प्राचीन भारतीय इतिहास के पुरातात्विक स्रोत Archaeological Sources of Ancient Indian History

प्राचीन भारतीय इतिहास के पुरातात्विक स्रोत Archaeological Sources of Ancient Indian History

शुरुआत से अंत तक जरूर पढ़ें।

परिचय (Introduction)

प्राचीन भारतीय इतिहास के अध्ययन के लिए हमारे पास विभिन्न प्रकार के स्रोत उपलब्ध हैं। इन स्रोतों को मुख्यतः दो भागों में बाँटा जाता है:

  1. लिखित स्रोत (Literary Sources)
  2. अलिखित या पुरातात्विक स्रोत (Archaeological Sources)

जहाँ लिखित स्रोतों में वेद, पुराण, रामायण, महाभारत, जैन और बौद्ध ग्रंथ, विदेशी यात्रियों के विवरण आदि आते हैं, वहीं पुरातात्विक स्रोत वे प्रमाण हैं जो धरती के भीतर या ऊपर प्राप्त होते हैं और जिनके आधार पर हमें प्राचीन जीवन, संस्कृति, समाज और शासन का ज्ञान होता है।

पुरातत्व शब्द ‘पुरा’ (प्राचीन) और ‘तत्त्व’ (वस्तु या तत्व) से मिलकर बना है। अतः पुरातत्त्व का तात्पर्य प्राचीन वस्तुओं के अध्ययन से है।

भारत का इतिहास हजारों वर्षों में फैला हुआ है, और इसका सही आकलन तभी संभव है जब हम उपलब्ध पुरातात्विक प्रमाणों का गहन विश्लेषण करें। प्राचीन भारतीय इतिहास के पुरातात्विक स्रोत Archaeological Sources of Ancient Indian History


पुरातात्विक स्रोतों की आवश्यकता और महत्व

  • प्राचीन काल के अधिकांश साहित्यिक स्रोत पौराणिकता और अतिशयोक्ति से भरे हैं।
  • कई ऐतिहासिक घटनाएँ ऐसी हैं जिनका साहित्यिक उल्लेख नहीं मिलता, परंतु पुरातात्विक प्रमाण उन्हें सिद्ध करते हैं।
  • विभिन्न संस्कृतियों, सभ्यताओं और समाजों की सटीक जानकारी के लिए पुरातात्विक स्रोत अपरिहार्य हैं।
  • पुरातात्विक स्रोत हमें जीवन-यापन, रहन-सहन, धर्म, कला, वास्तुकला, युद्ध, शासन व्यवस्था आदि के विषय में वस्तुनिष्ठ जानकारी देते हैं।

प्राचीन भारतीय इतिहास के मुख्य पुरातात्विक स्रोत

1. अवशेष और उत्खनन (Remains and Excavations)

(क) सिंधु घाटी सभ्यता के अवशेष

  • मोहनजोदड़ो, हड़प्पा, कालीबंगन, लोथल, राखीगढ़ी आदि स्थलों से प्राप्त नगर योजना, स्नानागार, अन्नागार, भवन, नालियाँ, मिट्टी के बर्तन, मूर्तियाँ, आभूषण, मुद्राएँ, उपकरण आदि सिंधु घाटी सभ्यता की विकसित संस्कृति का प्रमाण हैं।
  • इनसे हमें लगभग 2500 ई.पू. से 1500 ई.पू. के समय की सभ्यता का बोध होता है।
  • मोहनजोदड़ो से प्राप्त महान स्नानागार प्राचीन जल प्रबंधन की अद्भुत मिसाल है।
  • उत्खनन से सभ्यता के कृषि, व्यापार, धार्मिक विश्वासों और सामाजिक व्यवस्था की जानकारी मिलती है।

(ख) वैदिक और उत्तर वैदिक काल के अवशेष

  • वैदिक काल के पुरातात्विक प्रमाण अपेक्षाकृत कम हैं। परंतु उत्तर वैदिक काल के लोहे के उपकरण, यूप स्तम्भ, मिट्टी के पात्र आदि प्राप्त हुए हैं।
  • पेंटेड ग्रे वेयर (PGW) संस्कृति इसी काल की मानी जाती है।

(ग) महाजनपद काल और मौर्यकाल के अवशेष

  • बस्ती, अवशेष, नगर योजना, किले, मिट्टी और पत्थर के सिक्के, आभूषण, भवन निर्माण के प्रमाण।
  • पटना (प्राचीन पाटलिपुत्र) में मौर्यकालीन खम्भे और दीवारें मिली हैं।

(घ) कुषाण और गुप्तकालीन अवशेष

  • मथुरा और गांधार में बौद्ध मूर्तिकला के सुंदर उदाहरण मिले हैं।
  • गुप्तकाल में मंदिर निर्माण कला का विकास हुआ। प्राचीन भारतीय इतिहास के पुरातात्विक स्रोत Archaeological Sources of Ancient Indian History

2. स्मारक और स्थापत्य कला (Monuments and Architecture)

(क) स्तूप

  • बौद्ध धर्म से जुड़े स्मारक जैसे- सांची का स्तूप, भारहुत स्तूप, अमरावती स्तूप
  • इन स्तूपों पर अंकित कथाओं से हमें धार्मिक, सामाजिक जीवन की जानकारी मिलती है।

(ख) चैत्य और विहार

  • अजंता, एलोरा, नासिक, कन्हेरी की गुफाएँ।
  • ये गुफाएँ बौद्ध भिक्षुओं के निवास और पूजा स्थल रहे।
  • उनकी दीवारों पर चित्रकारी, मूर्तिकला भी महत्वपूर्ण प्रमाण हैं।

(ग) मंदिर

  • प्रारंभिक मंदिरों में गुप्तकाल के दशावतार मंदिर (देवगढ़) और भीतरी गांव के मंदिर प्रमुख हैं।
  • एलोरा के कैलाशनाथ मंदिर में रॉक-कट वास्तुकला की अद्भुत मिसाल मिलती है।

(घ) किले और नगर

  • राजाओं द्वारा बनवाए गए किले, नगरों के अवशेष जैसे काशी, उज्जैन, पाटलिपुत्र आदि।
  • नगर योजना और सुरक्षा व्यवस्था का ज्ञान मिलता है।

3. मूर्तिकला और चित्रकला (Sculpture and Paintings)

(क) सिंधु घाटी की मूर्तिकला

  • ‘नर्तकी’ की कांस्य मूर्ति और ‘प्रमुख पुरूष मूर्ति’
  • पशुपति महादेव की मुद्रा में मुद्रा युक्त मुहर।

(ख) मौर्यकालीन मूर्तिकला

  • अशोक स्तंभ के शेर, लौरिया नंदनगढ़ के स्तूप।
  • यक्ष और यक्षिणी की मूर्तियाँ।

(ग) गांधार और मथुरा शैली

  • बौद्ध धर्म के प्रचार के साथ इन शैलियों का विकास हुआ।
  • गांधार में ग्रीक प्रभाव के दर्शन होते हैं।

(घ) गुप्तकालीन मूर्तिकला

  • अति सुंदर और परिष्कृत मूर्तियाँ जैसे- बुद्ध, विष्णु, शिव।
  • अजंता की गुफाओं में चित्रकला का भी अद्भुत उदाहरण मिलता है।

4. शिलालेख और अभिलेख (Inscriptions and Epigraphy)

(क) अशोक के शिलालेख

  • अशोक के शिलालेख प्राचीन भारत का सबसे महत्वपूर्ण अभिलेखीय साक्ष्य हैं।
  • ब्राह्मी और खरोष्ठी लिपि में लिखे गए।
  • धर्म नीति, समाज सुधार, प्रशासन की जानकारी मिलती है।

(ख) हाथीगुफा और नानेघाट लेख

  • कार्तिकेय की पूजा का प्रमाण।
  • आर्थिक, धार्मिक, सामाजिक स्थिति का बोध।

(ग) इलाहाबाद स्तंभ लेख

  • सम्राट समुद्रगुप्त का प्रयाग प्रशस्ति।
  • युद्ध विजय, दान, प्रशंसा का वर्णन।

(घ) हर्ष के अभिलेख

  • बाणभट्ट की हर्षचरित के साथ-साथ हर्ष के भी अभिलेख मिले हैं। प्राचीन भारतीय इतिहास के पुरातात्विक स्रोत Archaeological Sources of Ancient Indian History

5. मुद्राएँ और सिक्के (Coins and Numismatics)

(क) प्राचीन सिक्के

  • पंचमार्क (आहत) सिक्के जो महाजनपद काल में प्रचलित थे।
  • सोना, चाँदी, तांबा, सीसा आदि धातुओं के सिक्के।

(ख) यूनानी और शक सिक्के

  • ग्रीक और शक शासकों के सिक्कों पर उनकी मूर्तियाँ और नाम मिलते हैं।
  • द्विभाषी सिक्के भी मिलते हैं (ग्रीक और खरोष्ठी लिपि में)।

(ग) कुषाण सिक्के

  • कनिष्क के सिक्कों पर बौद्ध और ईरानी देवताओं की छवि।
  • धर्म, कला, अर्थव्यवस्था का ज्ञान।

(घ) गुप्तकालीन सिक्के

  • उत्कृष्ट कला का प्रदर्शन।
  • चंद्रगुप्त द्वितीय के सिक्कों पर गरुड़ध्वज और लक्ष्मी की छवि।

6. मिट्टी के पात्र और उपकरण (Pottery and Tools)

  • हड़प्पा संस्कृति के सुंदर मृद्भांड।
  • पेंटेड ग्रे वेयर (PGW), नॉर्दर्न ब्लैक पॉलिश्ड वेयर (NBPW) के पात्र।
  • लोहे, तांबे और कांसे के औजार, कृषि उपकरण, हथियार।

7. कब्र, समाधि और अस्थि अवशेष (Burials and Human Remains)

  • सिंधु सभ्यता में विभिन्न प्रकार की समाधि पद्धतियाँ।
  • मानव कंकालों का विश्लेषण कर उस काल की बीमारी, आहार, जीवन शैली आदि का अध्ययन। प्राचीन भारतीय इतिहास के प्रसिद्ध पुरातात्विक स्रोत Famous Archaeological Sources of Ancient Indian History

निष्कर्ष (Conclusion)

पुरातात्विक स्रोत प्राचीन भारतीय इतिहास को समझने की कुंजी हैं। ये हमें उन तथ्यों से परिचित कराते हैं जो केवल साहित्यिक प्रमाणों से संभव नहीं है।
उत्खनन, स्थापत्य, मूर्तिकला, अभिलेख, मुद्राएँ, मृद्भांड, समाधि आदि के माध्यम से इतिहास की गहराई तक पहुँचना संभव होता है।

इन स्रोतों का अध्ययन न केवल भूतकाल की जानकारी देता है, बल्कि हमें अपनी सांस्कृतिक विरासत पर गर्व करने का अवसर भी प्रदान करता है। भारत की विविध सभ्यताओं और संस्कृतियों का मिलाजुला स्वरूप इन्हीं स्रोतों के माध्यम से उजागर होता है।


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