स्तूपों की संरचना structure of stupas


स्तूपों की संरचना structure of stupas

शुरुआत से अंत तक जरूर पढ़े। structure of stupas

1.स्तूपों की संरचना के बारे में आप क्या जानते हैं संक्षेप में लिखिए।

स्तूप प्राचीन भारतीय वास्तुकला का एक महत्वपूर्ण तत्व हैं, जिन्हें मुख्यतः बौद्ध धर्म के अंतर्गत बनाया गया। ये गोलाकार या बेलनाकार आकार के होते हैं और इनमें विभिन्न स्तर होते हैं।

स्तूप की संरचना में निम्नलिखित मुख्य तत्व होते हैं-

1.धातु- यह स्तूप का आधार होता है, जो इसे स्थिरता प्रदान करता है।
2.अवकश्म (अवकष)- यह स्तूप के शीर्ष पर होता है, जो एक गोलाकार या चौकोर संरचना होती है।
3.चक्र (धर्मचक्र)- यह अवकश्म के ऊपर होता है और इसका प्रतीकात्मक महत्व होता है।
4.कंठ (सर्कल)- स्तूप के चारों ओर एक कंठ होता है, जो इसे घेरता है।

स्तूप का उपयोग धार्मिक उद्देश्यों के लिए किया जाता था, विशेष रूप से बुद्ध के अवशेषों को संरक्षित करने के लिए। ये संरचनाएं बौद्ध आस्था का प्रतीक हैं और भारत के अलावा अन्य देशों में भी पाए जाते हैं।

 

2.जैन धर्म स्तूपों की संरचना के बारे में आप क्या जानते हैं संक्षेप में लिखिए।

जैन धर्म में स्तूपों का महत्व बौद्ध स्तूपों से अलग होता है, हालाँकि दोनों में कुछ समानताएँ हैं। जैन स्तूपों को “दिगम्बर स्तूप” या “जिनालय” कहा जाता है और ये प्रमुख रूप से जैन तीर्थंकारों के प्रति श्रद्धांजलि के रूप में बनाए जाते हैं।

संरचना के मुख्य तत्व-

1.धातु- स्तूप का आधार, जो इसे मजबूती और स्थिरता प्रदान करता है।
2.गोलाकार या चौकोर आकार- इनका आकार आमतौर पर गोलाकार होता है, लेकिन कुछ स्थानों पर चौकोर भी मिलते हैं।
3.जिन प्रतिमाएँ- स्तूप के भीतर या आसपास तीर्थंकारों की प्रतिमाएँ स्थापित की जाती हैं।
4.अवकश्म- शीर्ष पर एक छोटा अवकाश, जो ध्यान और पूजा का केंद्र होता है।

जैन स्तूप अक्सर तीर्थ स्थलों पर होते हैं, और इनका उपयोग ध्यान, पूजा और तीर्थयात्रा के लिए किया जाता है। जैन धर्म में अहिंसा और समर्पण का प्रमुख स्थान है, जो इन स्तूपों में भी परिलक्षित होता है। structure of stupas

 

3.दुनिया के सभी स्तूपों के नाम

दुनिया में कई प्रसिद्ध स्तूप हैं, जो बौद्ध और जैन धर्म की धरोहर का हिस्सा हैं। यहाँ कुछ प्रमुख स्तूपों के नाम दिए गए हैं-

बौद्ध स्तूप-

1.सांची स्तूप (भारत)
2.गन्धारा स्तूप (पाकिस्तान)
3.धामेक स्तूप (भारत)
4.नालंदा स्तूप (भारत)
5.शेचेन स्तूप (तिब्बत)
6.बोधगया स्तूप (भारत)
7.अफगानिस्तान के स्तूप (बौद्ध स्थल)

जैन स्तूप-

1.श्री श्रवणबेलगोला स्तूप (भारत)
2.सिद्धचक्र जैन स्तूप (भारत)

अन्य महत्वपूर्ण स्तूप-

1.चायट्य स्तूप (म्यांमार)
2.सुत्तकांतिक स्तूप (थाईलैंड)

ये स्तूप न केवल धार्मिक महत्व के लिए जाने जाते हैं, बल्कि उनकी वास्तुकला और सांस्कृतिक धरोहर के लिए भी प्रसिद्ध हैं।

 

4.सभी स्तूपों के नाम और उनकी जानकारी

यहाँ कुछ प्रमुख स्तूपों के नाम और उनकी संक्षिप्त जानकारी प्रस्तुत की गई है-

1.सांची स्तूप (भारत)
स्थान- मध्य प्रदेश
विशेषताएँ- यह बौद्ध स्तूप सबसे प्रसिद्ध और प्राचीन है, जिसे सम्राट अशोक ने तीसरी शताब्दी BCE में बनवाया था। इसका आकार गोलाकार है और इसमें चार दरवाजे हैं, जिन पर अद्भुत शिल्पकला है।

2.गन्धार स्तूप (पाकिस्तान)
स्थान- पाकिस्तान
विशेषताएँ- यह स्तूप गंदhara क्षेत्र में स्थित है, जो प्राचीन बौद्ध कला के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ की मूर्तियाँ और चित्रण बौद्ध धर्म की परंपराओं को दर्शाते हैं।

3.धामेक स्तूप (भारत)
स्थान- सारनाथ, उत्तर प्रदेश
विशेषताएँ- यह स्तूप बुद्ध द्वारा पहले उपदेश देने के स्थान पर स्थित है। इसका निर्माण तीसरी शताब्दी BCE में हुआ था और यह ऊँचा और चौकोर है।

4.नालंदा स्तूप (भारत)
स्थान- बिहार
विशेषताएँ- यह प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के निकट स्थित है। इसका आकार और संरचना अध्ययन के लिए महत्वपूर्ण है।

5.बोधगया स्तूप (भारत)
स्थान- बोधगया, बिहार
विशेषताएँ- यह वह स्थान है जहाँ बुद्ध ने ज्ञान प्राप्त किया था। यहाँ महाबोधि मंदिर और उसके पास स्थित स्तूप हैं।

6.शेचेन स्तूप (तिब्बत)
स्थान- तिब्बत
विशेषताएँ- यह तिब्बती बौद्ध धर्म का महत्वपूर्ण स्तूप है और यहाँ विभिन्न बौद्ध अनुष्ठान आयोजित होते हैं।

7.चायट्य स्तूप (म्यांमार)
स्थान- म्यांमार
विशेषताएँ- यह स्तूप बौद्ध तीर्थ स्थल है और इसकी वास्तुकला और शिल्प कला अद्वितीय है।

8.सिद्धचक्र जैन स्तूप (भारत)
स्थान- कर्नाटक
विशेषताएँ- यह जैन धर्म का एक महत्वपूर्ण स्तूप है, जहाँ जैन तीर्थंकारों की पूजा की जाती है।

9.अफगानिस्तान के स्तूप
स्थान- अफगानिस्तान
विशेषताएँ- यहाँ कई प्राचीन बौद्ध स्तूप हैं, जो ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं।

ये स्तूप बौद्ध और जैन धर्म की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को दर्शाते हैं और इनकी वास्तुकला एवं धार्मिक महत्व अद्वितीय है। structure of stupas

 

5.स्तूप क्यों बनाये गये थे और क्या विशेषताएँ हैं इनकी

स्तूपों का निर्माण बौद्ध धर्म और जैन धर्म में धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व के लिए किया गया था। यहाँ उनके निर्माण के उद्देश्य और विशेषताएँ दी गई हैं-

निर्माण के उद्देश्य-

1.अवशेषों का संरक्षण- स्तूपों का प्रमुख उद्देश्य बुद्ध और अन्य तीर्थंकारों के अवशेषों (शरीर के अवशेष या अन्य महत्वपूर्ण वस्त्र) को सुरक्षित रखना था।
2.पूजा का स्थल- ये श्रद्धालुओं के लिए पूजा और ध्यान करने के स्थान के रूप में काम करते थे।
3.धार्मिक शिक्षा- स्तूपों के चारों ओर की भित्तियों पर चित्रित कहानियाँ और शिल्प बौद्ध धर्म की शिक्षाओं का प्रचार करते थे।
4.तीर्थ स्थल- ये तीर्थ स्थल के रूप में भी महत्वपूर्ण हैं, जहाँ लोग श्रद्धा के साथ आते हैं।

विशेषताएँ-

1.आकार और संरचना- स्तूप आमतौर पर गोलाकार या बेलनाकार होते हैं, जिनका आधार चौकोर या गोल होता है। इनमें विभिन्न स्तर और मंडलियाँ होती हैं।
2.धातु- धातु स्तूप का आधार होता है, जो स्थिरता प्रदान करता है।
3.अवकश्म- शीर्ष पर एक अवकश्म होता है, जो ध्यान और पूजा का केंद्र होता है।
4.चक्र (धर्मचक्र)- अवकश्म के ऊपर चक्र या अन्य प्रतीक होते हैं, जो धर्म का प्रतीक होते हैं।
5.शिल्पकला- स्तूपों की भित्तियों पर अद्भुत शिल्पकला और मूर्तियाँ होती हैं, जो धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण होती हैं।

इन विशेषताओं के साथ, स्तूप न केवल धार्मिक महत्व के प्रतीक हैं, बल्कि वास्तुकला और कला के अद्वितीय उदाहरण भी हैं। structure of stupas

 

6.स्तूपों और उनके निर्माण कर्ताओं के नाम

यहाँ कुछ प्रमुख स्तूपों और उनके निर्माणकर्ताओं के नाम दिए गए हैं-

1.सांची स्तूप
निर्माणकर्ता- सम्राट अशोक
स्थान- मध्य प्रदेश, भारत
काल- तीसरी शताब्दी BCE

2.धामेक स्तूप
निर्माणकर्ता- सम्राट अशोक (किवदंती के अनुसार)
स्थान- सारनाथ, उत्तर प्रदेश, भारत
काल- तीसरी शताब्दी BCE

3.बोधगया स्तूप
निर्माणकर्ता- सम्राट अशोक (किवदंती के अनुसार)
स्थान- बोधगया, बिहार, भारत
काल- तीसरी शताब्दी BCE

4.नालंदा स्तूप
निर्माणकर्ता- अज्ञात, लेकिन प्राचीन बौद्ध विश्वविद्यालय के आसपास बनाया गया।
स्थान- बिहार, भारत
काल- चौथी से सातवीं शताब्दी CE

5.गन्धारा स्तूप
निर्माणकर्ता- विभिन्न शासकों और कलाकारों द्वारा निर्मित।
स्थान- पाकिस्तान
काल- विभिन्न समय में, मुख्यतः पहली शताब्दी BCE से पांचवीं शताब्दी CE

6.शेचेन स्तूप
निर्माणकर्ता- तिब्बती बौद्ध आचार्य
स्थान- तिब्बत
काल- विभिन्न समय में, तिब्बती बौद्ध परंपरा के अनुसार

7.सिद्धचक्र जैन स्तूप
निर्माणकर्ता- विभिन्न जैन आचार्य और श्रद्धालु
स्थान- कर्नाटक, भारत
काल- विभिन्न काल में, विशेष रूप से मध्य युग में

ये स्तूप न केवल धार्मिक महत्व रखते हैं, बल्कि उनकी वास्तुकला और निर्माण कर्ताओं की कला भी प्रशंसनीय है। structure of stupas


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