरू
3.सरदार वल्लभभाई पटेल
4.डॉ. भीमराव अंबेडकर (संविधान के मसौदा समिति के अध्यक्ष)
5.सुखराम जी
6.महामना मदन मोहन मालवीय

ये सदस्य भारतीय संविधान के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। class 12th exam 2024


प्रश्न 15. संविधान की उद्देशिका या प्रस्तावना की कोई चार प्रमुख बातें अपने शब्दों में लिखिए?
अथवा
जवाहरलाल नेहरू के उद्देश्य प्रस्ताव को एक ऐतिहासिक प्रस्ताव क्यों कहा जाता है?

जवाहरलाल नेहरू के उद्देश्य प्रस्ताव को एक ऐतिहासिक प्रस्ताव इसलिए कहा जाता है क्योंकि-

1.संविधान की नींव- यह प्रस्ताव भारतीय संविधान के मूल सिद्धांतों और लक्ष्यों को स्पष्ट करता है, जो बाद में संविधान में शामिल किए गए।

2.स्वतंत्रता और समानता- इसमें भारतीय स्वतंत्रता, सामाजिक समानता, और न्याय की महत्वपूर्ण अवधारणाओं को संप्रेषित किया गया, जो स्वतंत्र भारत के लिए आवश्यक थे।

3.राष्ट्रीय एकता- यह प्रस्ताव विभिन्न जातियों, धर्मों और वर्गों के बीच एकता और सहिष्णुता को बढ़ावा देने के लिए एक मार्गदर्शक के रूप में कार्य करता है।

4.राजनीतिक दिशा- प्रस्ताव ने भारतीय राजनीतिक परिदृश्य को दिशा दी और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के स्वतंत्रता संग्राम के लक्ष्यों को स्पष्ट किया।

इन कारणों से, इसे भारतीय राजनीति और संविधान निर्माण में एक मील का पत्थर माना जाता है।

संविधान की उद्देशिका या प्रस्तावना की चार प्रमुख बातें निम्नलिखित हैं-

1.लोकतंत्र की स्थापना- प्रस्तावना में भारत को एक लोकतांत्रिक गणराज्य के रूप में स्थापित करने का संकल्प व्यक्त किया गया है, जहां सभी नागरिकों को समानता और स्वतंत्रता के अधिकार होंगे।

2.सामाजिक न्याय- यह सामाजिक न्याय की अवधारणा को बढ़ावा देती है, जिसका अर्थ है कि सभी नागरिकों को उनके वर्ग, जाति या धर्म के आधार पर भेदभाव के बिना समान अवसर और अधिकार मिलें।

3.नागरिकों के अधिकार- प्रस्तावना में यह स्पष्ट किया गया है कि सभी नागरिकों को मौलिक अधिकार दिए जाएंगे, जो उनके जीवन, स्वतंत्रता और गरिमा की रक्षा करेंगे।

4.संविधान के प्रति प्रतिबद्धता- इसमें संविधान के प्रति नागरिकों की प्रतिबद्धता और देश के प्रति उनकी जिम्मेदारी को दर्शाया गया है, जिससे एक समृद्ध और प्रगतिशील समाज का निर्माण हो सके। class 12th exam 2024


प्रश्न 16. शास्त्रों के अनुसार केवल क्षत्रिय ही शासक बन सकते थे क्या आप इस कथन से सहमत हैं या अस्मत हैं साक्ष्यों सहित अपने उत्तर की पुष्टि कीजिए?
अथवा
किन मायनों में सामाजिक अनुबंध की बौद्ध अवधारणा समाज के उस ब्रह्मणीय दृष्टिकोण से भिन्न थी जो पुरुषसूक्त पर आधारित था?

इस कथन में एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य है, लेकिन इसे पूर्ण रूप से सही मानना उचित नहीं है। भारतीय शास्त्रों में वर्ण व्यवस्था के अनुसार क्षत्रिय को शासक वर्ग माना गया है, जो राज्य और समाज की रक्षा के लिए जिम्मेदार होते थे।

हालांकि, विभिन्न ऐतिहासिक साक्ष्य यह भी दर्शाते हैं कि अन्य वर्णों के लोग भी शासन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते थे। उदाहरण के लिए, कई ब्राह्मण राजाओं का उल्लेख मिलता है, जैसे चंद्रगुप्त मौर्य और अशोक। इसके अलावा, कुछ स्थानों पर वैश्य और शूद्र वर्ग के लोग भी सत्ता में आ चुके थे।

इसलिए, यह कहना कि केवल क्षत्रिय ही शासक बन सकते थे, यह एक अत्यधिक सीमित दृष्टिकोण है। भारतीय इतिहास में विविधता और जटिलता को ध्यान में रखते हुए, शासन का विषय कई कारकों पर निर्भर करता है, जिसमें राजनीतिक, सामाजिक और ऐतिहासिक कारक शामिल हैं।

बौद्ध अवधारणा और ब्रह्मणीय दृष्टिकोण, विशेष रूप से पुरुषसूक्त के संदर्भ में, सामाजिक अनुबंध के सिद्धांत में विभिन्नताएँ प्रस्तुत करते हैं।

1.सामाजिक समानता*: बौद्ध दृष्टिकोण सामाजिक समानता पर जोर देता है, जिसमें जाति या वर्ग के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाता। बौद्ध धर्म में हर व्यक्ति की नैतिकता और कार्यों को प्राथमिकता दी जाती है, जबकि पुरुषसूक्त में पुरुषों को विशेष स्थान और अधिकार दिए गए हैं।

2.धर्म और आचरण- बौद्ध दृष्टिकोण में व्यक्ति के आचरण और धर्म (धम्म) की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। ब्रह्मणीय दृष्टिकोण में शास्त्रों के प्रति निष्ठा और जातीय विशेषताएँ प्रमुख होती हैं।

3.सामाजिक अनुबंध का स्वरूप- बौद्ध विचार में समाज का अनुबंध नैतिक जिम्मेदारियों पर आधारित है, जबकि ब्रह्मणीय दृष्टिकोण में यह सामाजिक स्थिति और जाति व्यवस्था पर आधारित है।

4.निर्वाण की अवधारणा- बौद्ध धर्म में अंतिम लक्ष्य निर्वाण है, जो व्यक्तिगत मुक्ति और सामाजिक तंत्र से परे है। ब्रह्मणीय दृष्टिकोण में मोक्ष की प्राप्ति मुख्यतः जाति और धार्मिक अनुष्ठानों के माध्यम से होती है।

इन बिंदुओं के माध्यम से, स्पष्ट होता है कि बौद्ध अवधारणा सामाजिक अनुबंध को अधिक समावेशी और समानता पर केंद्रित करती है, जबकि ब्रह्मणीय दृष्टिकोण जातिगत विभाजन और विशेषाधिकारों पर जोर देता है।


प्रश्न 17. स्तूपों की संरचना के विषय में आप क्या जानते हैं संक्षेप में लिखिए।
अथवा
सांची के स्तूप के संरक्षण में भोपाल की बेगमों की भूमिका की चर्चा कीजिए।

स्तूप बौद्ध वास्तुकला की एक महत्वपूर्ण संरचना है, जो मुख्यतः बुद्ध के अवशेषों या धार्मिक वस्तुओं को संरक्षित करने के लिए बनाए जाते हैं। स्तूपों की संरचना में निम्नलिखित प्रमुख तत्व होते हैं-

1.चौखट- स्तूप का आधार, जो इसकी स्थिरता को बढ़ाता है। इसे आमतौर पर एक गोलाकार या चौकोर आकार में बनाया जाता है।

2.धातु (दर्भ)- चौखट के ऊपर की गोलाकार संरचना, जिसे “गुहा” या “धातु” कहते हैं। यह अक्सर एक अर्धगोलाकार ढांचे में होती है।

3.शिखर (चक्र)- धातु के ऊपर स्थित एक छोटे शिखर या चक्र का स्थान होता है, जो आत्मज्ञान और ऊँचाई का प्रतीक है।

4.अष्टकोण- स्तूप के चारों दिशाओं में अष्टकोणीय खंड होते हैं, जो इसकी सजावट और वास्तु का हिस्सा होते हैं।

5.संविधान- स्तूप का निर्माण आमतौर पर ईंटों, पत्थरों या अन्य सामग्रियों से किया जाता है, और इसे रंगीन और नक्काशीदार बनाया जा सकता है।

स्तूप धार्मिक आस्था, ध्यान और पूजा का स्थल होता है, और यह बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

सांची के स्तूप के संरक्षण में भोपाल की बेगमों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण थी, विशेष रूप से 19वीं सदी में।

1.बेगम सुल्ताना- बेगम सुल्ताना ने सांची के स्तूपों और बौद्ध अवशेषों की देखभाल और संरक्षण के लिए प्रयास किए। उनके संरक्षण कार्यों के चलते, सांची के स्तूपों का महत्व फिर से जागृत हुआ और इन्हें संरक्षित किया गया।

2.धरोहर का संरक्षण- बेगमों ने न केवल स्तूपों का संरक्षण किया, बल्कि उन्होंने इनकी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्ता को भी समझा। उन्होंने पुरातात्विक सर्वेक्षण और मरम्मत कार्यों के लिए निधियाँ भी प्रदान कीं।

3.विकास और पर्यटन- बेगमों ने सांची के विकास के लिए स्थानीय प्रशासन को प्रेरित किया, जिससे यह स्थल एक प्रमुख पर्यटन केंद्र बना। उन्होंने स्थानीय लोगों को इस धरोहर की महत्वता से अवगत कराया और इसे संरक्षित करने के लिए प्रेरित किया।

4.शिक्षा और जागरूकता- बेगमों ने स्थानीय समुदाय में जागरूकता फैलाने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया, जिससे सांची की ऐतिहासिक धरोहर के प्रति सम्मान और संरक्षण की भावना बढ़ी।

इन प्रयासों के परिणामस्वरूप, सांची के स्तूप न केवल संरक्षित हुए, बल्कि वे भारतीय इतिहास और संस्कृति के एक महत्वपूर्ण प्रतीक के रूप में स्थापित हो गए। class 12th exam 2024


प्रश्न 18. 1857 ई के विद्रोह के राजनीतिक कारणों का वर्णन कीजिए।
अथवा
बहुत सारे स्थान पर विद्रोहियों सिपाहियों ने नेतृत्व संभालने के लिए पुराने शासको से क्या आग्रह किया?

1857 ई. के विद्रोह के राजनीतिक कारणों में निम्नलिखित प्रमुख तत्व शामिल हैं-

1.ब्रिटिश राज का विस्तार- ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत में तेजी से अपना क्षेत्र बढ़ाया, जिससे स्थानीय राजाओं और नबाबों की सत्ता कमजोर हुई। कई राजाओं को उनकी रियासतों से बेदखल किया गया, जिससे उनमें असंतोष पैदा हुआ।

2.लॉर्ड डलहौजी की नीति- लॉर्ड डलहौजी ने ‘लैप्स पॉलिसी’ अपनाई, जिसके अंतर्गत बिना वारिस वाले रियासतों को ब्रिटिश साम्राज्य में मिलाया गया। इससे कई शासकों और उनके वंशजों में आक्रोश उत्पन्न हुआ।

3.राजनीतिक अधिकारों का हनन- भारतीय सामंतों और शासकों के राजनीतिक अधिकारों का हनन किया गया, जिससे उन्होंने अपनी स्थिति को खतरे में देखा और विद्रोह का समर्थन किया।

4.सामाजिक और सांस्कृतिक हस्तक्षेप- ब्रिटिशों द्वारा भारतीय संस्कृति, धर्म और परंपराओं में हस्तक्षेप ने भी लोगों में नाराज़गी पैदा की।

5.सैनिकों की भर्तियाँ और भेदभाव- भारतीय सैनिकों (सिपाहियों) के साथ भेदभाव किया गया। उन्हें अंग्रेज़ सैनिकों के समान वेतन और सुविधाएँ नहीं मिलीं, जिससे उनमें असंतोष बढ़ा।

6.साम्राज्यवादी नीतियाँ- ब्रिटिश नीतियों ने भारतीय अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया, जिससे किसानों और व्यापारियों के बीच भी असंतोष फैल गया।

इन राजनीतिक कारणों के संयोजन ने 1857 के विद्रोह को जन्म दिया, जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की पहली महत्वपूर्ण पहल के रूप में उभरा।

1857 के विद्रोह के दौरान, विद्रोहियों और सिपाहियों ने पुराने शासकों से राज्य पुनः स्थापित करने का आग्रह किया। उन्होंने इन शासकों से नेतृत्व संभालने का अनुरोध किया, ताकि वे ब्रिटिश राज के खिलाफ संगठित होकर संघर्ष कर सकें। विद्रोहियों का मानना था कि पुराने शासक ही भारत की स्वतंत्रता और सांस्कृतिक पहचान की रक्षा कर सकते हैं।

विशेष रूप से, बाहरी शासकों के प्रति विरोध और धार्मिक एकता के लिए इन शासकों का समर्थन महत्वपूर्ण था, जिससे विद्रोहियों की ताकत और सामर्थ्य बढ़ सके। class 12th exam 2024


प्रश्न 19. 1857 ई के घटनाक्रम को निर्धारित करने में धार्मिक विश्वासों की किस हद तक भूमिका थी?
अथवा
उन साक्ष के बारे में चर्चा कीजिए जिसे पता चलता है कि विद्रोही योजनाबद्ध और समन्वित ढंग से काम कर रहे थे?

1857 ई. के विद्रोह के घटनाक्रम में धार्मिक विश्वासों की भूमिका महत्वपूर्ण थी, निम्नलिखित पहलुओं के माध्यम से-

1.धार्मिक असंतोष- ब्रिटिशों द्वारा भारतीय संस्कृति और धार्मिक परंपराओं में हस्तक्षेप ने असंतोष बढ़ाया। सिपाहियों को यह चिंता थी कि ब्रिटिश सरकार हिंदू और मुस्लिम दोनों धर्मों के प्रति असम्मानजनक नीति अपना रही है।

2.कारतूस विवाद- नई राइफल के कारतूसों में गाय और सुअर की चर्बी का उपयोग होने की अफवाह ने हिंदू और मुस्लिम सिपाहियों के बीच असहमति पैदा की। इसे धार्मिक अपमान के रूप में देखा गया, जिससे विद्रोह की आग भड़की।

3.धार्मिक नेतृत्व- विद्रोह के दौरान, कई धार्मिक नेताओं ने विद्रोहियों को समर्थन दिया। उदाहरण के लिए, बहादुर शाह ज़फर (जो अंतिम मुग़ल सम्राट थे) और मौलवी अहमदुल्ला ने धार्मिक भावना को प्रेरित किया और विद्रोह का नेतृत्व किया।

4.सामाजिक एकता- धार्मिक विश्वासों ने विभिन्न वर्गों और समुदायों को एकजुट करने में भी मदद की। हिंदू और मुस्लिम सिपाही एक सामान्य दुश्मन के खिलाफ एक साथ खड़े हुए।

5.उम्मीदें और आकांक्षाएँ- विद्रोहियों ने पुराने धार्मिक राजाओं की बहाली की उम्मीद की, जिससे वे अपने धार्मिक और सांस्कृतिक अधिकारों को पुनः प्राप्त कर सकें।

इस प्रकार, धार्मिक विश्वासों ने न केवल विद्रोह के कारणों को जन्म दिया, बल्कि इसे एक सामाजिक और सांस्कृतिक आंदोलन का रूप भी दिया।

1857 के विद्रोह के दौरान विद्रोहियों के योजनाबद्ध और समन्वित ढंग से काम करने के कुछ प्रमुख साक्ष्य निम्नलिखित हैं-

1.संयुक्त योजना- विद्रोही नेताओं ने विभिन्न स्थानों पर विद्रोह को एक साथ मिलकर करने के लिए योजना बनाई। उदाहरण के लिए, मेरठ, दिल्ली, कानपूर और लखनऊ में विद्रोह एक ही समय में शुरू हुआ, जो समन्वय का संकेत है।

2.संचार नेटवर्क- विद्रोहियों के बीच संचार के लिए पैगंबरों और संदेशवाहकों का इस्तेमाल किया गया। यह दर्शाता है कि वे एक संगठित ढंग से सूचना का आदान-प्रदान कर रहे थे।

3.सैनिकों की भागीदारी- विद्रोह में सिपाहियों और सैनिकों ने एकजुट होकर भाग लिया, और विभिन्न रेजिमेंट्स ने एक-दूसरे के साथ सहयोग किया। उनके बीच की एकजुटता यह साबित करती है कि वे सामूहिक रूप से कार्रवाई करने के लिए तैयार थे।

4.स्थानीय नेताओं का समर्थन- विभिन्न स्थानीय नेताओं, जैसे कि रानी झाँसी और बहादुर शाह ज़फर, ने विद्रोह में भाग लिया और इसे एक राष्ट्रीय संघर्ष के रूप में देखने का प्रयास किया। उनके द्वारा किए गए आह्वान और समर्थन से यह स्पष्ट होता है कि विद्रोह का एक समन्वित नेतृत्व था।

5.साजिशें और रणनीतियाँ- विद्रोह के दौरान कई स्थानों पर विद्रोहियों ने ब्रिटिश सैनिकों पर अचानक हमले करने की योजना बनाई, जो एक सुव्यवस्थित रणनीति का परिचायक था।

इन साक्ष्यों से यह स्पष्ट होता है कि विद्रोही योजनाबद्ध और समन्वित ढंग से काम कर रहे थे, जो कि विद्रोह की व्यापकता और प्रभावशीलता का एक महत्वपूर्ण पहलू है। class 12th exam 2024


प्रश्न 20. अशोक के धर्म की प्रमुख विशेषताएं लिखिए।
अथवा
प्राचीन भारतीय इतिहास को जानने में सिक्कों का क्या महत्व है क्या इसे वैज्ञानिक प्रगति के बारे में कोई जानकारी मिलती है?

अशोक के धर्म की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

1.अहिंसा का पालन- अशोक ने अहिंसा को अपने धर्म का मुख्य सिद्धांत माना। उन्होंने युद्ध और हिंसा का विरोध किया और शांति के महत्व को प्रचारित किया।

2.धर्म की प्रचारणा- अशोक ने धर्म के प्रचार के लिए विशेष रूप से बौद्ध धर्म को अपनाया और इसे फैलाने के लिए भिक्षुओं को भेजा। उन्होंने धार्मिक सभाओं और दीक्षा समारोहों का आयोजन किया।

3.सभी धर्मों का सम्मान- अशोक ने सभी धार्मिक परंपराओं का सम्मान किया और धार्मिक सहिष्णुता को बढ़ावा दिया। उन्होंने विभिन्न धर्मों के अनुयायियों के बीच संवाद और सह-अस्तित्व की आवश्यकता को स्वीकार किया।

4.सामाजिक कल्याण- उन्होंने सामाजिक कल्याण के लिए कई उपाय किए, जैसे कि चिकित्सा, जल संरक्षण और पशु कल्याण। उनके शिलालेखों में जनकल्याण की बातें स्पष्ट रूप से दिखाई देती हैं।

5.नैतिकता और नैतिक शिक्षा- अशोक ने नैतिकता, सत्य, और धर्म के पालन की दिशा में लोगों को जागरूक करने के लिए उपदेश दिए। उनके शिलालेखों में नैतिकता के सिद्धांतों को प्रमुखता से रखा गया है।

6.स्थायी कल्याण की अवधारणा- अशोक ने स्थायी कल्याण और सामाजिक न्याय की आवश्यकता पर जोर दिया, जिससे समृद्धि और शांति का वातावरण तैयार किया जा सके।

इन विशेषताओं के माध्यम से, अशोक ने एक ऐसी धार्मिक और नैतिक नींव स्थापित की, जो न केवल उसके शासनकाल में, बल्कि भारतीय संस्कृति और समाज पर दीर्घकालिक प्रभाव डालती है।

प्राचीन भारतीय इतिहास को जानने में सिक्कों का महत्व कई कारणों से है-

1.तारीख और कालक्रम- सिक्कों पर अंकित तिथियाँ, राजाओं के नाम और प्रतीक, ऐतिहासिक घटनाओं का सटीक कालक्रम निर्धारित करने में मदद करते हैं। इससे विभिन्न साम्राज्यों और शासकों के बारे में जानकारी मिलती है।

2.आर्थिक संरचना- सिक्के व्यापार और अर्थव्यवस्था के संदर्भ में महत्वपूर्ण साक्ष्य प्रदान करते हैं। यह दर्शाते हैं कि किस प्रकार की मुद्राएँ प्रचलित थीं और उनका उपयोग कैसे किया जाता था।

3.सांस्कृतिक और धार्मिक जानकारी- सिक्कों पर चित्रित प्रतीक, देवी-देवताओं, और अन्य धार्मिक तत्व सांस्कृतिक और धार्मिक प्रथाओं के बारे में जानकारी देते हैं। यह बताता है कि उस समय की समाज की धार्मिक मान्यताएँ क्या थीं।

4.भाषाई विकास- सिक्कों पर लिखावटों और भाषा के प्रयोग से प्राचीन भारतीय भाषाओं और उनके विकास के बारे में जानकारी मिलती है।

5.सामाजिक संरचना- सिक्कों का अध्ययन सामाजिक वर्गों और श्रेणियों के बीच संबंधों को समझने में मदद करता है। यह दर्शाता है कि किन वर्गों के लोग व्यापार में संलग्न थे।

वैज्ञानिक प्रगति का संकेत

1.धातु विज्ञान- सिक्कों के निर्माण में प्रयुक्त धातुओं और उनकी मिश्रण विधियों से धातु विज्ञान की जानकारी मिलती है। इससे यह पता चलता है कि प्राचीन भारतीय लोग धातु की गुणवत्ता और उसके प्रयोग में कितने उन्नत थे।

2.तंत्रज्ञान- सिक्कों के निर्माण के लिए आवश्यक उपकरण और तकनीकों से उस समय की तंत्रज्ञान की प्रगति का आभास होता है।

इस प्रकार, प्राचीन भारतीय सिक्के न केवल ऐतिहासिक जानकारी प्रदान करते हैं, बल्कि वैज्ञानिक प्रगति और समाज की आर्थिक, सांस्कृतिक, और धार्मिक संरचना की भी झलक देते हैं। class 12th exam 2024


प्रश्न 21. भक्ति आंदोलन का सामाजिक जीवन पर क्या प्रभाव पड़ा संक्षेप में लिखिए। class 12th exam 2024
अथवा
लिंगायत कौन थे? जाति प्रथा के विशेष संबंध में सामाजिक और धार्मिक क्षेत्र में उनके योगदान की व्याख्या कीजिए।

भक्ति आंदोलन का सामाजिक जीवन पर कई महत्वपूर्ण प्रभाव पड़े, जिनमें शामिल हैं-

1.सामाजिक समता- भक्ति आंदोलन ने जाति और वर्ग के भेदभाव को कम किया। भक्ति संतों ने सभी लोगों को समान रूप से भगवान का भक्त मानते हुए एकता का संदेश दिया।

2.धार्मिक सहिष्णुता- इस आंदोलन ने विभिन्न धर्मों के बीच सहिष्णुता को बढ़ावा दिया। संतों ने हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच संवाद और एकता की आवश्यकता पर जोर दिया।

3.महिलाओं की भागीदारी- भक्ति आंदोलन ने महिलाओं को धार्मिक गतिविधियों में शामिल होने का अवसर प्रदान किया, जिससे उनकी स्थिति में सुधार हुआ और उन्हें अपनी आवाज उठाने का मंच मिला।

4.आध्यात्मिक जागरूकता- भक्ति संतों के उपदेशों ने आम लोगों में आध्यात्मिक जागरूकता बढ़ाई। साधारण लोगों ने धार्मिकता को जीवन का एक अभिन्न हिस्सा माना।

5.कला और साहित्य- भक्ति आंदोलन ने साहित्य, संगीत और कला के विकास को प्रेरित किया। संतों की रचनाएँ आज भी भारतीय साहित्य और संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।

इन प्रभावों के माध्यम से, भक्ति आंदोलन ने भारतीय समाज में गहरे परिवर्तन और जागरूकता का संचार किया।

लिंगायत एक धार्मिक आंदोलन है जो मुख्य रूप से कर्नाटका क्षेत्र में प्रचलित है। इसके संस्थापक बासवन्ना (12वीं शताब्दी) माने जाते हैं। लिंगायतों का मुख्य धर्म शिव भक्ति पर आधारित है, और वे “लिंग” (शिव का प्रतीक) को पूजते हैं।

जाति प्रथा के संदर्भ में लिंगायतों का योगदान:

1.जाति व्यवस्था का विरोध- लिंगायत आंदोलन ने जाति प्रथा के खिलाफ खुला विरोध किया। उन्होंने सामाजिक समानता और मानवता के मूल्यों को स्थापित करने का प्रयास किया, जिससे जातिगत भेदभाव कम हुआ।

2.सामाजिक समता- लिंगायतों ने सभी मानवों को समान मानते हुए भक्ति और धार्मिकता के आधार पर एक समाज बनाने की दिशा में काम किया। यह आंदोलन विभिन्न जातियों के लोगों को एक साथ लाने में सफल रहा।

3.नारी अधिकार- लिंगायत समाज में महिलाओं को अधिक स्वतंत्रता और सम्मान दिया गया। उन्होंने महिलाओं की शिक्षा और उनकी सामाजिक भूमिका को बढ़ावा दिया, जिससे जाति प्रथा के दुष्प्रभावों को कम किया गया।

4.सामाजिक सेवाएँ- लिंगायत संतों ने समाज में सुधार लाने के लिए कई सामाजिक सेवाओं की शुरुआत की, जैसे शिक्षा का प्रचार, रोगियों की सेवा, और गरीबों की मदद करना।

5.धार्मिक स्वतंत्रता- लिंगायतों ने व्यक्तिगत आस्था और भक्ति पर जोर दिया, जिससे लोगों को अपने धार्मिक विश्वासों के प्रति अधिक स्वतंत्रता मिली। यह धार्मिक सहिष्णुता को बढ़ावा देने में मददगार रहा।

निष्कर्ष

लिंगायत आंदोलन ने भारतीय समाज में जाति प्रथा के खिलाफ एक सशक्त प्रतिक्रिया दी और सामाजिक समता, नारी अधिकार, और धार्मिक स्वतंत्रता की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान किया। इसने न केवल कर्नाटका बल्कि पूरे भारत में सामाजिक और धार्मिक सोच को प्रभावित किया। class 12th exam 2024


प्रश्न 22. भारत में महात्मा गांधी के सत्याग्रह के प्रथम प्रयोग के विषय में आप क्या जानते हैं?
अथवा
राष्ट्रीय आंदोलन के अध्ययन के लिए अखबार महत्वपूर्ण स्रोत क्यों है?

महात्मा गांधी के सत्याग्रह के प्रथम प्रयोग को 1917 में चंपारण सत्याग्रह के रूप में जाना जाता है। यह घटना बिहार के चंपारण जिले में हुई थी और इसके मुख्य बिंदु निम्नलिखित हैं-

1.पृष्ठभूमि- चंपारण में ब्रिटिश प्लांटर्स ने किसानों को नील की खेती के लिए मजबूर किया, जिससे किसान आर्थिक रूप से परेशान और शोषित हो गए। किसानों को कम कीमत पर नील का उत्पादन करने के लिए बाध्य किया गया, जिससे उनकी स्थिति खराब हो गई।

2.सत्याग्रह का आरंभ- किसानों की समस्याओं को समझने के लिए गांधी जी चंपारण पहुंचे। उन्होंने स्थानीय किसानों के साथ मिलकर उनके अधिकारों की रक्षा करने का संकल्प लिया। यह उनका पहला सत्याग्रह था, जिसमें उन्होंने अहिंसा और सत्य के आधार पर संघर्ष किया।

3.प्रभाव- गांधी जी के नेतृत्व में किसानों ने संगठित होकर अपनी मांगें रखीं। अंततः ब्रिटिश सरकार ने किसानों की समस्याओं को स्वीकार किया और कई सुधार किए।

4.सत्याग्रह की विधि- गांधी जी ने सत्याग्रह के माध्यम से जन जागरूकता और सामाजिक एकता को बढ़ावा दिया। उन्होंने अहिंसात्मक तरीके से अन्याय का सामना करने की प्रेरणा दी।

5.महत्व- चंपारण सत्याग्रह ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में गांधी जी की भूमिका को महत्वपूर्ण बना दिया। यह सत्याग्रह एक प्रेरणास्त्रोत बना और आगे चलकर स्वतंत्रता आंदोलन की अन्य गतिविधियों में अहम भूमिका निभाई।

इस प्रकार, चंपारण सत्याग्रह महात्मा गांधी के सत्याग्रह के सिद्धांतों का पहला सफल प्रयोग था और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक मील का पत्थर साबित हुआ।class 12th exam 2024

राष्ट्रीय आंदोलन के अध्ययन के लिए अखबार महत्वपूर्ण स्रोत होने के कई कारण हैं-

1.ताजगी और तात्कालिकता-अखबारों में घटनाओं की तत्काल रिपोर्टिंग होती है, जिससे उस समय की राजनीतिक और सामाजिक परिस्थितियों का सही आकलन किया जा सकता है।

2.जन भावना का परिचायक- अखबारों में प्रकाशित लेख, संपादकीय और पत्र-व्यवहार से यह पता चलता है कि समाज में क्या मुद्दे महत्वपूर्ण थे और जन भावना किस दिशा में थी।

3.सूचनाओं का संग्रह- विभिन्न राष्ट्रीय आंदोलनों, कार्यक्रमों, और रैलियों की जानकारी देने के लिए अखबार एक संग्रहणीय स्रोत के रूप में काम करते हैं।

4.विभिन्न दृष्टिकोण- विभिन्न समाचार पत्रों में भिन्न-भिन्न राजनीतिक विचारधाराओं का प्रतिनिधित्व होता है, जिससे अध्ययनकर्ता विभिन्न दृष्टिकोणों और विचारों को समझ सकते हैं।

5.अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता- अखबारों में स्वतंत्रता सेनानियों और नेताओं द्वारा अपने विचारों और आंदोलनों को प्रस्तुत करने के लिए एक मंच मिलता था, जो उनके विचारों को समाज तक पहुँचाने में सहायक था।

6.इतिहास का दस्तावेजीकरण- अखबार ऐतिहासिक घटनाओं, संघर्षों और सफलता के क्षणों का दस्तावेजीकरण करते हैं, जिससे भविष्य के लिए एक महत्त्वपूर्ण संदर्भ मिलता है।

इस प्रकार, अखबार राष्ट्रीय आंदोलन के अध्ययन में न केवल जानकारी का स्रोत होते हैं, बल्कि वे सामाजिक और राजनीतिक परिवर्तन की प्रक्रिया को भी समझने में सहायता करते हैं। class 12th exam 2024


प्रश्न 23. भारत के मानचित्र पर निम्नांकित को दर्शाइए।
अस्मक, मत्स्य, शूरशेन, काशी
अथवा
भारत के मानचित्र पर भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन से संबंधित निम्नांकित स्थल अंकित कीजिए।
मुंबई, लखनऊ, चौरी चौरा, चंपारण class 12th exam 2024


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