भारतीय इतिहास के साधन resources of indian history
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भारत एक प्राचीन और समृद्ध सभ्यता वाला देश है। इसकी ऐतिहासिक विरासत हजारों वर्षों में फैली हुई है। भारतीय इतिहास के अध्ययन के लिए हमें अनेक प्रकार के साधन (Sources) प्राप्त होते हैं। इन साधनों की सहायता से इतिहासकार भारत की प्राचीन, मध्यकालीन और आधुनिक घटनाओं का अध्ययन और विश्लेषण करते हैं।
इन साधनों को मुख्यतः दो भागों में विभाजित किया जाता है—
- लिखित स्रोत (Literary Sources)
- अलिखित या पुरातात्विक स्रोत (Archaeological Sources)
आइए इन दोनों के बारे में विस्तार से जानें।
1. लिखित स्रोत (Literary Sources)
लिखित स्रोतों का भारतीय इतिहास के अध्ययन में बहुत महत्त्व है। ये स्रोत उस काल के समाज, संस्कृति, धर्म, राजनीति, आर्थिक व्यवस्था और जीवनशैली की झलक प्रदान करते हैं। भारतीय इतिहास के लिखित स्रोत मुख्यतः निम्नलिखित प्रकार के होते हैं:
(क) धार्मिक ग्रंथ
धार्मिक ग्रंथों से हमें तत्कालीन समाज की धार्मिक आस्थाओं, परंपराओं और जीवन के विभिन्न पहलुओं की जानकारी मिलती है। प्रमुख धार्मिक ग्रंथ हैं:
- वेद: ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद।
- उपनिषद: दार्शनिक और आध्यात्मिक ग्रंथ।
- रामायण और महाभारत: ये महाकाव्य तत्कालीन समाज, धर्म और राजनीति की जानकारी देते हैं।
- बौद्ध साहित्य: त्रिपिटक (सुत्तपिटक, विनयपिटक, अभिधम्मपिटक)।
- जैन साहित्य: अंग, उपांग, कल्पसूत्र, आदि।
(ख) ऐतिहासिक ग्रंथ और काव्य
ऐसे ग्रंथ जो इतिहास का वर्णन करते हैं या जिनमें ऐतिहासिक घटनाओं की झलक मिलती है। जैसे:
- राजतरंगिणी (कल्हण): कश्मीर का इतिहास।
- हर्षचरित (बाणभट्ट): हर्षवर्धन के जीवन पर आधारित।
- विक्रमांकदेव चरित (बिल्हण)।
- प्रबंध चिंतामणि (मेरुतुंग)।
- काव्य: कालिदास की रचनाएँ जैसे रघुवंश, कुमारसंभव आदि।
(ग) विदेशी यात्रियों के विवरण
विदेशी यात्रियों ने भारत की यात्रा की और यहाँ के जीवन का वर्णन किया। उनके विवरण महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्रोत हैं। उदाहरण:
- मेगस्थनीज: इण्डिका (चन्द्रगुप्त मौर्य के समय का विवरण)।
- फाह्यान: गुप्तकालीन भारत का वर्णन।
- ह्वेनसांग: हर्षवर्धन काल का वर्णन।
- अल-बेरूनी: गजनी के महमूद के साथ भारत आया।
- मार्को पोलो: दक्षिण भारत का वर्णन।
(घ) संवत और तिथियाँ
पुराने ग्रंथों में लिखी तिथियाँ, संवत, और ज्योतिषीय विवरण भी इतिहास के पुनर्निर्माण में सहायक होते हैं।
(ङ) राजकीय अभिलेख और ताम्रपत्र
राजाओं के आदेश, दानपत्र, ताम्रपत्र, शिलालेख आदि से तत्कालीन शासन व्यवस्था और समाज की जानकारी मिलती है।
2. पुरातात्विक या अलिखित स्रोत (Archaeological Sources)
पुरातात्विक स्रोत वे होते हैं जो धरती के नीचे दबे या प्राचीन काल से बचे हुए अवशेषों के रूप में मिलते हैं। ये स्रोत भारतीय इतिहास के पुनर्निर्माण में अत्यंत सहायक हैं। इनके अंतर्गत निम्नलिखित शामिल हैं:
(क) भौतिक अवशेष
पुराने भवन, महल, दुर्ग, स्तूप, मंदिर, मूर्तियाँ आदि। उदाहरण:
- सांची का स्तूप
- अजन्ता-एलोरा की गुफाएँ
- कोणार्क का सूर्य मंदिर
- कुतुब मीनार
(ख) मूर्तियाँ और स्थापत्य कला
मूर्तियों और स्थापत्य कला से तत्कालीन समाज की धार्मिक भावना, कलात्मक अभिरुचि और शिल्पकला की जानकारी मिलती है। जैसे—
- मौर्य काल की अशोक की मूर्तियाँ।
- गुप्त काल की सुंदर मूर्तियाँ।
- चोल काल की कांस्य प्रतिमाएँ।
(ग) शिलालेख और स्तंभ लेख
शिलालेखों से तत्कालीन समाज, राजनीति, धर्म और अर्थव्यवस्था की जानकारी मिलती है। प्रमुख शिलालेख हैं:
- अशोक के शिलालेख: ब्राह्मी और खरोष्ठी लिपि में।
- अलाहाबाद प्रशस्ति: समुद्रगुप्त के पराक्रम का वर्णन।
- हाथीगुफा लेख: खारवेल का विवरण।
- रुद्रदामन का जूनागढ़ अभिलेख।
(घ) मुद्राएँ (Coins)
प्राचीन काल की मुद्राओं से शासन प्रणाली, आर्थिक स्थिति, व्यापार, धर्म और कला की जानकारी मिलती है। भारत की प्रमुख मुद्राएँ:
- मौर्य कालीन पंचमार्क सिक्के।
- कुषाणों के स्वर्ण मुद्राएँ।
- गुप्त काल की सुंदर स्वर्ण मुद्राएँ।
(ङ) युद्ध के अवशेष और हथियार
प्राचीन युद्धों में उपयोग की गई तलवारें, भाले, तीर-कमान आदि भी महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्रोत हैं।
(च) मृदभांड (Pottery)
प्राचीन बर्तनों से संस्कृति, व्यापार और दैनिक जीवन की जानकारी मिलती है।
- काली पॉलिश मृदभांड (N.B.P Ware)।
- हड़प्पा सभ्यता के मिट्टी के बर्तन।
3. लोक परंपराएँ और जनश्रुतियाँ (Oral Traditions)
भारत में लोककथाएँ, गाथाएँ, गीत, भजन और किंवदंतियाँ भी ऐतिहासिक जानकारी का स्रोत होती हैं। भले ही इनमें अतिशयोक्ति होती है, फिर भी इनमें प्राचीन समाज की संस्कृति और जीवनशैली की झलक मिलती है।
4. चित्रकला और भित्ति चित्र (Paintings and Frescoes)
अजन्ता-एलोरा की गुफाओं की भित्ति चित्रकला से तत्कालीन समाज और जीवन का पता चलता है। राजस्थान की miniature painting, मुगलकालीन चित्रकला भी महत्वपूर्ण हैं।
5. स्थलनामावली और भूगोल (Toponymy and Historical Geography)
कई बार स्थानों के नामों से भी ऐतिहासिक घटनाओं या व्यक्तियों का पता चलता है। जैसे—दिल्ली के महरौली में “कुतुब” का उल्लेख, पाटलिपुत्र आदि।
निष्कर्ष (Conclusion)
भारतीय इतिहास के अध्ययन के लिए स्रोतों की विविधता और उनकी व्यापकता इसे अत्यंत समृद्ध बनाती है। लिखित स्रोत जहाँ घटनाओं का वर्णन करते हैं, वहीं पुरातात्विक स्रोत जीवन की झांकी प्रस्तुत करते हैं। दोनों ही प्रकार के स्रोत एक-दूसरे के पूरक हैं।
इतिहासकारों के लिए आवश्यक है कि वे इन स्रोतों का सम्यक् अध्ययन और विश्लेषण करें ताकि भारतीय इतिहास की सही और प्रमाणिक तस्वीर प्रस्तुत की जा सके।
इस प्रकार भारतीय इतिहास के साधन हमारे अतीत को जानने के लिए अमूल्य धरोहर हैं।