समय और अंतरिक्ष की भारतीय अवधारणा Indian concept of time and space


समय और अंतरिक्ष की भारतीय अवधारणा Indian concept of time and space

शुरुवात से अंत तक जरूर पढ़ें।


परिचय

समय (काल) और अंतरिक्ष (देश/आकाश) की अवधारणा किसी भी सभ्यता के दार्शनिक, वैज्ञानिक और आध्यात्मिक चिंतन का मूल आधार होती है।
भारतीय चिंतन परंपरा में समय और अंतरिक्ष को केवल भौतिक जगत के घटक के रूप में नहीं देखा गया, बल्कि इन्हें ब्रह्मांड की गूढ़ता, जीवन के रहस्य और सृष्टि-चक्र का अनिवार्य हिस्सा माना गया है।

भारतीय मनीषियों ने समय और अंतरिक्ष की व्याख्या भौतिक, आध्यात्मिक और दार्शनिक सभी दृष्टिकोणों से की है। उनकी दृष्टि में समय और अंतरिक्ष अनादि, अनंत और सतत परिवर्तनशील हैं।


समय (काल) की भारतीय अवधारणा

1. काल का अर्थ

भारतीय दर्शन में काल (समय) को केवल घड़ियों में मापी जाने वाली वस्तु नहीं माना गया। यह सृष्टि की गतिशीलता का मूल तत्व है।
संस्कृत में “काल” का अर्थ है—

  • परिवर्तन का क्रम
  • जन्म और मृत्यु का चक्र
  • ब्रह्मांड की गति का पर्याय

2. काल के प्रकार

भारतीय ग्रंथों में काल के विभिन्न प्रकार बताए गए हैं:

प्रकार विवरण
नित्य काल जो अनादि और अनंत है। सृष्टि के आरंभ और अंत से परे।
अनित्य काल जो सृष्टि के साथ उत्पन्न और नष्ट होता है। भौतिक जगत में मापा जाने वाला समय।

3. समय की चक्रीय अवधारणा

भारतीय दृष्टि में समय चक्रीय (Cyclic) है, अर्थात—

  • सृष्टि उत्पत्ति → विस्तार → विनाश → पुनः सृष्टि
    यह प्रक्रिया निरंतर चलती रहती है।

यही कारण है कि भारतीय मनीषियों ने काल को “चक्र” कहा है।

काल चक्र की व्याख्या

काल चक्र अवधि (मान्यतानुसार)
सत्य युग (कृत युग) 17,28,000 वर्ष
त्रेता युग 12,96,000 वर्ष
द्वापर युग 8,64,000 वर्ष
कलियुग 4,32,000 वर्ष

इन चार युगों का एक चक्र महायुग कहलाता है।
एक महायुग = 43,20,000 वर्ष


4. समय की गणना

भारतीय कालगणना के प्रमुख घटक:

कालखंड अवधि
त्रुटि 1/33750 सेकंड
क्षण 1 सेकंड
लव 1/75 सेकंड
निमेष 0.2133 सेकंड
घटी 24 मिनट
मुहूर्त 48 मिनट
दिन-रात्रि 24 घंटे
पक्ष 15 दिन
मास 30 दिन
ऋतु 2 माह
अयन 6 माह
वर्ष 12 माह

5. ब्रह्मा का दिन और रात्रि

कालखंड अवधि
ब्रह्मा का एक दिन (कल्प) 4.32 अरब वर्ष
ब्रह्मा की रात्रि (प्रलय) 4.32 अरब वर्ष
ब्रह्मा का एक वर्ष 360 कल्प
ब्रह्मा की आयु 100 ब्रह्मा वर्ष (311.04 ट्रिलियन वर्ष)

यह दृष्टिकोण सृष्टि की विशालता और समय की अनंतता को दर्शाता है।


6. भारतीय समय की विशेषताएँ

  • समय को सतत प्रवाह माना गया है।
  • समय के साथ धर्म, नीति, समाज में परिवर्तन स्वाभाविक हैं।
  • काल सृष्टि और संहार का चक्र है।
  • समय के प्रति भारतीय दृष्टिकोण में धैर्य और स्वीकार्यता है।

अंतरिक्ष (देश/आकाश) की भारतीय अवधारणा

1. अंतरिक्ष का अर्थ

भारतीय दर्शन में अंतरिक्ष को आकाश कहा गया है।
यह केवल भौतिक ब्रह्मांड (Space) नहीं बल्कि चेतना का भी विस्तार है।
आकाश का अर्थ है—

  • जो सबको धारण करता है
  • जिसमें सब कुछ स्थित है
  • जो अनंत और व्यापक है

2. अंतरिक्ष के प्रकार

प्रकार विवरण
भौतिक आकाश (Space) जिसमें ग्रह, तारे, नक्षत्र स्थित हैं।
चेतन आकाश (Spiritual Space) चेतना का विस्तार; मन, आत्मा का स्थान।
परमाकाश (Brahman Space) अद्वैत वेदांत में निराकार ब्रह्म, जो सर्वत्र व्यापक है।

3. अंतरिक्ष की भूमिका

  • अंतरिक्ष को पंचमहाभूतों में सबसे सूक्ष्म तत्व माना गया है।
  • अंतरिक्ष में शब्द की उत्पत्ति होती है।
  • यह सबको समाहित करने वाला है, स्वयं निराकार है।

पंचमहाभूत

  1. पृथ्वी
  2. जल
  3. अग्नि
  4. वायु
  5. आकाश (अंतरिक्ष)

4. वेदों में अंतरिक्ष का वर्णन

ऋग्वेद, यजुर्वेद और उपनिषदों में अंतरिक्ष की व्यापकता और उसकी महत्ता का वर्णन मिलता है।
उपनिषदों में कहा गया है—

“आकाशं विभज्यते न कदाचन।”
(अंतरिक्ष को कोई विभाजित नहीं कर सकता।)


5. अंतरिक्ष और चेतना का संबंध

भारतीय दर्शन में अंतरिक्ष केवल भौतिक तत्व नहीं है, बल्कि

  • यह चैतन्य का विस्तार है।
  • ध्यान और साधना में अंतरिक्ष का विशेष महत्व है।
  • योग और तंत्र में इसे चिदाकाश कहा गया है।

समय और अंतरिक्ष के संबंध में भारतीय दृष्टिकोण

1. समय और अंतरिक्ष एक-दूसरे से जुड़े हैं।

  • समय परिवर्तन है,
  • अंतरिक्ष वह क्षेत्र है जिसमें परिवर्तन होता है।

2. सृष्टि की उत्पत्ति और प्रलय में दोनों की भूमिका

जब सृष्टि होती है तो काल और देश (समय और अंतरिक्ष) प्रकट होते हैं।
प्रलय के समय ये पुनः अव्यक्त हो जाते हैं।


वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भारतीय अवधारणा की तुलना

आधुनिक भौतिकी भारतीय दर्शन
Big Bang Theory सृष्टि की उत्पत्ति (सृष्टि चक्र)
Space-Time Continuum काल और देश की अनादि-अनंत अवधारणा
Entropy और ब्रह्मांड का विस्तार युगचक्र और कल्प की अवधारणा

समय और अंतरिक्ष का योग और ध्यान में महत्व

योग में समय और अंतरिक्ष की सीमा को लांघना ही समाधि की स्थिति मानी जाती है।

  • समाधि में साधक काल और देश से परे जाता है।
  • यह अवस्था कालातीत और देशातीत कही जाती है।

निष्कर्ष

भारतीय मनीषियों ने समय और अंतरिक्ष को केवल भौतिक जगत के तत्वों के रूप में नहीं देखा, बल्कि उन्हें जीवन, सृष्टि और ब्रह्मांड की गहराई से जोड़ा।
समय की चक्रीय अवधारणा और अंतरिक्ष की अनंतता भारतीय ज्ञान परंपरा की बौद्धिक गहराई का प्रमाण है।
आधुनिक भौतिकी भी अब समय और अंतरिक्ष के ऐसे ही सूक्ष्म और जटिल स्वरूप की चर्चा कर रही है, जो भारतीय दृष्टिकोण से मेल खाती है।

“भारतीय दर्शन में समय और अंतरिक्ष केवल भौतिक अस्तित्व नहीं, बल्कि चेतना के विस्तार और जीवन की अनंत यात्रा के प्रतीक हैं।”


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