top 3 questions in history


1.साँची के स्तूप के संरक्षण में भोपाल की बेगमों की भूमिका का वर्णन कीजिए।

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साँची के स्तूप, जो कि बौद्ध कला और वास्तुकला का एक महत्वपूर्ण उदाहरण हैं, के संरक्षण में भोपाल की बेगमों की भूमिका अत्यधिक महत्वपूर्ण रही है।

19वीं सदी में, जब ब्रिटिश राज के दौरान भारतीय धरोहरों की अनदेखी की जा रही थी, तब भोपाल की बेगमों ने इस सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण के लिए कई प्रयास किए। बेगम सुल्तान जहीरुन्निसा और अन्य बेगमों ने ना केवल साँची के स्तूपों को संरक्षित करने का कार्य किया, बल्कि उनके ऐतिहासिक महत्व को भी उजागर किया।

वे स्थानीय लोगों को जागरूक करने, शोधकर्ताओं को आमंत्रित करने और पुरातात्विक खुदाई में सहयोग देने में सक्रिय रहीं। उनकी पहल के कारण साँची को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली, जिससे इसे यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया।

इस प्रकार, भोपाल की बेगमों का योगदान साँची के स्तूपों के संरक्षण और पुनर्स्थापना में उल्लेखनीय रहा है, जिसने भारतीय संस्कृति के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाया।

 

साँची के स्तूप के संरक्षण में भोपाल की बेगमों की भूमिका का वर्णन निम्नलिखित पॉइंट्स में किया जा सकता है- top 3 questions in history

1.संरक्षण की पहल- 19वीं सदी में, जब सांस्कृतिक धरोहरों की अनदेखी हो रही थी, बेगमों ने संरक्षण की दिशा में कदम बढ़ाया।

2.स्थानीय जागरूकता- बेगमों ने स्थानीय समुदाय में साँची के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाई।

3.शोध और अध्ययन- उन्होंने बौद्ध कला और वास्तुकला के अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं और विशेषज्ञों को आमंत्रित किया।

4.पुरातात्विक खुदाई में सहयोग- बेगमों ने पुरातात्विक खुदाई में सहयोग देकर स्तूपों की स्थिति को सुधारने में मदद की।

5.धरोहर संरक्षण के लिए फंडिंग- उन्होंने संरक्षण कार्य के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की।

6.यूनेस्को की पहचान- उनके प्रयासों के कारण साँची को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया, जिससे इसकी अंतरराष्ट्रीय पहचान बढ़ी।

7.संस्कृति का संवर्धन- बेगमों ने भारतीय संस्कृति के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दिखाते हुए सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया।

8.स्थानीय कला और शिल्प का समर्थन- उन्होंने स्थानीय शिल्पकारों और कलाकारों को प्रोत्साहित किया, जिससे सांस्कृतिक धरोहर का संरक्षण संभव हो सका।

इन सभी प्रयासों के माध्यम से, भोपाल की बेगमों ने साँची के स्तूपों के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। top 3 questions in history


 


2.1857 के विद्रोह के राजनीतिक करणों का वर्णन कीजिए।

1857 के विद्रोह के राजनीतिक कारणों का वर्णन निम्नलिखित बिंदुओं में किया जा सकता है-

1.ब्रिटिश साम्राज्य का विस्तार- ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारतीय राज्यों को अपने अधीन करके अपने साम्राज्य का तेजी से विस्तार किया, जिससे कई रजवाड़ों और नबाबों का सत्ता खोना पड़ा।

2.अधिकारी और प्रशासनिक दमन- भारतीय अधिकारियों और सैनिकों के प्रति कंपनी के अधिकारियों का दमनात्मक रवैया विद्रोह का एक महत्वपूर्ण कारण था। भारतीय सैनिकों को कमतर समझा गया।

3.अवैध नियुक्तियाँ और भेदभाव- भारतीय रजवाड़ों के साथ अवैध नियुक्तियों और भेदभाव ने राजनीतिक असंतोष को बढ़ावा दिया।

4.रूढ़िवादी और धार्मिक भावना- धार्मिक स्थलों और परंपराओं का उल्लंघन, जैसे कि अंग्रेज़ों द्वारा धार्मिक संवेदनाओं का अपमान, विद्रोह का एक बड़ा कारण बना।

5.कानूनों और नीतियों का विरोध- कंपनी की नई नीतियाँ, जैसे कि भूमि अधिग्रहण और सामंती व्यवस्था का उन्मूलन, किसानों और जमींदारों में असंतोष पैदा किया।

6.सैनिकों की असंतोष- भारतीय सैनिकों, विशेषकर sepoys, के साथ भेदभाव और उनकी पगार में कटौती ने उन्हें विद्रोह के लिए प्रेरित किया।

7.अन्यायपूर्ण भूमि नीतियाँ- भूमि राजस्व की बढ़ती दरें और ज़मींदारों पर दबाव ने ग्रामीण आबादी में असंतोष पैदा किया।

8.पश्चिमी संस्कृति का प्रभाव- भारतीय संस्कृति और परंपराओं पर पश्चिमी विचारधारा का प्रभाव भी कई वर्गों में असंतोष का कारण बना।

इन राजनीतिक कारणों के परिणामस्वरूप, 1857 का विद्रोह भारतीय उपमहाद्वीप में एक बड़ा आंदोलन बन गया, जो भारतीय स्वतंत्रता के संघर्ष की दिशा में एक महत्वपूर्ण मोड़ था। top 3 questions in history


 


3.अशोक के धर्म की प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।

अशोक के धर्म की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

1.धर्म के प्रति प्रतिबद्धता- अशोक ने बौद्ध धर्म को अपनाया और इसे अपने शासन का आधार बनाया, जिससे धर्म के प्रति उनकी गहरी प्रतिबद्धता स्पष्ट होती है।

2.अहिंसा का सिद्धांत- उन्होंने अहिंसा (अवधि) को प्रमुखता दी, जो सभी जीवों के प्रति करुणा और दया की बात करता है।

3. धर्म प्रचार- अशोक ने धर्म का प्रचार करने के लिए भिक्षुओं और उपदेशकों को विभिन्न देशों में भेजा, जिससे बौद्ध धर्म का प्रसार हुआ।

4.सामाजिक न्याय- उन्होंने सामाजिक भलाई और न्याय की दिशा में कई कदम उठाए, जैसे कि चिकित्सा सुविधाओं का विस्तार और जलाशयों का निर्माण।

5.साम्राज्य में धार्मिक सहिष्णुता- अशोक ने सभी धर्मों के प्रति सहिष्णुता को बढ़ावा दिया और विभिन्न धार्मिक समूहों के बीच संवाद को प्रोत्साहित किया।

6.-राज्य के कानून- उन्होंने धर्मशास्त्रों के अनुसार शासन करने का प्रयास किया और नैतिकता और सदाचार को अपने शासन में शामिल किया।

7.उपदेश और शिलालेख- अशोक के शिलालेखों में नैतिक शिक्षाएं और सामाजिक आदर्श प्रदर्शित होते हैं, जो उनके धर्म के मूल सिद्धांतों को उजागर करते हैं।

8.महानता और मानवता का संदेश- अशोक ने मानवता की भलाई को सर्वोपरि मानते हुए अपने धर्म का प्रसार किया, जो सभी जीवों की समानता की बात करता है।

इन विशेषताओं के माध्यम से, अशोक ने भारतीय समाज में एक महत्वपूर्ण नैतिक और धार्मिक परिवर्तन लाने का प्रयास किया। top 3 questions in history


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