ओणम त्योहार का इतिहास History of Onam Festival


ओणम त्योहार का इतिहास History of Onam Festival

शुरुआत से अंत तक जरूर पढ़े। History of Onam Festival

ओणम एक प्रमुख त्योहार है, जिसे विशेष रूप से केरल में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्योहार मलयालम कैलेंडर के चिंगम मास की पहली दिन से शुरू होता है और लगभग दस दिन तक चलता है। ओणम का उत्सव हर साल आमतौर पर अगस्त या सितंबर में आता है।

ओणम के इतिहास और पृष्ठभूमि

 

1.महाबली की कथा- ओणम का त्योहार राजा महाबली की स्मृति में मनाया जाता है। कहा जाता है कि महाबली एक दयालु और न्यायप्रिय राजा थे, जिनके शासन में केरल में समृद्धि और खुशहाली थी। देवताओं ने उनकी शक्ति से भयभीत होकर भगवान विष्णु को उनका वध करने के लिए भेजा। भगवान विष्णु ने वामन अवतार धारण किया और महाबली को स्वर्ग भेज दिया। हालांकि, महाबली ने भगवान विष्णु से प्रार्थना की कि वे हर साल अपने देशवासियों के पास वापस आ सकें।

2.समृद्धि का प्रतीक- ओणम का त्योहार कृषि और फसल की कटाई का भी प्रतीक है। यह समय केरल के खेतों में फसलों की भरपूर पैदावार का समय होता है।

ओणम की तैयारी

मनोरंजन और सजावट- ओणम की तैयारी त्योहार से पहले ही शुरू होती है। लोग अपने घरों को सजाते हैं, रंगोली बनाते हैं, और विभिन्न रंग-बिरंगे फूलों से ओणम पुक्कल (फूलों की सजावट) करते हैं।

कपड़े और खरीदारी- लोग इस अवसर पर नए कपड़े पहनते हैं। विशेष रूप से महिलाओं द्वारा पारंपरिक केरल साड़ी, जिसे ‘निवरु’ कहा जाता है, पहनना पसंद किया जाता है।

ओणम उत्सव

1.पल्लीकट्टू- ओणम की शुरुआत पल्लीकट्टू से होती है, जिसमें लोग गायों को सजाते हैं और उन्हें घरों में लाते हैं।

2.उथरनाडु- ओणम की पहली दिन को ‘उथरनाडु’ कहा जाता है। यह दिन महाबली के स्वागत का दिन होता है।

3.ओणम सज्जी- ओणम के दौरान लोग विशेष ओणम सज्जी तैयार करते हैं, जिसमें कई प्रकार की सब्जियाँ और चावल शामिल होते हैं। यह विशेष भोज ओणम साद्या के रूप में जाना जाता है।

4.साद्या- ओणम के भोज में लगभग 26 विभिन्न व्यंजन शामिल होते हैं, जिसमें पायसम, अवियाल, थिरुकल, और कुट्टु शामिल हैं। यह भोज पत्तों पर परोसा जाता है।

5.कृष्णनाट्टम और अन्य प्रदर्शन- ओणम के दौरान विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं, जैसे कि कृष्णनाट्टम, कथकली, और ओडिसी नृत्य। लोग पारंपरिक नृत्य और संगीत में भाग लेते हैं।

6.विषु और जलक्रीड़ा- ओणम के अंतिम दिन ‘विषु’ नामक जलक्रीड़ा का आयोजन होता है, जिसमें लोग पानी में तैरते हैं और विभिन्न जल खेलों का आनंद लेते हैं।

ओणम का सांस्कृतिक महत्व

सामाजिक एकता- ओणम के अवसर पर सभी वर्गों के लोग एक साथ मिलकर त्योहार मनाते हैं। यह सामाजिक एकता और भाईचारे का प्रतीक है।

पारंपरिक विरासत- ओणम, केरल की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को दर्शाता है, जिसमें संगीत, नृत्य, और भोजन की विशेषताएँ शामिल हैं।

निष्कर्ष

ओणम केवल एक त्योहार नहीं है, बल्कि यह एक समृद्ध संस्कृति और परंपरा का उत्सव है। यह न केवल महाबली के स्वागत का प्रतीक है, बल्कि केरल की कृषि, संस्कृति, और मानवता के मूल्यों का भी प्रतिनिधित्व करता है। हर वर्ष, ओणम के दौरान, लोग एकजुट होकर खुशियों का अनुभव करते हैं और अपनी परंपराओं को जीवित रखते हैं। History of Onam Festival

यहां ओणम त्योहार से जुड़े कुछ अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न दिए गए हैं-

1.ओणम क्या है?

उत्तर- ओणम एक प्रमुख और महत्वपूर्ण त्योहार है, जो विशेष रूप से केरल राज्य में मनाया जाता है। यह त्योहार मलयालम कैलेंडर के चिंगम महीने की शुरुआत के साथ आता है और आमतौर पर अगस्त या सितंबर में पड़ता है। ओणम का त्योहार न केवल एक सांस्कृतिक उत्सव है, बल्कि यह समृद्धि, भाईचारे और सामुदायिक एकता का प्रतीक भी है।

ओणम का इतिहास

राजा महाबली की कथा- ओणम का त्योहार राजा महाबली की स्मृति में मनाया जाता है, जो एक दयालु और न्यायप्रिय राजा थे। कहा जाता है कि महाबली ने अपने शासन के दौरान अपने प्रजा को सुख, समृद्धि और खुशहाली प्रदान की। देवताओं ने उनकी शक्ति से भयभीत होकर भगवान विष्णु को भेजा, जिन्होंने वामन अवतार लेकर महाबली को स्वर्ग भेज दिया। हालांकि, महाबली ने भगवान विष्णु से प्रार्थना की कि वे हर वर्ष अपने देशवासियों के पास लौट सकें। ओणम के दौरान महाबली के स्वागत का यह त्योहार मनाया जाता है।

ओणम की तैयारी

सजावट- ओणम के आगमन के पहले लोग अपने घरों को सुंदरता से सजाते हैं। फूलों से रंगोली (पुक्कल) बनाई जाती है, जो घरों के सामने रखी जाती है।

खरीदारी और नए कपड़े- लोग इस अवसर पर नए कपड़े खरीदते हैं, विशेष रूप से महिलाएं पारंपरिक केरल साड़ी पहनती हैं।

ओणम उत्सव

1.उथरनाडु- ओणम का मुख्य दिन, जिसे ‘उथरनाडु’ कहा जाता है, महाबली के स्वागत का दिन होता है।

2.ओणम साद्या- ओणम के दिन विशेष ओणम साद्या तैयार की जाती है, जिसमें लगभग 26 विभिन्न व्यंजन शामिल होते हैं। यह पत्तों पर परोसा जाता है, जिसमें पायसम, अवियाल, थिरुकल, और कुट्टु प्रमुख हैं।

3.सांस्कृतिक कार्यक्रम- ओणम के दौरान विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होते हैं, जैसे कि नृत्य, संगीत, और नाटक। प्रसिद्ध ‘कृष्णनाट्टम’ और ‘कथकली’ नृत्य प्रस्तुतियाँ होती हैं।

4.जलक्रीड़ा और खेल- ओणम के दौरान विभिन्न खेलों और जलक्रीड़ा का आयोजन किया जाता है। विशेष रूप से, ‘विषु’ नामक जलक्रीड़ा का आयोजन होता है।

ओणम का सांस्कृतिक महत्व

सामाजिक एकता- ओणम का त्योहार सभी वर्गों और समुदायों को एक साथ लाता है। यह भाईचारे और सामूहिकता का प्रतीक है।

कृषि का प्रतीक- ओणम का त्योहार कृषि के महत्व को भी दर्शाता है, क्योंकि यह फसल की कटाई का समय होता है।

संस्कृति और परंपरा- ओणम के उत्सव के माध्यम से केरल की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और परंपराएँ जीवित रहती हैं।

निष्कर्ष

ओणम केवल एक त्योहार नहीं है, बल्कि यह एक समृद्ध संस्कृति, परंपरा और मानवता का उत्सव है। यह राजा महाबली के स्वागत का प्रतीक है, जो दयालुता और समृद्धि का संदेश फैलाता है। ओणम के दौरान लोग एकजुट होकर खुशियों का अनुभव करते हैं और अपनी परंपराओं को मनाते हैं। History of Onam Festivalv

2.ओणम कब मनाया जाता है?

उत्तर- ओणम त्योहार हर साल केरल में विशेष धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्योहार मुख्य रूप से मलयालम कैलेंडर के चिंगम महीने में आता है, जो आमतौर पर अगस्त या सितंबर में पड़ता है। ओणम की शुरुआत चिंगम मास की पहली तिथि से होती है और यह दस दिन तक चलता है।

ओणम का विशेष दिन

उथरनाडु- ओणम का मुख्य दिन जिसे ‘उथरनाडु’ कहा जाता है, विशेष महत्व रखता है। यह दिन राजा महाबली के स्वागत का दिन होता है, जो हर साल इस दिन अपने प्रजा के पास लौटते हैं।

दशमी- ओणम का अंतिम दिन ‘दशमी’ कहलाता है, जो त्योहार की समाप्ति का संकेत देता है। इस दिन विशेष कार्यक्रमों और जलक्रीड़ाओं का आयोजन होता है।

ओणम का समय

मौसमी परिवर्तन- ओणम का त्योहार भारतीय मानसून के अंत के समय मनाया जाता है, जब फसलों की कटाई हो चुकी होती है। यह कृषि पर आधारित त्योहार है, जो समृद्धि और खुशहाली का प्रतीक है।

त्योहार का आगाज़- ओणम के दिन लोग अपने घरों को सजाते हैं, विशेष पकवान तैयार करते हैं, और अपने दोस्तों और परिवार के साथ मिलकर उत्सव मनाते हैं।

ओणम की तैयारी

पुल्लिंगल- त्योहार की तैयारी कुछ समय पहले से शुरू होती है। लोग अपने घरों में फूलों की सजावट करते हैं, रंगोली बनाते हैं, और नए कपड़े खरीदते हैं।

समुदाय का एकत्रीकरण- ओणम का पर्व सभी वर्गों और समुदायों को एक साथ लाता है, जो इसे एक विशेष अवसर बनाता है।

निष्कर्ष

ओणम का त्योहार न केवल राजा महाबली के स्वागत का प्रतीक है, बल्कि यह समृद्धि, भाईचारे, और सांस्कृतिक एकता का पर्व भी है। यह त्योहार हर साल लोगों में खुशी और उत्साह का संचार करता है, और केरल की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को जीवित रखता है। History of Onam Festival

3.ओणम की परंपराएँ क्या हैं?

उत्तर- ओणम त्योहार केरल में मनाए जाने वाले प्रमुख त्योहारों में से एक है, और इसकी अनेक परंपराएँ और अनुष्ठान हैं। ये परंपराएँ न केवल सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व रखती हैं, बल्कि सामाजिक एकता और सामुदायिक भावना को भी बढ़ावा देती हैं। यहाँ ओणम की कुछ प्रमुख परंपराओं का वर्णन किया गया है-

1.घर की सजावट
पुक्कल- ओणम के दौरान घरों को रंग-बिरंगे फूलों से सजाया जाता है। विशेष रूप से, फूलों की रंगोली बनाई जाती है, जिसे ‘पुक्कल’ कहा जाता है। यह सजावट महाबली के स्वागत का प्रतीक है।

2.नए कपड़े पहनना
इस अवसर पर लोग नए और पारंपरिक कपड़े पहनते हैं। महिलाएं अक्सर ‘निवरु’ साड़ी पहनती हैं, जबकि पुरुषों के लिए धोती और कुर्ता सामान्य होते हैं।

3.ओणम साद्या
ओणम के दिन विशेष भोज का आयोजन किया जाता है, जिसे ‘ओणम साद्या’ कहते हैं। इसमें लगभग 26 विभिन्न व्यंजन शामिल होते हैं, जैसे पायसम, अवियाल, थिरुकल, और कुट्टु। यह भोज केले के पत्ते पर परोसा जाता है।

4.पल्लीकट्टू
ओणम की शुरुआत पल्लीकट्टू से होती है, जिसमें गायों को सजाया जाता है और उन्हें घरों में लाया जाता है। यह समृद्धि और खुशहाली का प्रतीक है।

5.सांस्कृतिक कार्यक्रम
ओणम के दौरान विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होते हैं, जैसे कि कृष्णनाट्टम, कथकली, और अन्य पारंपरिक नृत्य और संगीत प्रस्तुतियाँ। ये कार्यक्रम समाज के सांस्कृतिक धरोहर को दर्शाते हैं।

6.जल क्रीड़ा और खेल
ओणम के दौरान विभिन्न जल क्रीड़ाओं और पारंपरिक खेलों का आयोजन किया जाता है। विशेष रूप से, ‘विषु’ नामक जलक्रीड़ा होती है, जिसमें लोग विभिन्न जल खेलों का आनंद लेते हैं।

7.महाबली का स्वागत
ओणम के दौरान लोग महाबली के स्वागत के लिए विभिन्न अनुष्ठान करते हैं। इसे सम्मान देने के रूप में देखा जाता है, और लोग भव्य भोज और समारोहों के माध्यम से इसका जश्न मनाते हैं।

8.सामुदायिक एकता
ओणम का त्योहार सभी वर्गों और समुदायों को एक साथ लाता है। लोग एक-दूसरे के घरों में जाकर मिठाइयाँ और भोजन बाँटते हैं, जो भाईचारे का प्रतीक है।

निष्कर्ष

ओणम की ये परंपराएँ केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं हैं, बल्कि ये केरल की समृद्ध संस्कृति, परंपराओं, और सामाजिक एकता को भी दर्शाती हैं। ओणम का त्योहार हर साल लोगों में खुशियाँ, उत्साह, और सामुदायिक भावना का संचार करता है। History of Onam Festival

4.ओणम साद्या में क्या-क्या शामिल होता है?

उत्तर- ओणम साद्या एक विशेष भोज है जो ओणम त्योहार के दौरान परोसा जाता है। यह पारंपरिक केरल की शैली में बनाए गए व्यंजनों का समृद्ध और विविधता भरा सेट होता है। ओणम साद्या का मुख्य आकर्षण यह है कि इसे केले के पत्ते पर परोसा जाता है, और इसमें लगभग 26 से अधिक विभिन्न व्यंजन शामिल होते हैं। यहाँ ओणम साद्या में शामिल प्रमुख व्यंजनों का विवरण दिया गया है-

1.पायसम
पायसम- यह एक मीठा दूध का व्यंजन है, जिसे चावल, दूध, और चीनी के साथ बनाया जाता है। विभिन्न प्रकार के पायसम होते हैं, जैसे अद्रक का पायसम, नारियल का पायसम, और वेल्लम पायसम।

2.अवियाल
अवियाल- यह एक मिश्रित सब्जी की डिश है, जिसमें विभिन्न सब्जियाँ और नारियल का पेस्ट मिलाया जाता है। यह एक बहुत ही पौष्टिक व्यंजन है।

3.थिरुकल
थिरुकल- यह एक सांभर जैसा व्यंजन होता है, जो दाल, सब्जियाँ, और मसालों से बनाया जाता है। इसे चावल के साथ परोसा जाता है।

4.कुट्टू
कुट्टू- यह एक प्रकार का करी है, जो विभिन्न सब्जियों और मसालों के साथ बनाया जाता है। यह बहुत ही स्वादिष्ट होता है।

5.चक्का वरत्तियाथु
चक्का वरत्तियाथु- यह कटे हुए काजू और चकोर फल (कटहल) का एक विशेष पकवान है, जो मीठा होता है।

6.पापडम
पापडम- यह एक कुरकुरी स्नैक होती है, जिसे आमतौर पर खाने के साथ परोसा जाता है। यह साद्या का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

7.चटनी
चटनी- विभिन्न प्रकार की चटनियाँ जैसे नारियल चटनी, टमाटर चटनी, और हरी मिर्च की चटनी साद्या के साथ परोसी जाती हैं।

8.सांभर
सांभर- यह एक दाल आधारित करी होती है, जिसमें ताजगी के लिए सब्जियाँ और मसाले मिलाए जाते हैं। यह चावल के साथ खाने के लिए बहुत लोकप्रिय है।

9.बिरयानी
ओणम बिरयानी- कुछ क्षेत्रों में ओणम साद्या में बिरयानी भी शामिल होती है, जो खासकर मांस या सब्जियों के साथ बनाई जाती है।

10.पत्तल
पत्तल- यह एक विशेष मीठी डिश होती है, जो ताजे नारियल और गुड़ से बनाई जाती है।

11.मुरुक्कु और उंडल
मुरुक्कु- एक कुरकुरी स्नैक जो चावल के आटे और मसालों से बनाई जाती है।
उंडल- यह एक प्रकार का दाल का पकवान है, जो ताजगी और स्वाद के लिए विशेष है।

निष्कर्ष

ओणम साद्या न केवल एक भोजन है, बल्कि यह केरल की सांस्कृतिक धरोहर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह विविधता और समृद्धि का प्रतीक है, जो परिवार और दोस्तों के साथ मिलकर साझा करने के लिए बनाया जाता है। ओणम के अवसर पर साद्या का आनंद लेना एक खास अनुभव होता है, जो इस त्योहार की खुशियों को और बढ़ा देता है। History of Onam Festival

5.ओणम के दौरान कौन से खेल खेले जाते हैं?

ओणम त्योहार का इतिहास History of Onam Festival
ओणम त्योहार का इतिहास History of Onam Festival

उत्तर- ओणम के दौरान खेले जाने वाले खेल और गतिविधियाँ त्योहार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। ये खेल न केवल मनोरंजन का साधन होते हैं, बल्कि सामुदायिक भावना और पारंपरिक संस्कृति को भी बढ़ावा देते हैं। यहाँ ओणम के दौरान खेले जाने वाले कुछ प्रमुख खेलों का वर्णन किया गया है-

1.पुलिकली
पुलिकली- यह एक पारंपरिक नृत्य और खेल है, जिसमें लोग शेर और बाघ के रूप में सजे होते हैं। यह खेल आमतौर पर गाँवों में आयोजित होता है और इसका मुख्य उद्देश्य मनोरंजन और उत्सव का आनंद लेना होता है।

2.कंबला
कंबला- यह एक पारंपरिक भैंस दौड़ है, जिसमें भैंसें एक विशेष मार्ग पर दौड़ती हैं। यह खेल खासतौर पर कर्नाटका के तटीय क्षेत्रों में प्रसिद्ध है और ओणम के समय में भी कुछ क्षेत्रों में आयोजित किया जाता है।

3.ओणम बोट रेस
बोट रेस- ओणम के अवसर पर जल क्रीड़ाओं का आयोजन किया जाता है, जिसमें विशेष रूप से नदियों में नावों की दौड़ होती है। ये रेसें बेहद रोमांचक होती हैं और देखने में आनंददायक होती हैं।

4.कुट्टिकलियाट्टम
कुट्टिकलियाट्टम– यह एक पारंपरिक खेल है जिसमें बच्चे एक-दूसरे के साथ मिलकर खेलते हैं। इसमें विभिन्न प्रकार के खेल होते हैं, जैसे ‘सांप-सीढ़ी’ और अन्य स्थानीय खेल।

5.विषु क्रीड़ा
विषु क्रीड़ा- ओणम के अंतिम दिन, जिसे ‘विषु’ कहा जाता है, लोग विभिन्न जल क्रीड़ाओं का आनंद लेते हैं। ये खेल सामुदायिक बंधन को मजबूत करते हैं।

6.सामाजिक खेल
समुदाय के खेल- ओणम के समय, विभिन्न सामाजिक खेलों का आयोजन किया जाता है, जैसे ‘खो-खो’, ‘गिल्ली-डंडा’, और ‘लुका-छुपी’। ये खेल बच्चों और बड़ों दोनों के बीच लोकप्रिय होते हैं।

7.मुक्कुलाथि नृत्य
मुक्कुलाथि नृत्य- यह एक पारंपरिक नृत्य प्रदर्शन है, जिसमें लोग रंग-बिरंगे कपड़े पहनकर विभिन्न प्रकार के नृत्य करते हैं। यह नृत्य सामूहिक रूप से किया जाता है और उत्सव का एक आनंददायक हिस्सा होता है।

निष्कर्ष

ओणम के दौरान खेले जाने वाले ये खेल न केवल आनंद का स्रोत होते हैं, बल्कि ये सामाजिकता और सांस्कृतिक पहचान को भी मजबूत करते हैं। ये गतिविधियाँ त्योहार के जश्न को और अधिक जीवंत बनाती हैं, जिससे लोग एकजुट होकर खुशियों का अनुभव करते हैं। ओणम का उत्सव और खेलों का यह मिश्रण केरल की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को जीवित रखता है। History of Onam Festival

6.ओणम का महत्व क्या है?

उत्तर- ओणम का त्योहार केरल में मनाए जाने वाले सबसे महत्वपूर्ण और प्रमुख त्योहारों में से एक है। इसका महत्व कई दृष्टिकोणों से देखा जा सकता है, जिसमें धार्मिक, सांस्कृतिक, और सामाजिक पहलू शामिल हैं। यहाँ ओणम के महत्व को विस्तार से वर्णित किया गया है-

1.धार्मिक महत्व

राजा महाबली की कथा- ओणम का त्योहार राजा महाबली की स्मृति में मनाया जाता है, जो एक दयालु और न्यायप्रिय राजा थे। कहा जाता है कि महाबली हर वर्ष अपने प्रजा के पास वापस आते हैं, और इस अवसर पर उनके स्वागत के लिए ओणम मनाया जाता है। यह धार्मिकता और श्रद्धा का प्रतीक है।

धार्मिक अनुष्ठान- ओणम के दौरान लोग पूजा-पाठ करते हैं, विशेष रूप से देवी-देवताओं की पूजा की जाती है। यह श्रद्धा और भक्ति का एक महत्वपूर्ण पहलू है।

2.सांस्कृतिक महत्व

संस्कृति का उत्सव- ओणम के माध्यम से केरल की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और परंपराएँ जीवित रहती हैं। विभिन्न नृत्य, संगीत, और कला प्रदर्शन इस त्योहार का अभिन्न हिस्सा हैं, जो क्षेत्रीय विविधता को दर्शाते हैं।

पारंपरिक व्यंजन- ओणम साद्या, जिसमें विभिन्न पारंपरिक व्यंजन शामिल होते हैं, केरल की खाद्य संस्कृति को प्रदर्शित करता है। यह सामूहिक भोजन की परंपरा को भी बढ़ावा देता है।

3.सामाजिक महत्व

भाईचारा और एकता- ओणम का त्योहार सभी वर्गों और समुदायों को एक साथ लाता है। लोग एक-दूसरे के घरों में जाकर मिठाइयाँ और भोजन बाँटते हैं, जो भाईचारे का प्रतीक है। यह सामाजिक संबंधों को मजबूत करता है।

सामुदायिक गतिविधियाँ- ओणम के दौरान आयोजित खेल और कार्यक्रम सामाजिक बंधन को बढ़ावा देते हैं। ये गतिविधियाँ लोगों को एक साथ लाती हैं और सामूहिकता को बढ़ावा देती हैं।

4.आर्थिक महत्व

पर्यटन और व्यापार- ओणम के समय केरल में पर्यटन का बढ़ावा होता है। यह स्थानीय व्यापारियों और कारीगरों के लिए भी लाभकारी होता है, जो त्योहार के लिए विशेष उत्पादों और सेवाओं की पेशकश करते हैं।

कृषि का प्रतीक- ओणम का त्योहार फसल की कटाई का समय होता है। यह कृषि पर आधारित त्योहार है, जो किसानों के लिए विशेष महत्व रखता है।

5.परिवार और समुदाय का महत्व

परिवार की एकता- ओणम के अवसर पर परिवार के सदस्य एक साथ आते हैं। यह समय परिवार के बंधनों को मजबूत करता है और साझा अनुभवों का निर्माण करता है।

सांस्कृतिक पहचान- ओणम के माध्यम से लोग अपनी सांस्कृतिक पहचान को समझते और साझा करते हैं। यह त्यौहार उनकी परंपराओं और मूल्यों को संरक्षित करता है। History of Onam Festival

निष्कर्ष

ओणम का त्योहार केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं है, बल्कि यह केरल की समृद्ध सांस्कृतिक, सामाजिक, और आर्थिक विरासत का प्रतीक है। यह भाईचारे, एकता, और समृद्धि का संदेश फैलाता है, और लोगों को एक साथ लाने का काम करता है। ओणम के दौरान मनाए जाने वाले अनुष्ठान, खेल, और भोज इस त्योहार को और भी विशेष बनाते हैं, जो इसे हर साल एक अद्वितीय और महत्वपूर्ण अनुभव बनाता है।

7.ओणम के कौन से प्रमुख कार्यक्रम होते हैं?

उत्तर- ओणम के त्योहार के दौरान विभिन्न प्रमुख कार्यक्रम और गतिविधियाँ आयोजित की जाती हैं, जो इस त्योहार को खास बनाती हैं। ये कार्यक्रम सांस्कृतिक, धार्मिक, और सामाजिक पहलुओं को दर्शाते हैं। यहाँ ओणम के प्रमुख कार्यक्रमों का विस्तार से वर्णन किया गया है-

1.पल्लीकट्टू
पल्लीकट्टू- ओणम की शुरुआत पल्लीकट्टू से होती है, जिसमें गायों को सजाया जाता है और उन्हें घरों में लाया जाता है। यह समृद्धि और खुशहाली का प्रतीक होता है। इसे बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।

2.सांस्कृतिक कार्यक्रम
कृष्णनाट्टम- यह एक पारंपरिक नृत्य है, जो भगवान कृष्ण की लीलाओं को दर्शाता है। इसे ओणम के दौरान विशेष रूप से प्रस्तुत किया जाता है।

कथकली- यह एक प्रमुख नृत्य नाटक है, जिसमें पारंपरिक कहानियाँ और पुरानी पौराणिक कथाएँ प्रदर्शित की जाती हैं। ओणम के समय यह विशेष रूप से लोकप्रिय होता है।

3.ओणम साद्या
ओणम साद्या- ओणम के दिन विशेष ओणम साद्या का आयोजन किया जाता है, जिसमें लगभग 26 विभिन्न व्यंजन परोसे जाते हैं। यह सामूहिक भोज का हिस्सा होता है, जिसमें परिवार और दोस्तों के साथ मिलकर खाने का आनंद लिया जाता है।

4.बोट रेस
जल क्रीड़ा और बोट रेस- ओणम के दौरान विभिन्न जल क्रीड़ाओं का आयोजन किया जाता है, जिसमें विशेष रूप से नावों की दौड़ होती है। ये रेसें अत्यंत रोमांचक होती हैं और देखने में आनंददायक होती हैं।

5.पल्लीकुडल
पल्लीकुडल- यह एक अनुष्ठान है, जिसमें लोग अपने घरों के आसपास धान के खेतों में जाते हैं और पूजा करते हैं। यह कृषि की समृद्धि के लिए विशेष रूप से किया जाता है।

6.खेल और प्रतियोगिताएँ
पुलिकली- यह एक पारंपरिक नृत्य और खेल है, जिसमें लोग बाघ और शेर के रूप में सजकर नृत्य करते हैं। यह सामुदायिक उत्सव का हिस्सा होता है।

कंबला- यह भैंसों की दौड़ होती है, जिसमें भैंसों को सजाया जाता है और दौड़ में भाग लिया जाता है। यह खेल भी ओणम के दौरान आयोजित होता है।

7.रंगोली और सजावट
पुक्कल- ओणम के दौरान घरों को सजाने की परंपरा है। रंग-बिरंगे फूलों से रंगोली बनाई जाती है, जिसे ‘पुक्कल’ कहा जाता है। यह सजावट महाबली के स्वागत का प्रतीक है।

8.धार्मिक अनुष्ठान
पूजा और आरती- ओणम के दौरान लोग देवी-देवताओं की पूजा करते हैं और आरती करते हैं। यह धार्मिकता का प्रतीक है और परिवार के सदस्यों के बीच एकता को बढ़ावा देता है।

निष्कर्ष

ओणम के ये प्रमुख कार्यक्रम न केवल त्योहार की महत्ता को बढ़ाते हैं, बल्कि यह केरल की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और परंपराओं को भी जीवित रखते हैं। ये गतिविधियाँ समुदाय को एकजुट करती हैं और खुशी, उत्साह, और भाईचारे का माहौल बनाती हैं। ओणम का पर्व एक ऐसा अवसर है, जहाँ लोग अपने सांस्कृतिक मूल्यों का जश्न मनाते हैं और अपने रिश्तों को मजबूत करते हैं। History of Onam Festival

8.ओणम का त्योहार क्यों मनाया जाता है?

उत्तर- ओणम का त्योहार मुख्य रूप से केरल में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण और लोकप्रिय पर्व है। इसका मनाने का कारण कई धार्मिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पहलुओं से जुड़ा हुआ है। यहाँ ओणम के त्योहार को मनाने के मुख्य कारणों का विस्तार से वर्णन किया गया है-

1.राजा महाबली की स्मृति

कथा- ओणम का त्योहार राजा महाबली की याद में मनाया जाता है। राजा महाबली एक दयालु और न्यायप्रिय शासक थे, जिन्होंने अपने शासनकाल में अपने प्रजा को खुशहाल जीवन प्रदान किया। कहा जाता है कि देवताओं ने उनकी बढ़ती शक्ति से डरकर भगवान विष्णु को भेजा, जिन्होंने वामन अवतार लेकर महाबली को स्वर्ग भेज दिया। लेकिन महाबली ने भगवान विष्णु से प्रार्थना की कि वे हर साल अपने प्रजा के पास लौट सकें। ओणम के समय, राजा महाबली अपने प्रजाओं के बीच लौटते हैं, और इसे एक उत्सव के रूप में मनाया जाता है।

2.कृषि का प्रतीक

फसल की कटाई- ओणम का त्योहार फसल की कटाई का समय होता है। यह समय धान और अन्य फसलों की कटाई का होता है, और यह किसानों के लिए समृद्धि और खुशहाली का प्रतीक है। ओणम कृषि से जुड़ा एक उत्सव है, जो किसानों की मेहनत और उनकी फसलों की सफलता का सम्मान करता है।

3.सामाजिक एकता और भाईचारा

भाईचारे का उत्सव- ओणम का त्योहार सभी वर्गों और समुदायों को एक साथ लाता है। लोग एक-दूसरे के घर जाकर मिठाइयाँ और भोजन बाँटते हैं, जो भाईचारे और सामुदायिक भावना का प्रतीक है। यह त्योहार सामाजिक संबंधों को मजबूत करने का अवसर प्रदान करता है।

4.सांस्कृतिक धरोहर

संस्कृति का जश्न- ओणम के दौरान विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम, नृत्य, और संगीत प्रस्तुत किए जाते हैं। यह त्योहार केरल की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को दर्शाता है और लोगों को अपनी परंपराओं को जीवित रखने का अवसर देता है।

5.धार्मिक अनुष्ठान

पूजा और आरती- ओणम के अवसर पर लोग देवी-देवताओं की पूजा करते हैं और खासकर लक्ष्मी की पूजा का महत्व है, जो समृद्धि और धन की देवी मानी जाती हैं। यह धार्मिकता का प्रतीक है और समाज में सकारात्मकता फैलाने का काम करता है।

6.सामुदायिक गतिविधियाँ

खेल और जल क्रीड़ा- ओणम के समय विभिन्न खेलों और जल क्रीड़ाओं का आयोजन किया जाता है, जो सामुदायिक बंधन को मजबूत करते हैं। ये गतिविधियाँ लोगों को एक साथ लाकर उत्सव का आनंद देती हैं।

निष्कर्ष

ओणम का त्योहार केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं है, बल्कि यह केरल की सांस्कृतिक, सामाजिक, और कृषि पहचान का प्रतीक है। यह खुशी, समृद्धि, और भाईचारे का संदेश फैलाता है, और लोगों को एक साथ लाने का काम करता है। ओणम के माध्यम से लोग अपनी सांस्कृतिक धरोहर को मनाते हैं और समुदाय में एकता का अनुभव करते हैं। History of Onam Festival

9.ओणम के दौरान लोग कौन से कपड़े पहनते हैं?

उत्तर- ओणम के दौरान लोग पारंपरिक और विशेष कपड़े पहनकर इस त्योहार का जश्न मनाते हैं। ये कपड़े न केवल त्योहार की खुशी को दर्शाते हैं, बल्कि केरल की सांस्कृतिक विरासत को भी प्रदर्शित करते हैं। यहाँ ओणम के दौरान पहने जाने वाले प्रमुख कपड़ों का विवरण दिया गया है-History of Onam Festival

1.महिलाओं के कपड़े

निवरु साड़ी- महिलाएँ आमतौर पर ‘निवरु’ साड़ी पहनती हैं, जो एक पारंपरिक सफेद या क्रीम रंग की साड़ी होती है जिसमें गोल्डन बॉर्डर होता है। यह साड़ी ओणम के अवसर पर विशेष रूप से पहनी जाती है।

कुर्ता और लहंगा- कुछ महिलाएँ कुर्ता या लहंगा भी पहनती हैं, जो रंग-बिरंगे होते हैं। इन कपड़ों में विशेष रूप से ओणम की सजावट और उत्सव की भावना को व्यक्त किया जाता है।

सजावट- महिलाएँ अपने बालों में फूलों की सजावट करती हैं, जो त्योहार की भव्यता को बढ़ाता है। आमतौर पर, गजरा या अन्य रंग-बिरंगे फूलों का उपयोग किया जाता है।

2.पुरुषों के कपड़े

धोती- पुरुष ओणम के अवसर पर आमतौर पर ‘धोती’ पहनते हैं। यह सफेद या क्रीम रंग की होती है और इसे एक पारंपरिक तरीके से बांधा जाता है। धोती ओणम के समय सम्मान और संस्कृति का प्रतीक है।

कुर्ता- धोती के साथ पुरुष अक्सर कुर्ता या शर्ट पहनते हैं। कुर्ता आमतौर पर हल्के रंगों में होता है, और इसमें कई डिजाइन और कढ़ाई हो सकती है।

शॉल- कुछ पुरुष ओणम के समय शॉल या पोंडु भी पहनते हैं, जो उनकी पारंपरिक वेशभूषा को पूरा करता है।

3.बच्चों के कपड़े

पारंपरिक पोशाक- बच्चे भी ओणम के अवसर पर पारंपरिक कपड़े पहनते हैं। लड़कियाँ अक्सर छोटे कुर्ते या साड़ी के समान पहनावे में होती हैं, जबकि लड़के धोती और कुर्ता पहनते हैं।

4.रंगीन कपड़े

विशेष अवसर- ओणम के दौरान लोग रंग-बिरंगे कपड़े पहनने का भी प्रचलन रखते हैं। त्योहार की खुशी और उत्साह को दर्शाने के लिए विभिन्न रंगों और डिजाइनों का चयन किया जाता है।

निष्कर्ष

ओणम के दौरान पहने जाने वाले कपड़े इस त्योहार की सांस्कृतिक और पारंपरिक महत्ता को दर्शाते हैं। ये कपड़े न केवल त्योहार की खुशी को बढ़ाते हैं, बल्कि सामूहिकता, भाईचारे, और एकता का भी प्रतीक हैं। ओणम के समय, हर कोई अपने पहनावे के माध्यम से इस उत्सव का आनंद लेने के लिए तैयार होता है, जो इसे और भी विशेष बनाता है। History of Onam Festival

10.ओणम कैसे मनाया जाता है?

उत्तर- ओणम का त्योहार केरल में मनाए जाने वाले प्रमुख त्योहारों में से एक है और इसे बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। ओणम मनाने की प्रक्रिया में विभिन्न अनुष्ठान, परंपराएँ और सांस्कृतिक कार्यक्रम शामिल होते हैं। यहाँ ओणम के मनाने की प्रक्रिया का विस्तृत वर्णन किया गया है- History of Onam Festival

1.त्योहार की तैयारी

घर की सफाई- ओणम से पहले, लोग अपने घरों की सफाई और सजावट करते हैं। यह एक महत्वपूर्ण परंपरा है, जिसमें घरों को साफ करके सुंदरता और पवित्रता का एहसास कराया जाता है।

फूलों से सजावट- लोग घर के सामने रंग-बिरंगे फूलों से पुक्कल (रंगोली) बनाते हैं। यह सजावट राजा महाबली के स्वागत का प्रतीक होती है।

2.धार्मिक अनुष्ठान

पूजा- ओणम के दिन, लोग देवी-देवताओं की पूजा करते हैं। विशेष रूप से देवी लक्ष्मी की पूजा का महत्व है, जो समृद्धि और खुशहाली की देवी मानी जाती हैं। घरों में दीप जलाए जाते हैं और आरती की जाती है।

3.ओणम साद्या

विशेष भोज- ओणम के दिन, विशेष ओणम साद्या का आयोजन किया जाता है। इसमें लगभग 26 विभिन्न व्यंजन केले के पत्ते पर परोसे जाते हैं, जैसे पायसम, अवियाल, कुट्टू, और थिरुकल। यह सामूहिक भोज का हिस्सा होता है और परिवार के सभी सदस्य मिलकर इसका आनंद लेते हैं।

4.सांस्कृतिक कार्यक्रम

नृत्य और संगीत- ओणम के दौरान विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जैसे कृष्णनाट्टम, कथकली, और मोहिनीअट्टम। ये नृत्य प्रदर्शन स्थानीय संस्कृति और परंपराओं को प्रदर्शित करते हैं।

5.खेल और प्रतियोगिताएँ

पुलिकली- लोग पारंपरिक नृत्य और खेलों का आयोजन करते हैं, जिसमें पुलिकली (बाघ और शेर का नृत्य) शामिल होता है।

कंबला और बोट रेस- भैंस दौड़ (कंबला) और जल क्रीड़ाएँ (बोट रेस) जैसे आयोजन विशेष रूप से लोकप्रिय होते हैं। ये सामुदायिक बंधन को मजबूत करते हैं और उत्सव का आनंद बढ़ाते हैं।

6.सामाजिक एकता

भाईचारे का जश्न- ओणम के दौरान लोग एक-दूसरे के घर जाकर मिठाइयाँ और भोजन बाँटते हैं। यह त्योहार भाईचारे और सामुदायिक एकता का प्रतीक है। लोग एक साथ मिलकर जश्न मनाते हैं और अपने रिश्तों को मजबूत करते हैं।

7.महाबली का स्वागत

महाबली का सम्मान- ओणम के दौरान राजा महाबली के स्वागत के लिए विशेष अनुष्ठान किए जाते हैं। लोग मानते हैं कि इस अवसर पर महाबली अपनी प्रजा के पास लौटते हैं।

निष्कर्ष

ओणम का त्योहार एक ऐसा अवसर है जो खुशी, समृद्धि, और सांस्कृतिक धरोहर का जश्न मनाने का प्रतीक है। यह त्योहार न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक अनुष्ठान का प्रतिनिधित्व करता है, बल्कि यह सामुदायिक बंधनों को मजबूत करने और भाईचारे को बढ़ावा देने का भी कार्य करता है। ओणम के दौरान मनाए जाने वाले अनुष्ठान और गतिविधियाँ इसे एक विशेष और यादगार अनुभव बनाते हैं। History of Onam Festival


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