खजुराहो का इतिहास History of Khajuraho
शुरुआत से अंत तक जरूर पढ़ें।
खजुराहो की जानकारी
खजुराहो के मंदिर मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित हैं और ये विश्व धरोहर स्थल के रूप में यूनेस्को द्वारा मान्यता प्राप्त हैं। ये मंदिर 9वीं से 11वीं सदी के बीच चंदेल राजाओं द्वारा बनाए गए थे। खजुराहो के मंदिरों की विशेषता उनके अद्वितीय वास्तुशिल्प और संगमरमर पर उत्कीर्ण जटिल नक्काशियों में है, जिनमें देवताओं, नृत्यांगनाओं और विभिन्न यौन मुद्राओं के चित्रण शामिल हैं।
खजुराहो भारत की ही नहीं बल्कि दुनिया में लोगों को वंश प्रगति की सीख देता है यह अत्यधिक प्राचीन और महत्वपूर्ण धरोहर है।
इनमें बनी मूर्तियाँ इंसानी प्रगति को बताया है।
इन मंदिरों में मुख्यतः दो समूह हैं: पश्चिमी समूह, जिसमें कंदारिया महादेव मंदिर और लक्ष्मण मंदिर शामिल हैं, और पूर्वी समूह, जिसमें जैन मंदिर हैं। मंदिरों का निर्माण हिंदू और जैन धर्म के विभिन्न देवताओं की पूजा के लिए किया गया था।
खजुराहो की मूर्तिकला न केवल धार्मिकता को दर्शाती है, बल्कि उस समय की समाजिक और सांस्कृतिक स्थिति का भी प्रतिबिंब है। ये मंदिर कला, संस्कृति और वास्तुकला के अद्भुत उदाहरण हैं।
1.खजुराहो के मंदिर का इतिहास बताओ।
उत्तर-खजुराहो के मंदिर भारत के मध्य प्रदेश राज्य में स्थित एक प्रसिद्ध ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थल है। ये मंदिर 10वीं से 12वीं शताब्दी के बीच चंदेल राजवंश द्वारा बनाए गए थे।
खजुराहो के मंदिरों का इतिहास-
चंदेल राजवंश (900 से 1200 ईसवी)
खजुराहो के मंदिरों का निर्माण चंदेल राजवंश के शासकों ने करवाया था।
सबसे पहले मंदिरों का निर्माण राजा हर्षवर्धन (900 से 925 ईसवी) ने करवाया।
इसके बाद राजा धंगदेव (950 से 1008 ईसवी) और राजा विद्याधर (1008 से 1035 ईसवी) ने मंदिरों का विस्तार किया।
मंदिरों की विशेषताएं
खजुराहो के मंदिरों में 85 मंदिर हैं, जिनमें से 22 मंदिर अभी भी सुरक्षित हैं।
मंदिरों की विशेषता है उनकी अद्वितीय मूर्तिकला और नक्काशी।
मंदिरों में हिंदू देवताओं की मूर्तियाँ, जैसे कि शिव, विष्णु, और कृष्ण की मूर्तियाँ हैं।
मंदिरों की दीवारों पर अमूर्त और यौन संबंधित मूर्तियाँ भी हैं।
प्रमुख मंदिर
कंदारिया महादेव मंदिर
मतंगेश्वर मंदिर
विश्वनाथ मंदिर
लक्ष्मण मंदिर
जगदंबा मंदिर
संरक्षण और महत्व
खजुराहो के मंदिर यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थल हैं।
भारत सरकार ने मंदिरों का संरक्षण और मरम्मत कार्य किया है।
खजुराहो के मंदिर भारतीय संस्कृति और इतिहास का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।
खजुराहो के मंदिर एक अद्वितीय सांस्कृतिक और ऐतिहासिक स्थल है, जो भारतीय इतिहास और संस्कृति को दर्शाते हैं। History of Khajuraho
2.खजुराहो के मंदिर को किसने बनवाया था?
उत्तर-खजुराहो के मंदिर चंदेल राजवंश के शासकों द्वारा बनवाए गए थे। इन मंदिरों का निर्माण 10वीं से 12वीं शताब्दी के बीच हुआ था।
खजुराहो के मंदिरों के निर्माण में प्रमुख राजाओं के नाम हैं-
1. राजा हर्षवर्धन (900 से 925 ईसवी)- उन्होंने खजुराहो में पहले मंदिरों का निर्माण करवाया।
2. राजा धंगदेव (950 से 1008 ईसवी)- उन्होंने मंदिरों का विस्तार किया और नए मंदिर बनवाए।
3. राजा विद्याधर (1008 से 1035 ईसवी)- उन्होंने खजुराहो के मंदिरों का सबसे अधिक विस्तार किया।
4. राजा कीर्तिवर्मन (1060 से 1100 ईसवी)- उन्होंने मंदिरों की मरम्मत और संरक्षण कार्य किया।
इन राजाओं के अलावा, अन्य चंदेल राजाओं ने भी खजुराहो के मंदिरों के निर्माण और संरक्षण में योगदान दिया।
खजुराहो के मंदिरों के प्रमुख वास्तुकार और मूर्तिकार थे-
1. वास्तुकार- मिश्र और सुत्रधार
2. मूर्तिकार- शिल्पी और कारीगर
इन वास्तुकारों और मूर्तिकारों ने खजुराहो के मंदिरों को उनकी अद्वितीय सुंदरता और विशेषता प्रदान की। History of Khajuraho
3.खजुराहो के मंदिर में ऐसी मूर्तियाँ क्यों है?
उत्तर-खजुराहो के मंदिरों में अद्वितीय और विवादित मूर्तियाँ हैं, जिनमें अमूर्त और यौन संबंधित दृश्यों को दर्शाया गया है। इन मूर्तियों के पीछे के कारणों को समझने के लिए, हमें उस समय की सांस्कृतिक, धार्मिक और कलात्मक परिस्थितियों को समझना होगा।
कुछ मुख्य कारण हैं-
1. हिंदू धर्म की कला और संस्कृति- हिंदू धर्म में कला और संस्कृति का महत्वपूर्ण स्थान है। खजुराहो के मंदिरों में मूर्तियाँ हिंदू धर्म की कलात्मक अभिव्यक्ति का एक हिस्सा हैं।
2. कामसूत्र की प्रेरणा- खजुराहो के मंदिरों की मूर्तियाँ कामसूत्र की प्रेरणा से बनाई गई हैं। कामसूत्र एक प्राचीन हिंदू ग्रंथ है, जो मानव संबंधों और यौन संबंधों के बारे में बताता है।
3. जीवन की सच्चाई का प्रतिबिंब- खजुराहो के मंदिरों की मूर्तियाँ जीवन की सच्चाई का प्रतिबिंब हैं। ये मूर्तियाँ मानव जीवन के विभिन्न पहलुओं को दर्शाती हैं, जिनमें यौन संबंध भी शामिल हैं।
4. धार्मिक और आध्यात्मिक अर्थ- खजुराहो के मंदिरों की मूर्तियों में धार्मिक और आध्यात्मिक अर्थ भी हैं। ये मूर्तियाँ मानव जीवन के उद्देश्य और लक्ष्य को दर्शाती हैं।
5. कलात्मक अभिव्यक्ति- खजुराहो के मंदिरों की मूर्तियाँ कलात्मक अभिव्यक्ति का एक हिस्सा हैं। ये मूर्तियाँ उस समय के कलाकारों की कल्पना और कौशल को दर्शाती हैं।
इन कारणों को समझने से हमें खजुराहो के मंदिरों की मूर्तियों की सच्चाई और महत्व को समझने में मदद मिलती है। History of Khajuraho
4.खजुराहो में कौन से भगवान है?
उत्तर-खजुराहो में कई हिंदू देवताओं के मंदिर हैं, जिनमें से प्रमुख हैं-
1. शिवजी- कंदारिया महादेव मंदिर, मतंगेश्वर मंदिर, और विश्वनाथ मंदिर में शिवजी की मूर्तियाँ हैं।
2. विष्णु- लक्ष्मण मंदिर, जगदंबा मंदिर, और विश्वनाथ मंदिर में विष्णु की मूर्तियाँ हैं।
3. कृष्ण- जगदंबा मंदिर में कृष्ण की मूर्तियाँ हैं।
4. गणेश- कई मंदिरों में गणेश की मूर्तियाँ हैं।
5. दुर्गा- जगदंबा मंदिर में दुर्गा की मूर्तियाँ हैं।
6. सूर्य देव- सूर्य मंदिर में सूर्य देव की मूर्तियाँ हैं।
7. भगवान आदिनाथ (जैन धर्म)- पार्श्वनाथ मंदिर में भगवान आदिनाथ की मूर्तियाँ हैं।
इन देवताओं के अलावा, खजुराहो के मंदिरों में कई अन्य देवताओं और देवियों की मूर्तियाँ भी हैं, जैसे कि-
अप्सराएँ
यक्ष
गंधर्व
किन्नर
नाग और नागिन
इन मूर्तियों को देखने से हमें हिंदू धर्म और जैन धर्म की कला और संस्कृति की झलक मिलती है। History of Khajuraho
5.खजुराहो का क्या अर्थ है?
उत्तर-खजुराहो का नाम दो शब्दों से मिलकर बना है: “खजुर” और “हो”।
“खजुर” का अर्थ है “खजूर का पेड़”। खजूर एक प्रकार का पेड़ है जो इस क्षेत्र में बहुत आम है।
“हो” का अर्थ है “स्थान” या “गांव”।
इस प्रकार, खजुराहो का अर्थ है “खजूर के पेड़ों का स्थान” या “खजूर के पेड़ों का गांव”। यह नाम इस क्षेत्र में खजूर के पेड़ों की बहुतायत के कारण पड़ा होगा।
एक अन्य मत के अनुसार, खजुराहो का नाम “खजुरावती” से आया है, जिसका अर्थ है “खजूर की नदी”। यह नाम इस क्षेत्र में बहने वाली एक नदी के नाम पर आधारित हो सकता है।
खजुराहो का नाम इसके ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व के अलावा, इसके प्राकृतिक सौंदर्य को भी दर्शाता है।
6.खजुराहो में कौन सी नदी बहती है?
उत्तर-खजुराहो में बहने वाली प्रमुख नदी है-
केन नदी
केन नदी मध्य प्रदेश राज्य में बहने वाली एक महत्वपूर्ण नदी है। यह नदी विंध्याचल पर्वत शृंखला से निकलती है और यमुना नदी में मिल जाती है।
केन नदी खजुराहो के पास से होकर गुजरती है और शहर के लिए जल स्रोत के रूप में कार्य करती है। नदी के किनारे पर स्थित खजुराहो के मंदिर और अन्य ऐतिहासिक स्थल इस नदी के महत्व को दर्शाते हैं।
केन नदी के अलावा, खजुराहो में अन्य छोटी नदियाँ और नाले भी हैं, जो शहर के लिए जल स्रोत के रूप में कार्य करते हैं।
केन नदी का महत्व-
जल स्रोत
सिंचाई
मत्स्य पालन
पर्यटन
ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व
केन नदी खजुराहो की सुंदरता और महत्व को बढ़ाती है।
7.खजुराहो का राजा कौन था?
उत्तर-खजुराहो के चंदेल राजवंश के प्रमुख राजाओं के नाम हैं-
1. हर्षवर्धन (900 से 925 ईसवी)
2. यशोवर्मन (925 से 950 ईसवी)
3. धंगदेव (960 से 1008 ईसवी)
4. विद्याधर (1008 से 1035 ईसवी)
5. विजयपाल (1035 से 1050 ईसवी)
6. कीर्तिवर्मन (1050 से 1060 ईसवी)
7. सल्हनपाल (1060 से 1070 ईसवी)
8. जयसिम्हा (1070 से 1080 ईसवी)
9. पृथ्वीराज (1080 से 1100 ईसवी)
10. यशोवर्मन द्वितीय (1100 से 1120 ईसवी)
इन राजाओं में से सबसे प्रसिद्ध हैं-
धंगदेव- उन्होंने खजुराहो के मंदिरों का निर्माण करवाया।
विद्याधर- उन्होंने खजुराहो के मंदिरों का विस्तार किया।
कीर्तिवर्मन- उन्होंने खजुराहो के मंदिरों की मरम्मत और संरक्षण कार्य किया।
इन राजाओं ने खजुराहो को एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और ऐतिहासिक केंद्र बनाया। History of Khajuraho
8.खजुराहो कितने साल पुराना है?
उत्तर-खजुराहो का इतिहास लगभग 1000 साल पुराना है। खजुराहो के मंदिरों का निर्माण 10वीं से 12वीं शताब्दी के बीच हुआ था।
खजुराहो के इतिहास का विभाजन इस प्रकार है-
– 900 से 1000 ईसवी- चंदेल राजवंश की स्थापना और खजुराहो के मंदिरों का निर्माण।
– 1000 से 1100 ईसवी- खजुराहो के मंदिरों का विस्तार और संरक्षण।
– 1100 से 1200 ईसवी- खजुराहो के मंदिरों की मरम्मत और संरक्षण।
– 1200 से 1500 ईसवी- खजुराहो का पतन और मंदिरों की उपेक्षा।
– 1500 से 1900 ईसवी- खजुराहो की पुनर्खोज और मंदिरों की मरम्मत।
– 1900 से 2000 ईसवी- खजुराहो का विकास और पर्यटन केंद्र के रूप में स्थापना।
– 2000 ईसवी से वर्तमान- खजुराहो का संरक्षण और विकास।
इस प्रकार, खजुराहो का इतिहास लगभग 1000 साल पुराना है, और यह एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और ऐतिहासिक केंद्र है। History of Khajuraho
9.खजुराहो का नाम खजुराहो क्यों पड़ा?
उत्तर-खजुराहो का नाम खजुराहो इसलिए पड़ा क्योंकि यहाँ पर खजूर के पेड़ बहुत अधिक मात्रा में हुआ करते थे।
खजुराहो का नाम दो शब्दों से मिलकर बना है-
“खजुर” या “खजूर” जिसका अर्थ है खजूर का पेड़
“हो” या “ओ” जिसका अर्थ है स्थान या गांव
इस प्रकार, खजुराहो का अर्थ है “खजूर के पेड़ों का स्थान” या “खजूर के पेड़ों का गांव”।
यह नाम इस क्षेत्र में खजूर के पेड़ों की बहुतायत के कारण पड़ा होगा। खजूर के पेड़ इस क्षेत्र की एक महत्वपूर्ण विशेषता थी, और इसलिए इस स्थान का नाम खजुराहो पड़ गया।
एक अन्य मत के अनुसार, खजुराहो का नाम “खजुरावती” से आया है, जिसका अर्थ है “खजूर की नदी”। यह नाम इस क्षेत्र में बहने वाली एक नदी के नाम पर आधारित हो सकता है।
लेकिन अधिकांश इतिहासकार और विद्वान खजुराहो का नाम खजूर के पेड़ों से जोड़ते हैं। History of Khajuraho
10.खजुराहो का रहस्य क्या है?
उत्तर-खजुराहो के कई रहस्य हैं जो इसे एक अद्वितीय और आकर्षक स्थल बनाते हैं। यहाँ कुछ रहस्य हैं-
1. मंदिरों की वास्तुकला- खजुराहो के मंदिरों की वास्तुकला अद्वितीय है, जिसमें जटिल नक्काशी और मूर्तियाँ हैं।
2. यौन मूर्तियाँ- खजुराहो के मंदिरों में यौन मूर्तियाँ हैं, जो हिंदू धर्म की कामसूत्र परंपरा को दर्शाती हैं।
3. गुप्त मंदिर- खजुराहो में कुछ गुप्त मंदिर हैं जो आम जनता के लिए बंद हैं।
4. अदृश्य नक्काशी- खजुराहो के मंदिरों में अदृश्य नक्काशी हैं जो केवल विशेषज्ञों को दिखाई देती हैं।
5. ज्योतिषीय महत्व- खजुराहो के मंदिरों में ज्योतिषीय महत्व के स्थल हैं जो ग्रहों और नक्षत्रों की स्थिति को दर्शाते हैं।
6. प्राचीन विज्ञान- खजुराहो के मंदिरों में प्राचीन विज्ञान के अवशेष हैं जो उस समय की तकनीकी ज्ञान को दर्शाते हैं।
7. छुपे हुए कमरे- खजुराहो के मंदिरों में छुपे हुए कमरे हैं जो आम जनता के लिए बंद हैं।
8. गुप्त सुरंगें- खजुराहो में गुप्त सुरंगें हैं जो मंदिरों को जोड़ती हैं।
9. प्राचीन लिपियाँ- खजुराहो के मंदिरों में प्राचीन लिपियाँ हैं जो उस समय की भाषा को दर्शाती हैं।
10. ऐतिहासिक महत्व- खजुराहो का ऐतिहासिक महत्व हिंदू धर्म और भारतीय संस्कृति के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
इन रहस्यों को जानने से खजुराहो का महत्व और आकर्षण बढ़ जाता है। History of Khajuraho
11.खजुराहो में ऐसे मंदिर क्यों है?
उत्तर-खजुराहो में ऐसी मंदिर हैं क्योंकि यहाँ के चंदेल राजवंश ने हिंदू धर्म की कला और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए इन मंदिरों का निर्माण करवाया था। यहाँ कुछ कारण हैं-
1. धार्मिक महत्व- खजुराहो में मंदिर बनाने का मुख्य उद्देश्य धार्मिक महत्व था। चंदेल राजवंश ने हिंदू धर्म के देवताओं की पूजा के लिए मंदिर बनवाए।
2. कलात्मक अभिव्यक्ति- खजुराहो के मंदिरों में अद्वितीय कलात्मक अभिव्यक्ति है, जो उस समय के कलाकारों की कल्पना और कौशल को दर्शाती है।
3. सांस्कृतिक महत्व- खजुराहो के मंदिरों में सांस्कृतिक महत्व है, जो हिंदू धर्म और भारतीय संस्कृति के बारे में बताते हैं।
4. राजाओं की इच्छा- चंदेल राजवंश के राजाओं ने अपनी इच्छा के अनुसार मंदिर बनवाए, जो उनकी शक्ति और प्रभाव को दर्शाते हैं।
5. ऐतिहासिक महत्व- खजुराहो के मंदिरों में ऐतिहासिक महत्व है, जो उस समय के इतिहास और संस्कृति के बारे में बताते हैं।
इन कारणों से खजुराहो में ऐसी मंदिर हैं जो अद्वितीय और आकर्षक हैं। History of Khajuraho
12. खजुराहो का मंदिर क्यों प्रसिद्ध है?
उत्तर-खजुराहो का मंदिर प्रसिद्ध है क्योंकि-
1. अद्वितीय वास्तुकला- खजुराहो के मंदिरों की वास्तुकला अद्वितीय है, जिसमें जटिल नक्काशी और मूर्तियाँ हैं।
2. यौन मूर्तियाँ- खजुराहो के मंदिरों में यौन मूर्तियाँ हैं, जो हिंदू धर्म की कामसूत्र परंपरा को दर्शाती हैं।
3. ऐतिहासिक महत्व- खजुराहो के मंदिरों में ऐतिहासिक महत्व है, जो उस समय के इतिहास और संस्कृति के बारे में बताते हैं।
4. सांस्कृतिक महत्व- खजुराहो के मंदिरों में सांस्कृतिक महत्व है, जो हिंदू धर्म और भारतीय संस्कृति के बारे में बताते हैं।
5. यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल- खजुराहो के मंदिरों को यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया है।
6. अद्वितीय नक्काशी- खजुराहो के मंदिरों में अद्वितीय नक्काशी है, जो पत्थर पर की गई है।
7. मूर्तियों की विविधता- खजुराहो के मंदिरों में विभिन्न देवताओं और देवियों की मूर्तियाँ हैं।
8. प्राचीन तकनीक- खजुराहो के मंदिरों में प्राचीन तकनीक का उपयोग किया गया है।
9. धार्मिक महत्व- खजुराहो के मंदिरों में धार्मिक महत्व है, जो हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए पवित्र स्थल हैं।
10. पर्यटन महत्व- खजुराहो के मंदिरों का पर्यटन महत्व है, जो देशी-विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।
इन कारणों से खजुराहो का मंदिर प्रसिद्ध है। History of Khajuraho