22.इस्लाम की प्राथना prayer of islam

इस्लाम की प्राथना prayer of islam

शुरुआत से अंत तक जरूर पढ़े। prayer of islam

भारत में किन किन धर्मों के लोगों की संख्या कितनी हैं? What is the number of people of which religions in India?

भारत में प्रमुख धर्मों की जनसंख्या का अनुमान निम्नलिखित है-

1.हिंदू- लगभग 79.8%
2.मुस्लिम- लगभग 14.2%
3.ईसाई- लगभग 2.3%
4.सिख- लगभग 1.7%
5.बौद्ध- लगभग 0.7%
6.जैन- लगभग 0.4%
7.अन्य- शेष प्रतिशत विभिन्न आदिवासी धर्मों और विश्वासों में विभाजित है।

ये आंकड़े जनगणना और विभिन्न अध्ययन के आधार पर हैं, और समय के साथ बदल सकते हैं। prayer of islam



पेगम्बर मोहम्मद के जीवन के बार में बताइए।T ell about the life of Prophet Mohammad.

पैगंबर मोहम्मद का जीवन इस्लाम के इतिहास में अत्यंत महत्वपूर्ण है। उनकी कहानी इस प्रकार है-
प्रारंभिक जीवन

जन्म- मोहम्मद का जन्म 570 ईस्वी में मक्का में हुआ। वह कुरैश कबीले से थे।
परिवार- उनके पिता का निधन उनके जन्म से पहले हुआ, और उनकी मां भी बचपन में ही गुजर गई। उन्हें अपने दादा और बाद में चाचा ने पाला।

युवावस्था

व्यापार- युवा अवस्था में, मोहम्मद एक सफल व्यापारी बने। उन्होंने खदीजा नाम की एक समृद्ध महिला से विवाह किया, जो उनकी पहले से ही व्यापारिक साथी थीं।
नैतिकता- वे ईमानदार और नैतिक व्यक्ति के रूप में जाने जाते थे, और उन्हें “अल-अमीन” (विश्वसनीय) कहा जाता था।

पैगंबरत्व

पहली रेहमत- 610 ईस्वी में, मोहम्मद को पहले दर्शन (वही) की प्राप्ति हुई, जब उन्हें जिब्राइल (गैब्रियल) द्वारा संदेश दिया गया।
प्रचार- उन्होंने इस्लाम का प्रचार करना शुरू किया, जो एकेश्वरवाद पर आधारित था। पहले, उनका संदेश केवल करीबी दोस्तों और परिवार तक सीमित था।

मक्का में संघर्ष

विरोध- उनके संदेश के कारण कुरैश कबीले से विरोध का सामना करना पड़ा। उन्होंने और उनके अनुयायियों ने कई कठिनाइयों का सामना किया।
हिजरत- 622 ईस्वी में, जब स्थिति असहनीय हो गई, उन्होंने मक्का से मदीना की ओर हिजरत की। यह इस्लामी कैलेंडर की शुरुआत मानी जाती है।

मदीना में शासन

समुदाय की स्थापना- मदीना में, उन्होंने एक मजबूत मुस्लिम समुदाय का गठन किया और इस्लामिक शासन की नींव रखी।
युद्ध- मक्का के साथ कई युद्ध हुए, जैसे कि बद्र, उहुद और खंडक। अंततः, 630 ईस्वी में, उन्होंने मक्का को विजय किया।

अंतिम वर्ष

खुतबा- मोहम्मद ने 632 ईस्वी में हज के दौरान अपना अंतिम भाषण दिया, जिसमें उन्होंने समानता, मानवता और धर्म के सिद्धांतों की बात की।
निधन- 632 ईस्वी में उनका निधन हुआ, और उन्हें मदीना में दफनाया गया।

पैगंबर मोहम्मद का जीवन धार्मिक, सामाजिक और नैतिक शिक्षाओं का प्रतीक है, जिसने मुस्लिम समुदाय को आकार दिया और इस्लाम को विश्व के एक बड़े धर्म के रूप में स्थापित किया। prayer of islam


 


मज़ार,मक़बरा,और मस्जिद में अंतर बताइए। Explain the difference between tomb, tomb and mosque.

मज़ार, मक़बरा, और मस्जिद के बीच में निम्नलिखित अंतर हैं-
1. मज़ार

परिभाषा- यह एक विशेष स्थान है, जहां किसी संत, पीर या धार्मिक व्यक्तित्व की समाधि होती है।
उद्देश्य- श्रद्धालु यहाँ पूजा-अर्चना करते हैं और मन्नतें मांगते हैं।
संस्कृति- मज़ार अक्सर स्थानीय संस्कृति और परंपराओं का हिस्सा होते हैं।

2. मक़बरा

परिभाषा- यह एक कब्र या समाधि है, जो किसी महत्वपूर्ण व्यक्ति की अंतिम विश्राम स्थल होती है।
उद्देश्य- मक़बरे को आमतौर पर उनके प्रति सम्मान और श्रद्धा व्यक्त करने के लिए बनाया जाता है।
आर्किटेक्चर- मक़बरों में अक्सर भव्य निर्माण और सजावट होती है।

3. मस्जिद

परिभाषा- यह एक धार्मिक स्थान है, जहां मुसलमान नमाज पढ़ते हैं।
उद्देश्य- मस्जिद का मुख्य उद्देश्य सामूहिक प्रार्थना, शिक्षा और समुदाय की एकता है।
विशेषताएँ- मस्जिदों में मिम्बर, मीनार, और इमाम के लिए विशेष स्थान होता है।

इन तीनों स्थानों का धार्मिक महत्व है, लेकिन इनके उद्देश्य और संरचना अलग हैं। prayer of islam



मुसलमानों की पवित्र प्रार्थना क्या है? What is the sacred prayer of Muslims?

मुसलमानों की पवित्र प्रार्थना को “नमाज़” या “सलात” कहा जाता है। यह इस्लाम का एक प्रमुख स्तंभ है और मुसलमानों को दिन में पांच बार अदा करनी होती है।

नमाज़ के मुख्य पहलू-

1.पांच बार की नमाज़-
फज्र- सुबह की नमाज़।
जुहर- दोपहर की नमाज़।
अस्र- अपराह्न की नमाज़।
मगरिब- शाम की नमाज़।
इशा- रात की नमाज़।

2.वजू- नमाज़ से पहले शुद्धता के लिए वजू करना आवश्यक है।

3.क़िबला- नमाज़ के दौरान मक्का की ओर मुंह करके प्रार्थना की जाती है।

4.अदा- नमाज़ में विशेष मुद्राएँ और दुआएँ होती हैं, जिन्हें निर्धारित क्रम में अदा किया जाता है।

नमाज़, मुसलमानों के लिए एक आध्यात्मिक अनुष्ठान है, जो उन्हें अल्लाह के करीब लाने और धार्मिक अनुशासन में रहने में मदद करती है। prayer of islam



कलमा में क्या क्या पढ़ते हैं? What is read in Kalma?

कलमा या शहादत इस्लाम का एक महत्वपूर्ण विश्वास है, जिसे मुसलमान अपने धर्म की पहचान के रूप में पढ़ते हैं।

कलमा के मुख्य अंश निम्नलिखित हैं-

1. पहला कलमा (तहदीद)
“अशहादु अला इल्लाहा इल्लल्लाह, वाहदुहु ला शरीक लहु, वाशहादु अना मोहम्मदुर रसूलुल्लाह।”

अनुवाद-
“मैं गवाही देता हूँ कि अल्लाह के अलावा कोई पूज्य नहीं, वह एक है, उसका कोई साझी नहीं है, और मैं गवाही देता हूँ कि मोहम्मद उसके रसूल हैं।”

यह कलमा इस्लाम के एकेश्वरवाद (तौहीद) और पैगंबर मोहम्मद की नबूवत की पुष्टि करता है। इसे पढ़ना इस्लाम में प्रवेश का पहला कदम है और यह हर मुसलमान के लिए महत्वपूर्ण है। prayer of islam



मुस्लिम धर्म के कुछ पवित्र मंत्र और उनके अर्थ Some holy mantras of Muslim religion and their meanings

यहाँ कुछ प्रमुख मुस्लिम पवित्र मंत्र और उनके अर्थ दिए गए हैं-

1.कलमा (शहादत)
“अशहादु अला इल्लाहा इल्लल्लाह, मोहम्मदुर रसूलुल्लाह।”
अर्थ- “मैं गवाही देता हूँ कि अल्लाह के अलावा कोई पूज्य नहीं, मोहम्मद उसके रसूल हैं।”

2.तस्बीह (सबसे प्रसिद्ध)
“सुब्हानअल्लाह”
अर्थ- “अल्लाह पवित्र है।” (यह अल्लाह की पवित्रता और महानता को दर्शाता है।)

3.अल्हम्दुलिल्लाह
“अल्हम्दुलिल्लाह”
अर्थ- “सभी प्रशंसा अल्लाह के लिए है।”

4.अल्लाहु अकबर
“अल्लाहु अकबर”
अर्थ- “अल्लाह सबसे बड़ा है।”

5.दु’आ (प्रार्थना)
“रब्बाना आतिना फिद्दुनिया हसनतन व फिल आखिरति हसनतन व किना अजाबन्नार।”
अर्थ- “हे हमारे रब, हमें इस दुनिया में अच्छा और अगले जीवन में भी अच्छा दें, और हमें आग के दंड से बचाएँ।” (यह सूरह बकरा 2:201 से लिया गया है।)

ये मंत्र मुसलमानों के दैनिक जीवन और प्रार्थनाओं का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।



पाँच टाइम नमाज़ में क्या पढ़ते है अर्थ सहित बताइए। Tell us what is recited in Namaz five times along with its meaning.

मुसलमानों की पाँच समय की नमाज़ में पढ़े जाने वाले प्रमुख सूरह और उनकी अर्थ सहित जानकारी निम्नलिखित है-

1.फज्र (सुबह)
सूरह अल-फातिहा (सूरah 1)
अर्थ- “सब तारीफें अल्लाह के लिए हैं, जो सारे जहाँ का रब है।”

सूरह अल-इखलास (सूरह 112)
अर्थ- “कह दो, ‘वह अल्लाह है, एक। अल्लाह बेनियाज है। उसे न किसी ने जना और न वह किसी से जना गया।'”

2.जुहर (दोपहर)
सूरह अल-फातिहा
कोई अन्य छोटी सूरह (जैसे अल-नास या अल-फलक)

3.अस्र (अपराह्न)
सूरह अल-फातिहा
कोई अन्य छोटी सूरह

4.मगरिब (शाम)
सूरह अल-फातिहा
कोई अन्य छोटी सूरह

5.इशा (रात)
सूरह अल-फातिहा
कोई अन्य छोटी सूरह


 


सूरह अल-फातिहा का पूरा पाठ- Full text of Surah Al-Fatiha-

‎1.بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَـٰنِ الرَّحِيمِ
– “अल्लाह के नाम से, जो बड़ा मेहरबान, निहायत रहम वाला है।”

‎2.الْحَمْدُ لِلَّهِ رَبِّ الْعَالَمِينَ
– “सभी तारीफें अल्लाह के लिए हैं, जो सारे जहाँ का रब है।”

‎3.الرَّحْمَـٰنِ الرَّحِيمِ
– “बड़ा मेहरबान, निहायत रहम वाला।”

‎4.مَالِكِ يَوْمِ الدِّينِ
– “क़ियामत के दिन का मालिक।”

‎5.إِيَّاكَ نَعْبُدُ وَإِيَّاكَ نَسْتَعِينُ
– “हम केवल तेरा ही इबादत करते हैं और तुझी से मदद चाहते हैं।”

‎6.اهْدِنَا الصِّرَاطَ الْمُسْتَقِيمَ
– “हमें सीधा रास्ता दिखा।”

‎7.صِرَاطَ الَّذِينَ أَنْعَمْتَ عَلَيْهِمْ
– “उन लोगों का रास्ता, जिन पर तूने नेमतें कीं।”

‎8.غَيْرِ الْمَغْضُوبِ عَلَيْهِمْ وَلَا الضَّالِّينَ
– “जो तुझसे नाराज़ हुए और जो गुमराह हुए।”

इन नमाज़ों के दौरान, ये सूरहें विशेष रूप से पढ़ी जाती हैं, और हर नमाज़ में “सूरह अल-फातिहा” पढ़ना अनिवार्य है।


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