महमूद ग़ज़नवी के आक्रमण पर विस्तृत लेख Detailed article on Mahmud Ghaznavi’s invasion
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प्रस्तावना
भारतवर्ष प्राचीन काल से ही अपनी समृद्धि, वैभव, ज्ञान, संस्कृति और धार्मिक विविधता के लिए प्रसिद्ध रहा है। यह भूमि स्वर्ण-चिड़िया के नाम से विख्यात थी। लेकिन यही समृद्धि विदेशी आक्रमणकारियों को भी अपनी ओर आकर्षित करती रही। मध्यकालीन इतिहास में महमूद ग़ज़नवी के आक्रमणों ने भारत की राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक स्थिति को गहरे स्तर पर प्रभावित किया। महमूद ग़ज़नवी (971 ई.-1030 ई.) ग़ज़नी (अफगानिस्तान) का शासक था, जिसने 1000 ई. से 1027 ई. के बीच भारत पर कुल 17 आक्रमण किए। उसका मुख्य उद्देश्य भारत की अपार धन-संपदा को लूटना और अपनी शक्ति का विस्तार करना था।
महमूद ग़ज़नवी का परिचय
महमूद ग़ज़नवी का जन्म 971 ई. में ग़ज़नी (अफगानिस्तान) में हुआ था। उसके पिता सबुकतगीन ग़ज़नी के सुल्तान थे। 998 ई. में पिता की मृत्यु के बाद महमूद ने ग़ज़नी का सिंहासन संभाला। महमूद एक महत्वाकांक्षी, साहसी और क्रूर शासक था। उसकी नज़र भारत की अपार संपत्ति और खजाने पर थी। साथ ही, वह इस्लाम के प्रसार के लिए भी कटिबद्ध था।
उसने अपने राज्य को मध्य एशिया, ईरान और अफगानिस्तान तक विस्तार दिया। आर्थिक दृष्टि से समृद्ध होने के लिए उसने भारत पर कई बार आक्रमण किए।
महमूद ग़ज़नवी के आक्रमणों के प्रमुख कारण
- धन और संपत्ति की लालसा:
भारत में मंदिरों और नगरों में अपार सोना, रत्न और कीमती धातुएँ संग्रहित थीं। महमूद इन खजानों को लूटना चाहता था। - राजनीतिक असंगठन:
उस समय भारत कई छोटे-छोटे राज्यों में बँटा हुआ था। ग़ज़नवी को पता था कि एकजुट न होने के कारण भारत को आसानी से लूटा जा सकता है। - धार्मिक उत्साह:
महमूद स्वयं को इस्लाम का सच्चा अनुयायी मानता था। वह खुद को ‘ग़ाज़ी’ यानी इस्लाम के योद्धा के रूप में प्रस्तुत करता था। वह भारत में मूर्तिपूजा को खत्म करना चाहता था। - व्यापारिक मार्गों पर नियंत्रण:
ग़ज़नी को समृद्ध बनाने और व्यापार मार्गों पर नियंत्रण रखने के लिए महमूद ने भारत के उत्तर-पश्चिमी हिस्सों पर आक्रमण किए।
महमूद ग़ज़नवी के प्रमुख आक्रमण
महमूद ने 1000 ई. से 1027 ई. के बीच भारत पर 17 आक्रमण किए। इनमें से कुछ प्रमुख आक्रमण इस प्रकार हैं:
1. पहला आक्रमण (1000 ई.)
महमूद ने अपने पहले आक्रमण में हिन्दू शाही राजा जयपाल को निशाना बनाया। उसने जयपाल को हराया और भयानक लूटपाट की। जयपाल पराजय से इतना निराश हुआ कि उसने आत्महत्या कर ली।
2. दूसरा आक्रमण (1001 ई.)
पेशावर की लड़ाई में महमूद ने जयपाल के पुत्र आनंदपाल को हराया। इसके बाद उसने भटिंडा और आसपास के क्षेत्रों को लूटा।
3. मथुरा और कान्यकुब्ज पर आक्रमण (1018 ई.)
महमूद ने गंगा-यमुना के दोआब के समृद्ध नगरों पर हमला किया। उसने मथुरा में 1000 से अधिक मंदिर तोड़े और अपार धन लूटा। कहा जाता है कि मथुरा के मंदिरों से प्राप्त धन-दौलत को ढोने के लिए 1000 से अधिक ऊँटों की आवश्यकता पड़ी। इसके बाद उसने कान्यकुब्ज (कन्नौज) पर आक्रमण किया।
4. सोमनाथ पर आक्रमण (1025-26 ई.)
यह महमूद का सबसे प्रसिद्ध आक्रमण था। सोमनाथ का मंदिर गुजरात में स्थित था और अत्यंत समृद्ध माना जाता था। महमूद ने समुद्र तटीय मार्ग से सोमनाथ मंदिर पर हमला किया। कहा जाता है कि मंदिर में अपार सोना और हीरे-जवाहरात थे।
सोमनाथ के पुजारियों और भक्तों ने वीरतापूर्वक मंदिर की रक्षा की, लेकिन महमूद की सेना ने भारी विनाश किया। उसने मंदिर की मूर्ति को तोड़ा और उसकी संपत्ति लूटकर ग़ज़नी ले गया। यह आक्रमण भारत की संस्कृति और धर्म पर गहरा आघात था।
महमूद ग़ज़नवी के आक्रमणों के प्रभाव
- आर्थिक प्रभाव:
- भारत के कई समृद्ध मंदिरों और नगरों को लूटकर महमूद ने निर्धन बना दिया।
- ग़ज़नी अत्यधिक समृद्ध हो गया।
- धार्मिक और सांस्कृतिक प्रभाव:
- हजारों मंदिरों का विनाश हुआ।
- धार्मिक भावनाओं को गहरी चोट पहुँची।
- मूर्तिपूजा और हिन्दू संस्कृति पर नकारात्मक असर पड़ा।
- राजनीतिक प्रभाव:
- उत्तर भारत की राजनीतिक स्थिति और कमजोर हो गई।
- छोटे राज्यों में असुरक्षा की भावना बढ़ी।
- भारत-ग़ज़नी संबंध:
- ग़ज़नी भारत से लूटे गए धन के कारण एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक केंद्र बन गया।
- उसने ग़ज़नी में विद्वानों को संरक्षण दिया। प्रसिद्ध विद्वान अल-बेरूनी महमूद के दरबार में थे।
अल-बेरूनी का वर्णन
अल-बेरूनी (973-1048 ई.) महमूद के साथ भारत आया। उसने संस्कृत सीखी और भारत की संस्कृति, विज्ञान, गणित और समाज का अध्ययन किया। उसकी प्रसिद्ध पुस्तक ‘तहकीक-ए-हिंद’ भारत के इतिहास और संस्कृति का मूल्यवान दस्तावेज है।
महमूद की नीति और उसकी आलोचना
महमूद ग़ज़नवी को एक धार्मिक योद्धा और इस्लाम के प्रसारक के रूप में प्रस्तुत किया जाता है, लेकिन अधिकांश इतिहासकार मानते हैं कि उसका मुख्य उद्देश्य धन-संपदा की लूट था। उसने किसी भी क्षेत्र पर स्थायी शासन स्थापित नहीं किया, बल्कि लूटपाट कर लौट जाता था।
उदाहरण
- मथुरा का मंदिर: मथुरा में महमूद को इतना सोना और चाँदी मिला कि उसने उसे कई सौ ऊँटों पर लादकर ग़ज़नी भेजा।
- सोमनाथ मंदिर: इस मंदिर की लूट ने ग़ज़नी की संपत्ति को दोगुना कर दिया। कहा जाता है कि सोमनाथ से लूटी गई संपत्ति से महमूद ने ग़ज़नी में भव्य मस्जिदें और महल बनवाए।
निष्कर्ष
महमूद ग़ज़नवी के आक्रमण भारतीय इतिहास का एक महत्वपूर्ण अध्याय हैं। उसके आक्रमणों ने भारत की सांस्कृतिक धरोहर को भारी नुकसान पहुँचाया और कई समृद्ध नगर उजाड़ दिए। यद्यपि उसने भारत में कोई स्थायी साम्राज्य स्थापित नहीं किया, लेकिन उसके आक्रमणों ने बाद में तुर्की और अफगान आक्रमणकारियों के लिए रास्ता खोल दिया।
महमूद ग़ज़नवी केवल एक लुटेरा नहीं था, बल्कि उसने ग़ज़नी को विद्या और संस्कृति का केंद्र बनाया। परंतु उसके भारत आक्रमणों ने हमारे देश की आर्थिक और धार्मिक संरचना को कमजोर किया।