हड़प्पा संस्कृति का प्रभावशाली रूप Impressive form of Harappan culture
शुरुआत से अंत तक जरूर पढ़े। Impressive form of Harappan culture
(हड़प्पा संस्कृति के निर्माता कौन थे ? इस संस्कृति की मुख्य विशेषताओं का उल्लेख करें।)
हड़प्पा संस्कृति, जिसे सिंधु घाटी सभ्यता भी कहा जाता है, प्राचीन भारतीय सभ्यताओं में से एक प्रमुख और सबसे विकसित सभ्यता मानी जाती है। यह संस्कृति लगभग 3300 ईसा पूर्व से 1300 ईसा पूर्व तक अस्तित्व में थी और इसका फैलाव वर्तमान पाकिस्तान और उत्तर-पश्चिमी भारत के हिस्सों में था। हड़प्पा संस्कृति के निर्माता और इसके विकसित रूप में योगदान करने वाले लोग अज्ञात हैं, लेकिन वे सिंधु सभ्यता के लोग थे, जो आज के पाकिस्तान और उत्तर-पश्चिम भारत में बसी एक उन्नत समाज की जनसंख्या थे।
इस संस्कृति के बारे में अधिक जानकारी प्राचीन हड़प्पा नगरों (जैसे हड़प्पा, मोहनजोदाड़ो, धौलावीरा, कालीबंगा आदि) की खुदाई से प्राप्त हुई है। इन स्थलों से प्राप्त अवशेषों के आधार पर हड़प्पा संस्कृति की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
हड़प्पा संस्कृति की मुख्य विशेषताएँ-
1.नगरों का योजनाबद्ध निर्माण
– हड़प्पा सभ्यता के नगर अत्यधिक योजनाबद्ध थे। नगरों में सड़कों का समांतर और सही कोण पर निर्माण, चौड़ी सड़कों और गलियों की व्यवस्था, और जल निकासी प्रणाली जैसी विशेषताएँ थीं। प्रमुख नगरों में दो भाग होते थे: किला क्षेत्र और लोअर टाउन।
2.ईंटों का उपयोग और मानकीकरण
– हड़प्पा सभ्यता में ईंटों का अत्यधिक उपयोग हुआ था। विशेष रूप से, भवन निर्माण में ईंटों का आकार और आकार मानकीकृत था। ईंटों की उच्च गुणवत्ता और समान आकार का उपयोग उनकी उन्नत निर्माण तकनीक को दर्शाता है।
3.जल निकासी और जल प्रबंधन
– हड़प्पा नगरों में एक उत्कृष्ट जल निकासी प्रणाली थी। प्रत्येक घर में जल निकासी के लिए व्यक्तिगत नालियाँ होती थीं जो मुख्य नालियों से जुड़ी होती थीं। सार्वजनिक स्नानागार और जलाशय भी बनाए गए थे, जो साफ-सफाई और जल प्रबंधन के महत्व को दर्शाते हैं।
4.लघु और बड़े उद्योग
– हड़प्पा सभ्यता में मृद्भांड (पॉटरी), धातु विज्ञान, वस्त्र उद्योग, और मोती बनाने का उद्योग बहुत विकसित था। विशेष रूप से, मोती बनाने के कारीगर और कांस्य के उपकरणों का उत्पादन इस सभ्यता में महत्वपूर्ण था।
5.व्यापार और वाणिज्य
– हड़प्पा सभ्यता का व्यापार बहुत विस्तृत था। यहां के लोग समुद्री मार्गों के माध्यम से मेसोपोटामिया और अन्य स्थानों के साथ व्यापार करते थे। हड़प्पा के व्यापारिक नेटवर्क के प्रमाण मोहनजोदाड़ो और हड़प्पा के उत्खननों से मिले हैं। इससे यह भी पता चलता है कि यह सभ्यता अत्यधिक संगठित और समृद्ध थी।
6.धार्मिक विश्वास और सांस्कृतिक जीवन
– हड़प्पा सभ्यता में पूजा-अर्चना और धार्मिक जीवन का महत्वपूर्ण स्थान था। विभिन्न स्थलों पर देवी-देवताओं की मूर्तियाँ, विशेष रूप से पुरुषों के जनेऊ (पुरुष और महिला देवताओं) और पशुओं की मूर्तियाँ पाई गई हैं। साथ ही, कुछ स्थलों पर सार्वजनिक स्नानागार और धार्मिक केन्द्र भी पाए गए हैं, जो धार्मिक गतिविधियों के महत्व को दर्शाते हैं।
7.लेखन प्रणाली (Indus Script)
– हड़प्पा संस्कृति के लोग एक लेखन प्रणाली का प्रयोग करते थे, जिसे “इंडस लिपि” कहा जाता है। हालांकि, इस लिपि को पूरी तरह से समझा नहीं जा सका है, लेकिन उत्खनन से प्राप्त मुहरों, शिलालेखों और अन्य अभिलेखों के आधार पर यह अनुमान लगाया जाता है कि यह लिपि प्रशासन, व्यापार और धार्मिक कार्यों में प्रयोग की जाती थी।
8.सामाजिक संरचना
– हड़प्पा समाज में एक व्यवस्थित और जटिल सामाजिक संरचना प्रतीत होती है। विभिन्न प्रकार की मूर्तियाँ, वस्तुएं और घरों के आकार से यह अनुमान लगाया जाता है कि समाज में विभाजन था। विशेष रूप से, किले और प्रशासनिक क्षेत्रों से यह भी स्पष्ट होता है कि हड़प्पा समाज में एक शासकीय और संगठित सत्ता रही होगी।
9.कृषि और जलवायु
– हड़प्पा सभ्यता का आधार कृषि था, जो सिंधु नदी के समीप स्थित कृषि योग्य भूमि पर निर्भर था। मुख्य रूप से, यहाँ गेहूं, जौ, बाजरा, दालें, फल और सब्जियाँ उगाई जाती थीं। सिंधु नदी और अन्य जलाशयों के माध्यम से सिंचाई की व्यवस्था की गई थी।
निष्कर्ष
हड़प्पा सभ्यता के निर्माता वे लोग थे, जिन्होंने प्राचीन समय में एक उच्च विकसित और संगठित समाज की नींव रखी थी। हड़प्पा संस्कृति की प्रमुख विशेषताएँ जैसे योजनाबद्ध नगर-निर्माण, ईंटों का उपयोग, जल निकासी प्रणाली, और व्यापारिक गतिविधियाँ इसे प्राचीनतम विकसित सभ्यताओं में से एक बनाती हैं। इस सभ्यता ने न केवल स्थापत्य और इंजीनियरिंग में योगदान दिया, बल्कि यह संस्कृति व्यापार, धर्म और सामाजिक संगठन में भी अत्यधिक उन्नत थी।