आदोल्फ हिटलर (1889-1945)
शुरुआत से अंत तक जरूर पढ़े। Adolf Hitler(1889-1945)
हिटलर के बारे में विस्तार से बताइये।
आदोल्फ हिटलर (1889-1945)
प्रारंभिक जीवन
जन्म- 20 अप्रैल 1889 को ऑस्ट्रिया के ब्रौनाउ अम इंन में।
पारिवारिक पृष्ठभूमि- हिटलर का परिवार मध्यम वर्गीय था। उनके पिता, आलोज़ हिटलर, एक कस्टम अधिकारी थे, और माँ, क्लारा, एक घरेलू महिला थीं। हिटलर की युवावस्था कई बदलावों और पारिवारिक तनावों से भरी थी।
शिक्षा और कला
कला का प्रेम- हिटलर ने युवा अवस्था में कला के प्रति रुचि विकसित की और वियना में कला विद्यालय में प्रवेश लेना चाहा, लेकिन उन्हें अस्वीकृत कर दिया गया।
वियना में जीवन- वियना में रहने के दौरान, उन्होंने अपने विचारों में चरमपंथिता और एंटी-सेमिटिज़्म की नींव रखी।
राजनीतिक करियर
पहली विश्व युद्ध- हिटलर ने जर्मनी की सेना में सेवा की और युद्ध के दौरान घायल हुए। यह अनुभव उनके राजनीतिक विचारों को प्रभावित किया।
जर्मन वर्कर्स पार्टी- 1919 में, उन्होंने जर्मन वर्कर्स पार्टी में शामिल होकर अपनी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत की, जो बाद में नेशनल सोशलिस्ट जर्मन वर्कर्स पार्टी (नाज़ी पार्टी) बनी।
सत्ता में आगमन
चांसलर बनना- 30 जनवरी 1933 को हिटलर जर्मनी का चांसलर बना। उसने तानाशाही स्थापित की और लोकतंत्र को समाप्त किया।
नाज़ीवाद- उसने नाज़ी विचारधारा को बढ़ावा दिया, जिसमें नस्लीय श्रेष्ठता, एंटी-सेमिटिज़्म, और जर्मन राष्ट्रीयता का प्रबलतम रूप शामिल था।
द्वितीय विश्व युद्ध
युद्ध की शुरुआत- 1 सितंबर 1939 को पोलैंड पर आक्रमण के साथ द्वितीय विश्व युद्ध की शुरुआत हुई।
युद्ध की रणनीतियाँ- हिटलर ने Blitzkrieg (तेज़ युद्ध) रणनीति का उपयोग किया, जिससे जर्मनी ने यूरोप के अधिकांश हिस्से पर नियंत्रण किया।
अंतिम वर्ष
पराजय- 1945 में, जर्मनी के चारों ओर के मोर्चे संकुचित हुए और हिटलर की हार निश्चित हो गई।
आत्महत्या- 30 अप्रैल 1945 को, बर्लिन में अपने बंकर में हिटलर ने आत्महत्या कर ली।
विरासत
हिटलर का शासनकाल मानवता के लिए एक काला अध्याय है, जिसमें लाखों लोगों की हत्या, विशेषकर यहूदियों का नरसंहार, और वैश्विक युद्ध शामिल है। उसकी विचारधारा और क्रूरता ने आज भी गहरी छाप छोड़ी है और इसे इतिहास के सबसे विवादास्पद और निंदनीय व्यक्तित्वों में से एक बना दिया है।
हिटलर एक अत्यंत विवादास्पद और महत्वपूर्ण ऐतिहासिक व्यक्ति थे, जिनका जीवन और कार्य विश्व इतिहास पर गहरा प्रभाव डाले। उनके बारे में विस्तार से जानने के लिए हमें उनके जीवन, राजनीतिक करियर, विचारधारा, और उनके द्वारा किए गए कार्यों पर ध्यान केंद्रित करना होगा।
प्रारंभिक जीवन
अडोल्फ हिटलर का जन्म 20 अप्रैल 1889 को ऑस्ट्रिया के ब्राउनाउ अम इन में हुआ। उनके पिता, आलोज़ हिटलर, एक सीमा शुल्क अधिकारी थे, और मां, क्लारा हिटलर, घरेलू महिला थीं। हिटलर का बचपन संघर्षपूर्ण रहा; उनके पिता के कठोर स्वभाव के कारण उनके साथ तनावपूर्ण संबंध थे। हिटलर ने किशोरावस्था में कला में रुचि विकसित की, लेकिन उनकी कला की शिक्षा विफल रही।
पहले विश्व युद्ध का अनुभव
हिटलर ने 1914 में पहले विश्व युद्ध में भाग लिया। वह जर्मन सेना में एक सिपाही के रूप में सेवा करते रहे और युद्ध के दौरान कई बार घायल हुए। युद्ध ने हिटलर के विचारों पर गहरा प्रभाव डाला। उन्हें जर्मनी की हार से गहरी निराशा हुई और उन्होंने देश में व्याप्त आर्थिक और राजनीतिक संकट को देखना शुरू किया।
राजनीतिक करियर की शुरुआत
युद्ध के बाद, हिटलर ने 1919 में जर्मन श्रमिक पार्टी (DAP) में शामिल हो गए, जो बाद में नेशनल सोशलिस्ट जर्मन वर्कर्स पार्टी (NSDAP) के रूप में जानी गई। हिटलर ने पार्टी के प्रचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और जल्दी ही पार्टी के नेता बन गए। उनकी रैली और भाषणों ने उन्हें एक लोकप्रिय नेता बना दिया।
नाजी विचारधारा
हिटलर की विचारधारा नस्लीय श्रेष्ठता, खासकर “आर्य” नस्ल की प्रधानता, और यहूदी-विरोधी भावनाओं पर आधारित थी। उन्होंने अपने विचारों को “मीन काम्फ” (Mein Kampf) नामक पुस्तक में लिखा, जिसमें उन्होंने जर्मनी के लिए एक संपूर्णता का दृष्टिकोण प्रस्तुत किया। इसमें उन्होंने यहूदी लोगों को जर्मन समाज के संकट का मुख्य कारण बताया।
सत्ता में आना
1933 में, हिटलर ने जर्मनी के चांसलर के रूप में पद ग्रहण किया। इसके बाद, उन्होंने लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर करना शुरू किया और तानाशाही स्थापित की। नाजी पार्टी ने राजनीतिक विरोधियों को कुचला, और हिटलर ने एक उग्र राष्ट्रवादी और सैन्यवाद की नीति अपनाई।
द्वितीय विश्व युद्ध
1939 में, हिटलर ने पोलैंड पर आक्रमण किया, जिससे द्वितीय विश्व युद्ध की शुरुआत हुई। उनका उद्देश्य यूरोप में जर्मन साम्राज्य का विस्तार करना था। युद्ध के दौरान, नाजियों ने यहूदी लोगों और अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ नरसंहार की नीति अपनाई, जिसे होलोकॉस्ट के नाम से जाना जाता है।
अंत और विरासत
1945 में जर्मनी की हार के बाद, हिटलर ने बर्लिन में आत्महत्या कर ली। उनका शासन विश्व इतिहास में एक काले अध्याय के रूप में जाना जाता है। हिटलर की नीतियों ने लाखों लोगों की जान ली और मानवता के लिए एक गहरा धब्बा छोड़ दिया।
निष्कर्ष
हिटलर का जीवन और उनका शासन न केवल जर्मनी बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक महत्वपूर्ण और त्रासद घटना रही। उनके विचार, कार्य, और नीति ने यह सिखाया कि तानाशाही, युद्ध, और नस्लीय भेदभाव के खिलाफ हमें हमेशा सजग रहना चाहिए।
इस विस्तृत समीक्षा के माध्यम से, हमें यह समझ में आता है कि इतिहास हमें क्या सिखाता है और भविष्य के लिए हमें क्या सबक लेना चाहिए।
ब्रोकन स्टोरी
हिटलर को शुरुआत से ही चित्रकारी का साथ था। वह चित्रकारों के कॉलेज में एडमिशन लेना चाहता था लेकिन वह एडमिशन उसे नहीं मिला इस वजह से उसका मन वहां से टूट गया और फिर उसने राजनीति की और कदम बढ़ाया। और वह उसमें सफल रहा अंत में जाकर वह जर्मनी का प्रधानमंत्री बना।
तानाशाह बन गया और वह लोगों को गैस चैंबर में मारने लगा। उसके गैस चैंबर में लगभग 13 लाख लोग थे जिसमें से ढाई लाख बच्चे थे।
इनमें 11 लाख लोगों की मौत हुई। और जो उस गैस चैंबर से भागने की कोशिश करते हैं वह वहां पर लगी हुई बिजली की तारों से लगकर मर जाते मतलब बचने का कोई तरीका नहीं था। वह ऐसा जातिवाद के लिए करता था। वह अपने आप को नाथसी मानता था और वहां के सारे यहूदियों को मारना शुरू कर दिया सब यहूदियों को मारने के बाद अंत में उसे पता चलता है कि वह खुद यहूदी था इस बात को वह सहन न कर सका और आखिर खुद को सर पर गोली मार ली।